नोएडा। जंग-ए-आजादी की अंतिम लड़ाई मानी जाने वाली अगस्त क्रांति के दिन रविवार को समाजवादी पार्टी के नेताओं ने हाथों में जंजीर बांधकर मौजूदा व्यवस्था का विरोध किया। पार्टी नेताओं ने चेताया कि आजाद भारत के शासक देशवासियों के साथ अंग्रेजों जैसा बर्ताव बंद करें वर्ना देश को एक और अगस्त क्रांति के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बाद में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की वर्चुअल मीटिंग हुई, जिसमें बिजली, पानी, स्कूल फीस और किसानों की समस्याओं पर मंथन किया गया।
समाजवादी मजदूर सभा के प्रदेश महासचिव देवेन्द्र सिंह अवाना ने कहा कि मौजूदा समय में भारत का 'लोकतांत्रिक, समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष संविधान पूंजीवाद और सामंतवाद की जंजीरों में जकड़ा कराह रहा है। अंग्रेजों के वैभव और रौब-दाब की विरासत को केंद्र और प्रदेश की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकारें अपना रही हैं। वे अंग्रेजों की तरह ही देश की जनता के दिलों में भय बिठा रही हैं। धर्म और संप्रदाय की राजनीति कर देशवासियों को टुकड़े में बांटने का कुत्सित प्रयास कर रही हैं। उसका ध्यान देश में फैली महामारी, गरीबी, भ्रष्टाचार, महंगाई, बीमारी, बेरोजगारी, शोषण, कुपोषण, विस्थापन और किसानों की आत्महत्याओं के मामलों से कोई सरोकार नहीं है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र सिंह अवाना ने कहा कि ऐतिहासिक बेरोजगारी और सदी के सबसे बड़ी महामारी बावजूद स्कूलों की मनमानी जारी है। बिजली की महंगाई और बिलों में जान-बूझकर गड़बड़ी कर आम लोगों का शोषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उद्योग-धंधे चौपट हो गए हैं, लेकिन सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है। उन्होंने स्कूल फीस माफ करने, बिजली के बिलों में राहत देने, किसानों की समस्याओं को हल करने, घर के बाहर खड़ी गाड़ियों का चालान करने की मांग की। मीटिंग के दौरान जनविरोधी सरकार के खिलाफ जनजागरण चलाने का फैसला लिया गया।
समाजवादी मजदूर सभा के प्रदेश सचिव हीरालाल यादव ने कहा कि गांधीजी ने करो या मरो का नारा देकर अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए देश के युवाओं का आह्वान किया था। अब वही वक्त आ गया है। देश और प्रदेश के युवाओं, मजदूरों और किसानों की दुर्दशा चरम पर है। उन्होंने कहा कि यदि देश की आम जनता की उपेक्षाएं बंद नहीं हुई तो बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।
सपा के निवर्तमान जिला प्रवक्ता राघवेंद्र दुबे ने बताया कि अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता गौतमबुद्ध द्वार से दलित प्रेरणा स्थल तक जनविरोधी सरकार के खिलाफ सीमित लोगों के साथ शांति मार्च निकालना चाहते थे। लेकिन, अनुमति नहीं मिली। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया था, उसी तरह उत्तर प्रदेश की जनविरोधी सरकार के खिलाफ समाजवादियों का आंदोलन भाजपा से मुक्ति तक जारी रहेगा।
पत्रकार विक्रम