रिपोर्ट-पवन कुशवाहा
किसी की मदत करने के लिए दौलत नही दिल की ज़रूरत -रामजी पांडे
नोएडा आम आदमी पार्टी के श्रमिक विकास संगठन के जिलाध्यक्ष व श्रमिक नेता रामजी पांडे लॉक डाउन के दो महीने गुजर जाने के बाद भी लगातार जरूरतमंदों की मदत करते नजर आ रहे है एक तरफ जहां लम्बे लॉककडाउन में प्रशाशन,सामाजिक संगठनों ने अब लोगो की मदत और राशन बांटने से अपने कदम पीछे खींच लिए है वही रामजी पांडे अभी भी जरूरत मन्दो की मदत कैसे कर पा रहे है यह सवाल तो बनता ही है जब कि उनकी आर्थिक स्थिति भी कोई खास मजबूत नही है इन्ही सब सवालों के जवाब लेने हम उनके घर ममुरा पहुंचे तो पता चला कि वह 3 नम्बर गली में किसी जरूरतमंद को राशन पहुचाने गए है यह मौका अच्छा था में और मेरी टीम के सदस्य तुरन्त 3 नम्बर गली पहुचे तो उनसे मुलाकात हो गयी उनसे मेरा पहला सवाल यही था कि सर लॉक डाउन के दो महीने के बाद भी आप लोगो की मदत कैसे कर पा रहे है ।इसके जबाब में उन्होंने बताया कि जब मुझे किसी जरूरतमंद की सूचना मिलती तो मैं उसकी मदत करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेता हूँ कि वह शख्स वाकई जरूरत मन्द है या नही अगर है तो कितना फिर उसकी जरूरत के हिसाब से उसे15 दिन या एक महीने का राशन पहुंचवा देता हूँ।उनके उस जवाब के तुरन्त बाद मैंने दूसरा सवाल दागा की मेरी जानकारी के अनुसार आपको दो महीने से ऊपर लोगो की मदत करते हो गया है तो फिर आप उनके लिए इसकी व्यवस्था करते कैसे है इस पर उनका कहना था कि भाई किसी की मदत करने के लिए दौलत की नही दिल की जरूरत होती है बस यही कारण है मैं आज भी लोंगो की मदत कर पा रहा हूँ इस कोरोना माहमारी में दिक्कत और परेशानी तो मुझे भी हुई लेकिन मैंने हार नही मानी जबतक मेरे पास मेरे बचत के पैसे रहे तब तक लोगो की मदत करता रहा लेकिन जब मेरे पास भी पैसे खत्म हो गए तो मैं परेशान हो गया क्योंकि लोगो की परेशानियां मुझसे देखी नही जाती सके बाद काफी सोच विचार कर मैंने अपने दोस्तो और जानने वालों से बात करनी सुरु की और जल्द ही उसका भी हल मिल गया जब मुझे किसी जरूरतमंद की सूचना मिलती है तो मैं उस जरूूूरत मंद की जरूरत के अनुरूप समान की लिस्ट बना करअपने जानने वालों को दिखाता हूँ और फिर सभी लोग थोड़ा थोड़ा पैसा मिलाकर चंदा करते है और उन्ही पैसों से जरूरतमंद व्यक्ति को समान दिलवा देते है इससे किसी की मदत भी हो जाती है और इस तरह किसी एक पर भारी बोझ भी नही पड़ता इस तरह हम आज भी लोंगो की मदत कर पा रहे है लेकिन सच कहूं तो अब मेरा भी हौंसला टूटने लगा है देखते है ईस्वर कब तक हमे इस लायक रखता है।