2020-09-02
deepak tiwari
नई दिल्ली, 1 सितम्बर | दुनिया भर में ग्लेशियर झीलों का वॉल्यूम 1990 के बाद से तकरीबन 50 फीसदी बढ़ गया है। इसका कारण यह है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघले हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र-नासा द्वारा जारी एक सैटेलाइट डेटा में यह बात सामने आई है। नासा ने 30 साल के डेटा के आधार पर यह खुलासा किया है।
इस शोध में पता चला है कि माउंट एवरेस्ट के करीब स्थित लेक इम्जा का वॉल्यूम 1990 से अब तक तीन गुना बढ़ गया है।
ये तमाम बातें नेचर क्लाइमेट चेंज नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई हैं।
शोध में कहा गया है कि पर्वतों के करीब स्थित ग्लेशियरों का मौजूदा वॉटर वॉल्यूम अभी 156 क्यूबिक किलोमीटर है।
इस शोध में शामिल टीम ने नासा और अमेरिकी भूगर्भ सर्वे प्रोग्राम के तहत लैंड्टऐट सैटेलाइट मिशन से हासिल 250,000 से अधिक तस्वीरों को देखने के बाद यह नतीजा निकाला है।
शोध टीम ने कहा है कि इन्हीं कारणों से ग्लेशियर अपने किनारों को तोड़ रहे हैं और इससे काफी जान-माल की हानि हो रही है। शोध टीम ने 2020 में पाकिस्तान के हुंजा घाटी में एक ग्लेशियर झील के किनारों को तोड़ने और उससे हुए नुकसान की उदाहरण दिया है।