नई दिल्ली विश्वव्यापी इस कोरोना महामारी संकट में शायद ही देश का कोई वर्ग अछूता रहा हो क्योंकि इस वैष्विक माहमारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुकी है।और इस कोरोना रूपी दानव ने श्रमिकों और किसानों का जीना दुस्वार कर दिया है यह कहना है आप के श्रमिक नेता रामजी पांडे का उन्होंने कहा कि जो श्रमिक ,मजदूर अपनी मेहनत से उधोगपति की किस्मत चमका देता है ,और ऊंची ऊंची इमारतें खड़ी कर देता है आज वही एक एक रोटी के लिए तरस गया वह श्रमिक ही है जिसको सर पे छत के लिए सैकड़ों किलोमीटर अपने बच्चों और परिवार के साथ पैदल चलने को मजबूर होना पड़ा और सरकारें हमेशा की तरह इसकी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालकर अपनी जिम्मेदारी से बचती रही और जब तक सरकारें जागी तक तक दर्जनों श्रमिकों की जान चली गयी। रामजी पांडे ने कहा कि पूरे समाज और देश के लिए खाद्य सामग्री का उत्पादन करने वाला किसान आज अपना उत्पादन बेहद कम मूल्य पर देने को मजबूर है इस समय मक्के की फसल तैयार होकर मंडियों में जाने लगी है उसका मूल्य वैसे माने तो सरकार की नजरों में बहुत है परंतु जमीनी स्तर पर 12 सौ के आसपास प्रति कुंटल किसान को दिया जा रहा है जबकि पिछली वर्ष सोलह सौ के आस पास मक्के का रेट रहा था।श्रमिक नेता ने कहा इस वैश्विक माहमारी में किसान और श्रमिकों की कमर बुरी तरह से टूट चुकी है जब तक निर्माण कर्ता और उत्पादन कर्ता मजबूत नही होगा देश को मजबूत करने की बात करना बेमानी होगा ।इशलिये सरकारों को आगे बढ़कर अति सीघ्र इनकी मदत करनी चाहिए।