वैसे तो हमारे देश और सनातन हिन्दू धर्म मे अनगिनत रहस्य और चमत्कारिक बातें हैं जो विज्ञान भी सभझने में असमर्थ है।
आइए आज हम महादेव शिव के 5 रहस्यमयी और चमत्कारिक स्थलों को जानते हैं।
*महादेव शिव के ५ रहस्यमयी मंदिर :-*
*केदारनाथ :-*
एक ऐसा चमत्कारी मन्दिर जो हर आपत्ति को मात दे देता है, जिसका निर्माण पांडवों द्वारा हुआ बताया जाता है,
2013 की प्रलय में भी जब मन्दिर के आस- पास सब कुछ जलमग्न था मंदिर का कुछ नहीं बिगड़ा, ये विश्व का सबसे बड़ा चमत्कार था...ये ईश्वरीय लीला नहीं तो क्या है ?
*अचलेश्वर महादेव मंदिर :-*
राजस्थान के धौलपुर में स्थित यह मंदिर दुर्गम जंगलों में स्थित है। कहते हैं कि
इस मंदिर का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। प्रात: इस शिवलिंग का रंग लाल होता है। दोपहर में केसरिया और जैसे-जैसे शाम होती है इसका रंग सांवला हो जाता है।
इस शिवलिंग की अनोखी बात यह है कि इस शिवलिंग का नीचे कोई छोर नहीं है।
*भूतेश्वर महादेव :-*
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गरियाबंद जिला में एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसे भूतेश्वर महादेव कहा जाता है। मान्यता है कि हर साल यह शिवलिंग 6-8 इंच तक बढ़ जाता है। कहते हैं यहां पर भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है, मनोकामना पूरी होने पर दौबारा यहां आकर भगवान को धन्यवाद करने की परंपरा है।
*स्तंभेश्वर महादेव मंदिर :-*
गुजरात में वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-कंबोई गांव का यह मंदिर अलग ही विशेषता रखता है।
मंदिर अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर स्थित है। इस तीर्थ का उल्लेख ‘श्री महाशिवपुराण’ में रुद्र संहिता भाग-2, अध्याय 11, पेज नं- 358 में मिलता है।इस मंदिर के 2 फुट व्यास के शिवलिंग का आकार चार फुट ऊंचा है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर सुबह और शाम दिन में दो बार के लिए पलभर के लिए गायब हो जाता है।
ऐसा ज्वारभाटा आने के कारण होता है। इस मंदिर से तारकासुर और कार्तिकेय की कथा जुड़ी हुई है। सागर संगम तीर्थ पर विश्वनंद स्तंभ की स्थापना की। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खासतौर से परचे बांटे जाते हैं, जिसमें ज्वार-भाटा आने का समय लिखा होता है।
*टूटी झरना मंदिर :-*
झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित टूटी झरना नामक शिव को समर्पित यह मंदिर बेहद अद्भुत है यहां शिवलिंग का जलाभिषेक कोई और नहीं बल्कि स्वयं मां गंगा करती हैं। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग का जलाभिषेक साल के बारह महीनें और चौबीसों घंटे स्वयं मां गंगा द्वारा किया जाता है। मां गंगा द्वारा शिवलिंग की यह पूजा सदियों से निरंतर चलती आ रही है।