शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं। कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं, शनिदेव हर एक बुरे काम का फल मनुष्य को जरूर देते हैं। इसलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है।
माता छाया और सूर्य देव के पुत्र शनिदेव को आमतौर पर केवल नकारात्मकता के रूप में ही देखा जाता है लेकिन व्यक्ति के जीवन में शनि के बहुत से सकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। शनि को संतुलन और न्याय का ग्रह कहा जाता है। माना जाता है व्यक्ति द्वारा किये गए सभी अच्छे बुरे कर्मों का फल देने का काम शनिदेव ही करते हैं। इस वजह से उन्हें कर्मफलदाता भी कहा जाता है।’
हर शनिवार शनि देवता कि पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है। हर शनिवार मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाएं। ध्यान रखें कि यह दीया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने रखे।
अगर आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के आगे तेल का दीया जलाएं। अगर वो भी ना हो तो सरसों का तेल गरीब को दान करें।
शनि पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें। उनकी मूर्ति पर सिन्दूर लगाएं और केला अर्पित करें।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए दान बहुत अच्छा माना जाता है खासकर काली वस्तुओं का। अगर आप भी शनिदेव के किसी दंड को भोग रहे हैं तो काली वस्तुओं का दान करना शुरू कर दें। इसमें आप काले कपड़े, काले तिल, काली उड़द और सरसों का तेल आदि को सम्मिलित कर सकते हैं। अगर आप सामथ्र्यवान हैं तो इस दिन लोहा भी दान करें। शनि देव इससे बहुत प्रसन्न होते हैं।
इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। माना जाता है हर शनिवार पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से आपके कष्ट कम हो जाते हैं और आपको धन-धान्य की प्राप्ति होती है।