भगवान श्री कृष्ण का एक नाम सांवरा है। इस नाम का मतलब है सांवले रंग का, जबकि भगवान श्री कृष्ण जन्म से सांवरा यानी सांवले नहीं थे। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार गोपाल बचपन में गोरे रंग के थे। लेकिन इनके जीवन में एक ऐसी घटना हुई जिससे इनका
वर्ण नीला हो गया।
पुराणों की कथा के अनुसार एक बार कालिया नामक नाग अपने परिवार के साथ यमुना में आकर रहने लगा। इससे गोकुलवासियों के प्राण संकट में पड़ गए। गोकुलवासी गांव छोड़कर कहीं और जाने की योजना तक बनाने लगे। ऐसे में गोकुल वासियों की रक्षा के लिए श्री कृष्ण ने अपने प्राण संकट में डालकर कालिया दह में प्रवेश किया। कालिया नाग को भगवान ने युद्घ में परास्त कर दिया लेकिन इसके मुख से निकलने वाले विष के प्रभाव से श्रीकृष्ण का शरीर नीलवर्ण का हो गया। इसके बाद से भगवान श्री कृष्ण सांवारा कहलाने लगे।
दर्शन और तर्क कहता है कि भगवान का नीला रंग उनके व्यापकता और विशालता को दर्शाने के लिए है। जैसे विशाल समुद्र और अनंत गगन नीला दिखता है उसी प्रकार आदि अनंत भगवान भी नील वर्ण के दिखाई देते हैं।