आदमी इसलिए भी दुखी रहता है क्योंकि वो मकान, शहर, देश, वस्त्र, संबंध सब कुछ बदलता है मगर अपना स्वभाव नहीं बदल पाता। और सच कहें तो स्वभाव से ही आदमी सुखी और दुखी बनता है।
वो स्वभाव ही तो था जब भरी सभा में दुर्योधन ने भगवान श्रीकृष्ण को दूत कहकर संबोधित करते हुए बंदी बनाने का आदेश दे डाला। शिशुपाल उन्हीं श्रीकृष्ण कि अग्रपूजा का विरोध करते हुए उनका उपहास करने लगा मगर अपमान और उपहास की इन घड़ियों में भी वो द्वारिकाधीश अपनी मंद - मंद मुस्कुराहट बिखेरते रहे।
सत्य कहा गया है कि व्यक्ति में सुंदरता की कमी हो तो अच्छे स्वभाव से पूरी की जा सकती है मगर अच्छे स्वभाव की कमी हो तो सुंदरता से उसकी पूर्ति कभी नहीं की जा सकती है। चेहरे की सुंदरता तो प्रकृत्ति पर निर्भर होती है मगर स्वभाव की सुंदरता आपकी प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। चेहरे की सुंदरता जहाँ केवल आँखों में उतर पाती है, स्वभाव की सुंदरता वहीं दिल तक उतर जाती है।