6 माह में पेट्रोल-डीजल की बिक्री 35% गिरी, फिर भी सरकार की आय 7% बढ़ी, क्योंकि:deepak tiwari एक साल में इन पर टैक्स 30% बढ़ा
प्रदेश में पूर्ण और आंशिक लॉकडाउन के 6 माह में पेट्रोल-डीजल की बिक्री 35% गिर गई थी, लेकिन सरकार की आय पर इसका असर नहीं पड़ा। इस साल 23 सितंबर तक सरकारी खजाने में 5000 करोड़ रुपए की राशि टैक्स के जरिए आ चुकी है। पिछले साल इन्हीं महीनों में 4670 करोड़ रुपए मिले थे। यानी पिछले साल से 7 फीसदी ज्यादा कमाई।
टैक्स लॉ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एस कृष्णन कहते हैं कि आय इसलिए बढ़ी, क्योंकि सरकार ने एक साल में तीन बार पेट्रोल-डीजल पर करीब 30 फीसदी तक टैक्स बढ़ाया है। ऐसी संभावना है कि वित्त वर्ष 2020-21 के खत्म होते-होते पेट्रोल-डीजल से सरकार की आय पहली बार 11 हजार 500 करोड़ रु. के स्तर को पार कर जाएगी।
दो साल से बिक्री घटने के बाद भी बढ़ा रही आय
ऐसा लगातार दूसरे साल हो रहा है, जब पेट्रोल-डीजल की बिक्री घटने के बावजूद सरकार की आय बढ़ी। 2019-20 में बिक्री 14 करोड़ ली. कम थी। जबकि आय 1235 करोड़ रु. बढ़कर पहली बार 10720 करोड़ रु. के स्तर पर पहुंची थी। इस बार यह कमी 86 करोड़ लीटर तक पहुंच सकती है। फिर भी पेट्रोल कंपनियों को उम्मीद है कि अधिमास के बाद त्योहारों के समय पेट्रोल-डीजल की बिक्री सामान्य स्तर पर पहुंच जाएगी।
इस तरह बढ़ी आय
वर्ष आय बिक्री
2014-15 6,832 643.1
2015-16 7,631 700.8
2016-17 9,160 696.2
2017-18 9,380 739.7
2018-19 9,485 800.6
2019-20 10,720 786.5
2020-21 (23 सितंबर) 5000 300.0
(आय करोड़ रुपए में, बिक्री करोड़ लीटर में)
आश्चर्यजनक बढ़ाेत्तरी
सरकार ने पिछले एक साल में पेट्रोल-डीजल पर 30% टैक्स बढ़ाया था। इस कारण वे बिक्री में भारी कमी के बाद भी टैक्स राजस्व में बढ़ोतरी हासिल करने में सफल रहे। यह बिल्कुल आश्चर्यजनक है। क्योंकि इस दौरान देश के अन्य राज्यों में आय काफी कम ही रही है। सरकार को दूसरे मदों से आय बढ़ाकर पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने पर विचार करना चाहिए।
-मुकुल शर्मा, आर्थिक विशेषज्ञ
इस साल भी सिर्फ 300 करोड़ लीटर ही बिक्री
पिछले साल पेट्रोल-डीजल की बिक्री 2.15 करोड़ लीटर प्रतिदिन थी। तब पूरे साल 786 करोड़ ली. बिक्री हुई थी। अभी हर दिन 1.5 करोड़ ली. के आसपास बिक्री हो रही है, जो अब तक 300 करोड़ ली. के आसपास पहुंच पाई है।
डीजल की बिक्री ज्यादा घटी
ट्रांसपोर्टर्स डीजल पर टैक्स घटाने की मांग कर रहे हैं। ट्रांसपोर्ट्स कमल माखिजानी के मुताबिक पेट्रोलियम पदार्थाें की कुल बिक्री में डीजल का हिस्सा 60% है। परिवहन विभाग के अनुसार प्रदेश में 1.18 करोड़ वाहन पंजीकृत हैं। हर साल 15% नए वाहन आते हैं। इस आधार पर पेट्रोल-डीजल की खपत भी बढ़नी चाहिए। लेकिन, भाव ज्यादा होने से खपत घट रही है। यहां डीजल महंगा है, इसलिए ज्यादा ट्रांसपोर्टर दूसरे राज्यों से डीजल ले रहे हैं।
एक साल में पेट्रोल पर 9 रु., डीजल पर 8 रुपए टैक्स बढ़ा
पेट्रोल
2020: 33% वैट+4.5 रु./ली. एडिशनल ड्यूटी + 1% सेस यानी 39% कुल टैक्स/ली. पर।
2019: 28% वैट+1.5 रु. एडिशनल कर + 1% सेस यानी 30% टैक्स/ली. पर
डीजल
2020: 23% वैट+3 रु./ली. एडिशनल ड्यूटी + 1% सेस यानी 27% टैक्स/ली. पर।
2019: 18% वैट+ 1% सेस यानी 19% टैक्स/ली. पर।