क्षत्रिय महिला सभा बदायूं के तत्वावधान में प्रसिद्ध कवयित्री व लेखक सुभद्रा कुमारी चौहान की जयंती पर आनलाइन कवयित्री सम्मेलन का आयोजन जियो मीट एप के माध्यम से महिला सभा की जिला अध्यक्ष करुणा सोलंकी की अध्यक्षता में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में नगरपालिका परिषद बदायूं अध्यक्ष दीपमाला गोयल तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेविका व अधिवक्ता अल्का सिंह की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ कवयित्री गरिमा सोलंकी की सरस्वती वन्दना से हुआ।
सर्वप्रथम वीरबाला सिंह ने सुभद्रा कुमारी चौहान का प्रसिद्ध गीत " झांसी की रानी" गाकर ओज का वातावरण निर्मित किया। तदन्तर मीनाक्षी सिंह द्वारा सुभद्रा कुमारी चौहान का प्रसिद्ध गीत " नहीं कोकिला राग काग यहां शोर मचाते,काले काले कीट भ्रमर का भ्रम उपजाते " प्रस्तुत किया गया।
पीलीभीत की ख्याति लब्ध कवयित्री एकता भारती के गीतों को श्रोताओं ने खूब सराहा। उन्होंने पढ़ा :
हो जिसमे नेह की गंगा,भरी वो आंजुरी हूं मैं।
महक जाऊंगी गुलशन में,गुलाबी पांखुरी हूं मैं।
कन्हैया के अधर पर जो सजी थी राधिका बनकर।
बहुत मशहूर पीलीभीत वाली बांसुरी हूं मै।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए क्षत्रिय महिला सभा बदायूं की जिला महासचिव सरिता सिंह सिंह चौहान ने पढ़ा :
देखो कोयल काली है पर मीठी है इसकी बोली
इसने हीतो कूक-कूक कर आमों में मिश्री घोली
वीरबाला सिंह ने पढ़ा :
मत पूछो भारत की कन्या रण में कैसे जाएंगी , वक्त पड़ा तो दुश्मन के मस्तक को काट गिराएंगी।
भूंकी शेरनी झपट पड़ी कुत्ते की मौत मर जाएगा ,
चकना चूर हो जाएगा जो भारत से टकराएगा!
बरेली से प्रतिज्ञा चौहान ने पढ़ा :
संभले हैं जरा और संभलने तो दीजिए,
कुछ देर लहू उबलने तो दीजिए,
सोचें हैं जो भी मैंने वो पूरे करुंगी काम,
थोड़ा सा मेरा वक़्त बदलने तो दीजिए।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मृदुला सिंह,ज्योति सिंह, रजनी सिंह, अमिता, अखिलेश चौहान, अखिलेश कुमार ,आशीष कुमार, धर्मवीर सिंह, विष्णु प्रताप सिंह, इंद्रपाल सिंह , सुशील कुमार सिंह , वेद पाल सिंह कठेरिया, रूपा सिंह, सतेंद्र सिंह, सुमन सिंह तोमर ,उपेंद्र ठाकुर, विपिन कुमार सिंह , विनोद कुमार सोलंकी, जगमोहन सिंह राघव, ललतेश सिंह, कौशल सिंह,डालभगवान सिंह,भानु प्रताप सिंह,आर्येन्द्र पाल सिंह, शिशुपाल सिंह, अवनीश सोलंकी, राजीव कुमार सिंह, आदि की सहभागिता रही।