उम्र की कोई सीमा नहीं होती है. या यू कहें की उम्र किसी भी काम में बाधा नहीं डालता है, बस आपके अंदर जज्बा होना चाहिए. ऐसा ही जज्बा दिखा रावतभाटा चारभुजा की 105 साल की अनपढ़ महिला रतनबाई में. अनपढ़ होने के बावजूद उन्हें आज भी गीता के 700 श्लोक याद हैं.
अगर देखा जाए तो जिस उम्र में रतनबाई है उस उम्र लोंग अपनों को भी बड़ी मुश्किल से पहचान पाते हैं. लेकिन रतनबाई को पिछले 80 सालों से गीता के 18 अध्याय के 700 श्लोक मौखिक याद है. बता दें रतनबाई को सुनने में परेशानी होती है, और आंखो से भी कम दिखता है. लेकिन वह अभी तक पूरी तरह स्वस्थ्य हैं.
अनपढ़ रतनबाई 25 साल की उम्र में एक मंदिर में ये श्लोक सीखे थे. हालांकि वह पढ़ नहीं पाती थी लेकिन हर रोज कुछ श्लोक याद कर लेती थी और रोज उसका अध्ययन करती थी. इस तरह से उन्होंने गीता के 700 श्लोकों याद कर लिया था.
रतनबाई शुरू से पूजा-पाठ में लीन रहती थी. वह आज भले 105 साल की हो गई हैं लेकिन आज भी उनके अंदर वही जोश है जो 25 साल की उम्र था. वो रोज राक्तभाटा के प्रसिद्ध चारभुजा मंदिर सीढ़ियां चढ़कर जाती है. और अपने आराध्य की पूजा करती है. रतनबाई से हर किसी को प्ररेणा लेनी चाहिए.