जानिए कुंडली के बारह भावों में शनि का प्रभाव-के सी शर्मा


१. प्रथम भाव में स्थित शनि का फल :-

आपके प्रथम भाव में शनि ग्रह स्थित है अत: आपको इसके मिले जुले फलों की प्राप्ति होगी। पुराने ज्योतिषीय ग्रंथकारों के अनुसार शनि की यह स्थिति एकान्तप्रियता देती है। आप अपने आपको प्रपंचों से दूर रखना चाहेंगे। यदि आप किसी से पहली बार मिलते हैं या कोई आपसे पहली बार मिलता है तो सामने वाले पर आपके व्यक्तित्त्व का गहरा प्रभाव पडता है।

आप हठी, निश्चयी या कुछ हद तक उदासीन भी हो सकते हैं। आप दीर्घायु और गुणवान होंगे साथ ही आपको राजाओं जैसे अधिकार प्राप्त हो सकते हैं। आपको सरकार या राज पक्ष से लाभ मिलेगा। यदि आप मेहनत करने से नहीं घबराएंगे तो आप धनवान और सुखी होंगे। आपके विरोधी कितने भी बलिष्ठ क्यों न हों आप उन पर विजय प्राप्त कर लेंगे।

आप गांव या शहर के मुखिया हो सकते हैं। लेकिन प्रारम्भिक आयु में आपको कुछ हद तक संघर्ष करना पड सकता है। लेकिन भारी उद्योग, आत्मविश्वास और धर्य के कारण आप अन्तत: सफलता प्राप्त करेंगे। यहां स्थित शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आप स्वयं को स्वच्छ रखें, आलस्य से बचें तथा व्यर्थ में विवाद न करें। आप को वात रोग होने का भय रहेगा अत: उससे बचाव के बारे में चिंतन व कार्य करें।

२. द्वितीय भाव में स्थित शनि का फल :-

इस भाव में स्थित शनि आपको कभी मधुरभाषी तो कभी कटुवक्ता बनाता है। आपको अपने परिवार से दूर रहना पड सकता है। स्वदेश में दूर के स्थानों शहरों और नगरों के अलावा आप विदेश जाकर इच्छित वस्तुओं का लाभ प्राप्त करेंगे। हो सकता है की आप अपनी उम्र के दूसरे भाग में अपना निवास स्थान छोडकर किसी दूसरे स्थान में चले जाएं और वहां धन, सवारी तथा सुख के साधन प्राप्त करें।

स्वदेश या जन्म स्थान के समीप आपकी अधिक उन्नति नहीं हो पाएगी। आप राजा के कृपा पात्र भी हो सकते हैं अथवा राजा से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आप मितव्ययी होशियार और दूरदर्शी व्यक्ति हैं। ऐसा होने के बावजूद भी यदि आप धन संग्रह नहीं कर पा रहे हैं तो आपको निवेश करके धन का सदुपयोग करना चाहिए। इससे सम्पति में वृद्धि होगी।

 

आप फाइनेंसर का काम भी कर सकते हैं। यह स्थिति कभी-कभी दो विवाहों की स्थिति भी निर्मित कर सकती है। आप मठाधीस भी हो सकते हैं। आपको शत्रुओं का भय नहीं रहेगा। आप न्यायशील व्यक्ति हैं। यहां स्थित शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आपको सदाचार का पालन करना चाहिए। पूरी तरह ईमानदार रहें। साधु संतों के प्रति अच्छे भाव रखें। लोभ का त्याग करें और मीठा बोलें।

३. तृ्तीय भाव में स्थित शनि का फल :-

यहां स्थित शनि आपको न्यायी, प्रमाणिक और चतुर बनाता है। आप गहरी बुद्धिवाले और अच्छी सलाह देने वाले व्यक्ति हैं। आपकी रुचि ज्योतिष जैसे गूढ शास्त्रों में हो सकती है। आप निरोगी, योगी और मितभाषी व्यक्ति हैं। आप विवेकवान सभा में चतुर,शीघ्र कार्य सम्पन्न करने वाले, बलवान और प्रतापी व्यक्ति होंगे।

आप शत्रुओं को परास्त करने वाले भाग्यवान और चंचल स्वभाव के हो सकते हैं। आप बिना भेद भाव के सभी की मदद करते हैं और यथा सम्भव लोगों का पालन पोषण भी करते हैं। आप बडे स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। आप उत्तम वाहनों से युक्त, ग्राम या शहर के प्रधान और राज्यमान व्यक्ति बन सकते हैं।

आपके मित्रों की संख्या खूब होगी और आप विपरीत लिंगियों में भी लोकप्रिय रहेंगे। आप अच्छा धनार्जन करेंगे। यहां स्थित शनि आपको कु्छ विपरीत परिणाम भी दे सकता है। आप आलसी या दुखी हो सकते हैं। मन में अशांति रह सकती है। शिक्षा में व्यवधान आ सकता है। बरसात या ठंड के मौसम में शारीरिक अस्वस्थता रह सकती है।

४. चतुर्थ भाव में स्थित शनि का फल :-

यहां स्थित शनि आपको उदार और शांत बनाता है। आप गंभीर धर्य सम्पन्न और लोभरहित व्यक्ति हैं। आप व्यसनहीन, न्यायप्रिय और अतिथियों का सत्कार करने वाले व्यक्ति हैं। आप परोपकार करने में खूब विश्वास रखते हैं। आप गुणवान व्यक्ति हैं। आप प्रचुर मात्रा मंं धन प्राप्त करेंगे। आपके पास विभिन्न प्रकार के वाहन होंगे। आपको किसी और की सम्पत्ति भी मिल सकती है।

आप दूर देश में रहकर खूब तरक्की कर सकते हैं। आपके लिए आपकी उम्र सोलहवां, बाइसवां, चौबीसवां, सत्ताइसवां और छत्तीसवां साल भाग्यकारी रहेगा। इन वर्षों में आपको नौकरी, विवाह, सन्तति आदि शुभफल मिल सकते हैं। हांलाकि यहां स्थित शनि छ्त्तीस साल की उम्र तक कभी-कभी कष्ट भी देता रहता है। इसके बाद उम्र के छप्पनवें वर्ष तक सुख मिलता रहता है।

 

आपको शत्रुओं के माध्यम से भी लाभ मिल सकता है। यहां स्थित शनि के दुष्प्रभाव के रूप में आपको शारीरिक रूप से कम सुख मिल सकता है। आपकी संगति खराब लोगों के साथ हो सकती है। मानसिक चिंता या कष्ट रह सकता है। माता को बीच-बीच में कष्ट रह सकता है। शनि की यह स्थिति कभी-कभी दो विवाह या घरेलू क्लेश की स्थिति भी उत्पन्न करती है। कभी-कभी यह स्थिति पिता की सम्पत्ति से वंचित भी करती है।

५. पंचम भाव में स्थित शनि का फल :-

पंचम भाव में शनि के स्थित होने के कारण आपको इसके मिले जुले फल मिलेंगे। आप बुद्धिमान और विद्वान होंगे। आप परिश्रमी और भ्रमणशील भी हो सकते हैं। यहां स्थित शनि आपको प्रसन्न और सुखी बनाता है साथ ही यह आपको दीर्घायु भी प्रदान करता है। आप शत्रुओं पर विजय पाने वाले और धर्मात्मा व्यक्ति हैं लेकिन आप स्वभाव से कुछ हद तक चंचल भी हो सकते हैं।

कहा गया है कि कभी-कभी गोद लिए जाने के बाद औरस पुत्र की प्राप्ति होती है। लेकिन आज के परिवेश में संतान की पैदाइस में कुछ विलम्ब भी हो सकता है। कभी-कभी एक संतान के बाद दूसरी संतान पांचवें, सातवें, नौवें और बारहवें वर्ष में हो सकती है। आप थोडे से मनमौजी हो सकते हैं और अपने काम से काम रखते हैं। शनि की यह स्थिति कभी-कभी शिक्षा में व्यवधान भी उत्पन्न करती है।

अशुभफलों के रूप में यहां स्थित शनि आपको आलसी और शरीर को निर्बल बना सकता है। आपके व्यवहार में कुछ हद तक कुटिलता आ सकती है। आप देवी-देवताओं और धर्म से बिमुख हो सकते हैं। आपकी प्रसिद्धि धीरे-धीरे कम होने लगती है और आपके धन सम्पत्ति पर भी शनि की इस स्थिति का दुष्प्रभाव देखने को मिल सकता है।

६. छ्टें भाव में स्थित शनि का फल :-

यहां स्थित शनि अधिकांश मामलों में आपको शुभ फल देगा। आपका शरीर सुंदर, पुष्ट और निरोगी होगा। आप बलिष्ठ और शक्तिशाली होंगे। आपकी पाचनशक्ति अच्छी होगी अत: आपकी भूख अधिक हो सकती है। खाने पीने में आपकी अच्छी रुचि होगी। आप एक अच्छे वक्ता और तर्ककुशल व्यक्ति हो सकते हैं। आपके प्रतिवादी आपसे भय खाएंगे।

आप बंधु बान्धवों से युक्त, अपने बान्धवों का पालन करने वाले और अनेकों लोगों को आश्रय देने वाले होंगे। आपके कई नौकर-चाकर और अनुयायी होंगे। न केवल आपके शत्रु आपसे भयभीत रहेंगे बल्कि वे आपका सम्मान भी करेंगे। आपको राजभय नहीं रहेगा। लेकिन आपको अभिमानी बचने से बचना होगा। विषय वासनाओं में रत होने से भी स्वयं को बचाएं।

 

यदि आप ऐसा करने में कामयाब होते हैं तो आपको यश सम्पत्ति और अधिकार की प्राप्ति होगी। शरीर बलवान होने के आकरण किसी की भी बहुत अधिक परवाह नहीं करेंगे। आप गुणीजनों की कद्र करते हैं। दान पुण्य में आपका अच्छा विश्वास है। आप विद्वानों में श्रद्धा रखते हैं और पंडितों की आज्ञा का पालन करते हैं। आप गुणो के परीक्षक और श्रेष्ठ कर्म करने वाले हैं।

७. सप्तम भाव में स्थित शनि का फल :-

यहां स्थित शनि व्यक्तिगत जीवन में अच्छे परिणाम नहीं देता है। जीवन साथी के शरीर का ऊपरी भाग बहुत सुंदर नहीं होता। विवाह से धन लाभ होता है। कभी-कभी दो विवाह होने की सम्भावना भी बनती है। दूसरे विवाह के बाद भाग्योदय होने की बात ज्योतिष शास्त्रों में कही गई है। लेकिन जीवन साथी का स्वभाव मनोनुकूल न होने की स्थिति में दाम्पत्य जीवन दुष्प्रभावी रहने की सम्भावना बनी रहती है। कभी-कभी अविवाहित रहने की इच्छा भी करती है। संतान बिलम्ब से होती है।

ठेकेदारी, कोयला, लोहा, खदानों आदि से जुडे कामों से लाभ मिल सकता है। किसी विदेशी काम या विदेशी माल में एजेन्ट का काम करने से भी लाभ मिलता है। आप शिक्षक, प्रध्यापक, गणक आदि कामों से जुड कर भी आजीविका कमा सकते हैं। बाल्यावस्था में माता पिता को लेकर कुछ कष्ट उठाने पड सकते हैं। बावन, तिरपन साल की उम्र में जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है।

यहां स्थित शनि के अशुभ प्रभावों की चर्चा करते हुए ज्योतिषीय ग्रंथों मेम कहा गया है कि संतान को कष्ट हो सकता है। मन अशांत रह सकता है। दिलोदिमाग में एक अजीब सी घबराहट रह सकती है। समय-समय पर आने वाली आर्थिक समस्याएं विचलित कर सकती हैं। शरीर में आए दिन कोई न कोई रोग बना रह सकता है।

८. अष्टम भाव में स्थित शनि का फल :-

इस भाव में स्थित शरीर शनि आपको शूरवीर बनाता है, आपका शरीर कुछ हद तक स्थूल भी हो सकता है। आप विद्वान वाकपटु और दयालु स्वभाव के हो सकते हैं। आप निर्भय चतुर और उदार प्रकृति के हैं। यहां स्थित शनि कभी-कभी विवाह के माध्यम से आर्थिक लाभ भी करवाता है। उत्तराधिकार में जमीन की प्राप्ति होती है।

आपको गूढशास्त्रों का ज्ञान हो सकता है। आप नौकरी कर सकते हैं। आपके पुत्रों की संख्या कम होगी। आपको प्रारभिक आयु में कुछ कष्ट रह सकता है लेकिन जीवन के उत्तरार्ध में आपको सुख मिलेगा। आप तौर छ्त्तीस वर्ष के अवस्था के बाद भाग्योन्न्ति की गति अधिक होती है। कई विशेष बातों का पूर्वानुमान आपको पहले से हो जाता है।

यहां स्थित शनि आपको आलसी बना सकता है लेकिन आप स्वभाव से चालाक होंगे। आप मानसिक रूप से कुछ हद तक असंतुष्ट रह सकते हैं। आपमें क्रोध की अधिकता और उत्साहहीनता देखने को मिलेगी। आप दूसरे के दोषों को बडी बारीकी से परख सकते हैं। आपको अपने जन्म स्थान से दूर रहना पड सकता है। आपको अपने स्वभाव को पवित्र बनाते हुए अच्छे लोगों की संगति करने की सलाह दी जाती है।

९. नवम भाव में स्थित शनि का फल :-

शनि के यहां स्थित होने से आपको मिश्रित फलों की प्राप्ति होगी। आप स्वभाव से भ्रमणशील और धर्मात्मा होंगे। आप साहसी स्थिरचित्त और शुभकर्म करने वाले होंगे। आप विचारशील, दानी और दयालु व्यक्ति हैं। आप मृदुभाषी हैं। दूसरे के प्रति आपका व्यवहार मृदु है। यही कारण है कि आप सबके आकर्षण का केन्द्र और मनोरम बने रहते हैं। आप निर्मल स्वभाव के व्यक्ति हैं।

यद्यपि आप कोमल स्वभाव के व्यक्ति हैं लेकिन निर्णय लेने के मामले में आप बडे कठोर हैं। आप आध्यात्मिक रुचि वाले व्यक्ति हैं। ज्योतिष और तंत्र जैसे विषयों में भी आपकी बहुत रुचि है। आप योगशास्त्रों का अभ्यास करते हैं। तीर्थयात्राओं में भी आपकी अच्छी रुचि है। यहां स्थित शनि आपको बडी प्रसिद्धि देगा। आप अपने जीवनकाल में कुछ ऐसे कार्य भी करेंगे जो आपके न रहने के बाद भी यादगार बने रहेंगे।
भाव में स्थित शनिका फल
आप एक भाग्यशाली व्यक्ति हैं। कुछ म्लेच्छ लोग भी आपकी भाग्योन्न्ति में सहायक हो सकते हैं। आप अभ्यासप्रिय और गंभीर हैं लेकिन आपको दूसरों का तिरस्कार करने से बचना चाहिए, अन्यथा अवनति के रास्ते भी खुल सकते हैं। आप शिक्षक, वकील या ज्योतिषी के रूप में आजीविका चला सकते हैं। कंजूस, स्वार्थी, ढोंगी और क्षुद्र बुद्धि न बनें।

१० दसवें भाव में स्थित शनि फल

कुंडली के दसवें भाव में शनि लाभदायक होता है. यह शनि का अपना घर है, जहां शनि अच्छा परिणाम देगा. जातक तब तक धन और संपत्ति का आनंद लेता रहेगा, जब तक कि वह घर नहीं बनवाता. जातक महत्वाकांक्षी होगा और सरकार से लाभ का आनंद लेगा. जातक को चतुराई से काम लेना चाहिए और एक जगह बैठ कर काम करना चाहिए. तभी उसे शनि से लाभ और आनंद मिल पाएगा. दशम भाव का शनि होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक, राज्यमंत्री या उच्चपद पर आसीन होता है. दशमस्थ शनि वक्री हो तो जातक वकील, न्यायाधीश,बैरिस्टर, मुखिया, मंत्री या दंडाधिकारी होता 

११ एकादश भाव में स्थित शनिका फल

यहां स्थित शनि आपको अधिकांश मामलों में शुभफल देगा। आप दयालु, परोपकारे और मधुरभाषी व्यक्ति हैं। आप स्वभाव से संतोषी हैं। आप अपने शत्रुओं पर आसानी से विजय प्राप्त कर लेंगे। आप दीर्घायु, शूर वीर और स्थिर बुद्धि वाले व्यक्ति हैं। आप भाग्यवान, भोगी, विचारशील तथा संतोषी व्यक्ति हैं। आप विभिन्न विद्याओं को जानने वाले सर्वमान्य व्यक्ति हैं।

आप निर्लोभी और सुखी व्यक्ति होंगे। आपको कोई दीर्घकालिक रोग नहीं होंगे। अर्थात यदि आपको कोई रोग होंगे तो वो शीघ्र ही ठीक हो जाएंगे। आपके पास पर्याप्त मात्रा में धन सम्पत्ति होगी। राजा या सरकार की कृपा से भी आपको प्रचुर मात्रा में धन-सम्पत्ति मिलेगी। पंडितों और विद्वानों से भी आप लाभान्वित होंगे।

आपको अच्छे-अच्छे वाहनों का सुख मिलेगा। आप खूब धन की प्राप्ति करेंगे और खूब धन संचय भी करेंगे। यहां स्थित शनि आपको यशस्वी बनाता है, साथ ही आपको अच्छे मित्रों की संगति भी देता है। आप अनेक प्रकार के सुखों का उपभोग करेंगे। आपके घर में कई नौकर चाकर होंगे। लेकिन संतान प्राप्ति में विलम्ब हो सकता है। आपको प्रपंच और कपट कर्म न करने की सलाह दी जाती है।

१२. द्वादश भाव में स्थित शनि का फल :-

यहां स्थित शनि आपको एकांतप्रिय बनाता है। आप त्यागी और दयालु व्यक्ति हो सकते हैं। आपका संबंध दानगृह, कारागार जैसी जगहों से हो सकता है। आप गुप्त रीति से धन संचय करते हैं। गुप नौकरी या हल्के कामों से आपको लाभ होता है। आप अपने शत्रुओं को सहज पराजित कर सकते हैं। आप बडे-बडे दान और यज्ञ करने में रुचि ले सकते हैं।

आप जन समूह के नेता भी हो सकते हैं। आप वकील, वैरिस्टर या ज्योतिषी भी हो सकते हैं। आप कुछ ऐसे कामों से जुडा व्यवसाय भी कर सकते हैं लो आम लोगों की सोच से हटकर हो। यहाम स्थित शनि के कुछ अशुभफल भी कहे गए हैं। अतक आप कुछ हद तक निर्लज्ज या कठोर भी हो सकते हैं। झूठ और ठगी के माध्यम से धनार्जन कर सकते हैं।

आपके शरीर के किसी अंग में कष्ट रह सकता है या आप किसी एक अंग से हीन हो सकते हैं। आपको मांस मदिरा के सेवन न करने और कुसंगति से बचने की सलाह दी जाती है। आपको नेत्ररोग, उन्माद या रक्तविकार की परेशानी रह सकती है। फिजूलखर्ची न करें। स्वजनों से प्रेम करें और धन संग्रह करने के लिए सदैव प्रयासरत रहें जो जीवन में बडी तरक्की भी मिल सकती है।