विकास दुबे ने पुलिस को बताया गुस्से में हो गया कानपुर कांड


बताया जा रहा है कि गैंगस्टर विकास ने उज्जैन से कानपुर तक सफर में पूछे गए हर सवाल का जवाब दिया। एकबार भी उसकी आंख नही झपकी, शायद ईसलिये कि बीच मे उसके साथ कोई पुलिसिया हादसा ना हो जाय। जवाब देते वक्त उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी।

पुलिस की आगे की प्लानिंग जानने के लिए विकास ने कई बार पूछा- "जेल भेजोगे?", फिर बोला- कुछ महीने या सालभर में बेल मिल जाएगी।

विकास ने 50 से ज्यादा पुलिस अफसरों और कर्मचारियोंके नाम गिनाए जो उसके मददगार थे। कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के बड़े नेताओं के नामों का भी खुलासा किया तो साथ बैठे लोग एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। चेहरे पर मुस्कान लिए विकास ने कहा- गुस्से में बिकरु कांड हो गया। आप लोग (पुलिसवाले) जेल भेज भी देंगे तो कुछ महीने या सालभर में जमानत मिल जाएगी।

बताते हैं कि गिरफ्तारी के बाद उज्जैन से कानपुर लौटते वक्त विकास दुबे ने एसटीएफ को कानपुर के चार बड़े कारोबारियों, 11 विधायकों, दो मंत्रियों के नाम लिए हैं, जिनसे उसके घनिष्ठ संबंध थे। विकास ने एनकाउंटर से पहले अपने कबूलनामे में कई मददगारों के नाम उजागर करते हुए कहा था कि 50 से ज्यादा पुलिसवालों ने उसकी अब तक मदद की है, इसमें तीन एडिशनल एसपी और दो आईपीएस अफसरों के नाम भी शामिल हैं। यहीं नहीं, उसे जुबानी ये सभी नाम याद थे और कौन कहां पोस्ट है, यह भी बताया था। अपनी सारी संपत्ति और फंडिंग के बारे में भी जानकारी दी। यह भी बताते हैं कि एसटीएफ ने उसके बयान का वीडियो भी बनाया है, जो ईडी को सौंपा जा चुका है। इसके बाद ही ईडी सक्रिय हुई है।

दुबे को 9 जुलाई को उज्जैन में महाकाल मंदिर में गार्ड ने पकड़ा लिया था। यहां पुलिस ने हिरासत में लेकर उससे 8 घंटे तक पूछताछ की थी। उसके बाद यूपी एसटीएफ उज्जैन पहुंची और शाम करीब 6 बजे विकास को लेकर सड़क मार्ग से कानपुर के लिए निकली थी। शुक्रवार सुबह 6:30 बजे कानपुर से 17 किमी पहले भौंती में पुलिस की गाड़ी पलट गई। इसमें विकास भी बैठा था। कथित तौर पर वह हमलाकर भागने की कोशिश में मारा गया।

विकास ने कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के कई नेताओं के नाम तो लिए ही बल्कि उसने दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्र से अपनी चिढ़ का राज भी खोला। कहा कि सीओ उसे हद में रहने की बात करते थे। लेकिन, वह चाहता था कि उसके गांव, आसपास के इलाके और थाने पर सिर्फ उसका ही राज चले। पुलिस का दखल उसे पसंद नहीं था। विकास ने यही बात उज्जैन में भी पूछताछ के दौरान कही थी। उसने बताया था कि सीओ उसे लंगड़ा कहते थे। मेरे क्षेत्र में मुझे ऐसा कोई कैसे कह सकता था। इसलिए सोच रखा था कि इसे निपटाऊंगा।

उसे सीओ से चिढ़ थी, अन्य पुलिसवालों का क्या दोष था? इस सवाल के जवाब में विकास ने अफसोस जताया और कहा कि गुस्से में इतना बड़ा कांड हो गया, लेकिन इतनी बड़ी कार्रवाई हो जाएगी, इसका भी अंदाजा नहीं था। उसे लग रहा था कि उसके उपरोक्त 'खासलोग' उसे बचा लेंगे। 

रास्ते में वह कई बार खुद पुलिसवालों से पूछता रहा कि आगे क्या करने वाले हैं? विकास को लग रहा था कि पुलिस उसे जेल भेजेगी।, इसीलिए वह निश्चिंत था कि कुछ महीने या सालभर में जमानत पर जेल से बाहर आ जाएगा लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।