गौतम बुद्ध नगर में कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में प्रशासन को लगातार कामयाबी मिल रही है। शनिवार को 102 नए कोरोना संक्रमित मिले, जबकि 65 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिली। लेकिन बीते 14 दिनो से कोरोना से कोई मौत नहीं है। सिर्फ इस महीने पहली तारीख को एक मौत हुई थी। उसके बाद से यहां पर मौत नहीं हुई है। प्रदेश में लंबे समय तक कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले में नंबर वन पर रहने के बावजूद जिले में मृत्यु दर सबसे कम 0.6 फीसद है।
प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 102 नए कोरोना संक्रमित मिले, जबकि 65 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिली। अब जिले में कुल संक्रमितों की संख्या 6408 हो गई है, जबकि अभीतक कुल 5498 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। कोविड अस्पतालों में सिर्फ 867 मरीजों का ही उपचार जारी है। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. मनोज कुशवाह ने बताया कि जिले में कोरोना की स्थिति हर दिन बेहतर होती जा रही है। गौतमबुद्धनगर कोरोना संक्रमितों की संख्या के मामले में प्रदेश में तीसरे पायदान से खिसककर चौथे पर पहुंच गया। जिले में कोरोना का रिकवरी रेट 86 फीसद और मृत्युदर मात्र 0.6 फीसद है। हालांकि रिकवरी रेट में अव्वल है। जिले में लक्षणविहीन मरीजों की संख्या ज्यादा है, यहीं कारण है कि होम आइसोलेशन मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
होम आइसोलेशन के नोडल अधिकारी डॉ. ललित के अनुसार इस समय होम आइसोलेट मरीजों की संख्या 274 है, जबकि 345 मरीजों को छुट्टी दी जा चुकी है, जबकि 593 मरीजों का सेक्टर-125 स्थित कोविड अस्पताल, चाइल्ड पीजीआइ, जिम्स, शारदा और सेक्टर-39 स्थित कोविड अस्पताल में उपचार चल रहा है।
जिले में कोरोना का पहला मरीज 8 मार्च को मिला था। उसके बाद यहां लगातार संख्या बढ़ती गई। मार्च और अप्रैल में कोरोना से कोई मौत नहीं हुई। मौत का सिलसिला मई से शुरू हुआ। मई में सात मरीजों की मौत हुई। मई में सबसे अधिक मृत्यु दर 1.65 प्रतिशत रही। जून में मरीजों की संख्या बढ़कर 2304 हो गई जबकि मृत्यु दर कम होकर 0.95 हो गई। जुलाई में यह 0.74 प्रतिशत रही। कोरोना के कारण सबसे अधिक मौत उन लोगों की हुई जिनकी उम्र 60 साल से अधिक थी और उन्हें अन्य बीमारियां भी थीं। मरने वालों में सिर्फ आठ मरीज ही ऐसे थे, जिनकी उम्र 60 साल से कम थी। डीएम सुहास.एल.वाई ने कहा कि सभी की सामूहिक मेहनत से ही जिले में हालात सुधरे हैं। अब कोरोना संक्रमण के नए केस काफी कम आ रहे हैं। बेहतर इलाज के कारण मृत्यु दर भी कम है।