भगवान शिव कल्याणकारी हैं. उनकी आराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है. सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना करते समय उनके पूरे परिवार माता पार्वती, कार्तिकेय, श्री गणेश और उनके वाहन नंदी की संयुक्त रूप से पूजा करें. एक कलश शीतल जलधारा भी भोले बाबा को प्रसन्न कर देती है. पौराणिक ग्रंथ शिवपुराण में इस बात का उल्लेख है कि शिव भक्तों को मासिक शिवरात्रि पर उपवास और शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भोले शंकर की कृपा प्राप्त करनी चाहिए. आइए जानते हैं कि क्या है सावन शिवरात्रि में शिवलिंग पर जल अभिषेक का शुभ समय ...
सावन शिवरात्रि शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का शुभ मुहूर्त:
सावन शिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत- 19 जुलाई 2020, दोपहर 12 बजकर 41 मिनट से हो जाएगी .
चतुर्दशी तिथि का समापन- 20 जुलाई 2020, दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा.
हर मुहूर्त है शुभ:
सावन शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा हर पहर में की जा सकती है. शिव की पूजा के लिए सारे मुहूर्त शुभ माने गए हैं. क्योंकि यह पूरा माह भगवान शिव को ही समर्पित है.
सावन शिवरात्रि पूजा विधि:
सावन शिवरात्रि के दिन भक्तों को प्रातः जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करने के बाद पूजा घर की विधिवत साफ-सफाई करनी चाहिए. इसके बाद पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को स्थापित करना चाहिए.
इसके बाद शिवलिंग पर दूध, गंगा जल, बेलपत्र, धतूरा और भांग की पात्तियां अर्पित करनी चाहिए. इसके बाद पूरे दिन भगवान शिव का सिमरन करते हुए व्रत करना चाहिए, व्रत में आप फलाहारी ले सकते हैं. अगले दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा के बाद व्रत खोलना चाहिए.
सावन शिवरात्रि का व्रत करने वाले जातकों को चिंता, अवसाद, जन्मपत्री में दोष, चन्द्र का दोष से मुक्ति मिलती है और मकान-वाहन का सुख और संतान सुख की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावन माह में सांपों को दूध पिलाने से कालसर्प-दोष दूर होता है.
इन मन्त्रों का करें जाप:
सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के महामंत्र- ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए.