सवाई माधोपुर/ मलारना डूंगर रिपोर्ट@ चंद्रशेखर शर्मा। संपूर्ण राज्य में शुक्रवार को मनरेगा कार्यो की एक साथ शुरुआत हुई। जिसका विभिन्न अधिकारियों द्वारा निरीक्षण भी किया गया। इसी क्रम में मलारना डूंगर उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत मलारना चौड़ में भी मनरेगा के तहत संचालित कार्य स्थलों का शुक्रवार को जल संसाधन विभाग सवाई माधोपुर के अधिशासी अभियंता केदार लाल मीणा द्वारा निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने श्रमिकों को राज्य सरकार से प्राप्त निर्देशानुसार प्रातः 6 बजे से 11 बजे तक ठंड के समय में ही अपना कार्य पूरा करने साथ ही कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क का सुचारु रुप से उपयोग करने, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने जैसी बातों को लेकर आवश्यक सुझाव दिए। तथा मेटों को फर्जीवाड़े से सावधान रहने की भी हिदायत दी गई।
इस दौरान सभी कार्य स्थलों पर प्रथम कार्य दिवस होने के कारण श्रमिकों की संख्या कुल संख्या में से आधी से भी कम रही। मीडिया को अवलोकन के दौरान पीलू डंड तलाई पर 178 में से 77, नेनूका तलाई पर 63 में से 36 व धर्म का दाबरा तलाई पर 75 में से 50 श्रमिक ही उपस्थित पाए गए। सबसे महत्वपूर्ण पहलू तो यह है, कि सभी मनरेगा
कार्य स्थलों पर छाया- पानी का किसी भी प्रकार का कोई उचित प्रबंध नहीं मिला। स्थानीय ग्राम पंचायत प्रशासन की अनदेखी व लापरवाही की वजह से श्रमिक 38 डिग्री के तकरीबन तापमान में बिना छाया के जहां आराम करते समय अपने सिर पर फावड़े व लोहे की परात रखकर चिलचिलाती धूप से बचने का प्रयास करते हुए दिखाई दिए ,तो कुछ श्रमिकों ने पीपल के पेड़ की ओट में बैठ तेज गर्मी से बचने का प्रयास किया। वहीं शुद्ध पेयजल के अभाव में जहां एक-दो जगहों पर श्रमिक गंदा पानी पीने को मजबूर थे तो, दूसरी जगह श्रमिकों के लिए पीने के लिए पानी तक नसीब नहीं था। जानकारी के लिए बता दें कि, जहां पीलू डंड और मालवाली तलाई कार्य स्थलों पर श्रमिकों द्वारा दूषित जल का पीने में उपयोग किया जा रहा था, वहीं कार्य स्थल नेनूका वाली तलाई पर छाया की उचित व्यवस्था नहीं होने से श्रमिकों को मजबूरन धूप में ही बैठने को विवश होना पड़ रहा था। जबकि राज्य सरकार के स्पष्ट आदेश है ,कि मनरेगा कार्य स्थलों पर कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए भीषण गर्मी को देखते हुए ठंण्डे व शुद्ध पेयजल की व्यवस्थार्थ पानी के मटके या पानी की केन तथा छाया के उचित प्रबंधन के लिए टेन्ट लगाने तक की व्यवस्था है, जिसको लेकर राज्य सरकार व जिला कलेक्टर सवाई माधोपुर नन्नू मल पहाड़िया तक ने आदेश जारी किए हुए हैं, ताकि कोई भी श्रमिक छाया- पानी के अभाव में बीमार ना पड़े। लेकिन यहां लापरवाही का तो यह आलम था कि, मनरेगा कार्य स्थलों पर ना तो किसी श्रमिक के पास मास्क उपलब्ध थे, ना ही बीमार होने की स्थिति में फर्स्ट एड बॉक्स की भी कोई व्यवस्था थी। दवाओं के अभाव में चार कार्य स्थलों में से दो जगह पर तो पहले दिन ही दो महिला श्रमिकों को उल्टी चक्कर की शिकायत भी हुई, लेकिन उन्हें किसी प्रकार का उपचार नहीं मिला। मनरेगा कार्य स्थलों पर अधिकांश जगहों पर महिलाएं ही श्रमदान करती हुई नजर आई, जबकि पुरुष वर्ग का श्रमदान में आंशिक सहयोग ही दिखाई दिया।जिसकी महिला श्रमिकों के द्वारा मौके पर मीडिया व निरीक्षणकर्ता अधिकारी से भी शिकायत की गई। मनरेगा कार्य स्थलों पर सुविधाओं की अपर्याप्तता को लेकर जब स्थानीय ग्राम पंचायत सचिव जगराम मीणा से दूरभाष पर बात की गई तो मीणा ने बताया कि आज कार्य का प्रथम दिवस है, जिसके चलते कुछ असुविधाएं जरुर हुई है, जिन्हें आगामी दिनों में दुरुस्त कर लिया जाएगा। मीणा ने बताया कि शनिवार से सभी कार्य स्थलों पर पीने के पानी व छाया की माकूल व्यवस्था के साथ ही सैनिटाइजर व मास्क के साथ-साथ श्रमिकों के बीमार होने की स्थिति में आवश्यक दवा की उपलब्धता हेतु फर्स्ट एड बॉक्स का भी ग्राम पंचायत प्रशासन द्वारा इंतजाम कर दिया जाएगा। इस अवसर पर कुछ श्रमिकों द्वारा लिस्ट में नाम होने के बावजूद भी नरेगा कार्य में शामिल नहीं किए जाने व सूची से नाम काटने जैसी शिकायतें भी प्राप्त हुई। प्रथम दिवस होने के कारण श्रमिक सटिक जानकारी के अभाव में जहां कार्यस्थल पर देरी से पहुंचे तो कुछ प्रतिशत लोगों को अपने काम के बारे में ही पता नहीं चला, जिसके चलते कार्यस्थलों पर उनकी उपस्थिति नदारद रही।यही वजह रही की शनिवार को श्रमिकों की संख्या आधी के बराबर रही।