भोपाल 15 मई । मध्य प्रदेश मैं भाजपा खरीद-फरोख्त कर सरकार मैं आते ही अपने रंग दिखाने प्रारंभ कर दिए श्रम कानूनों में बदलाव कर मध्य प्रदेश सरकार ने काम के घंटों को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर श्रम कानूनों में बदलाव की घोषणा कर श्रमिक विरोधी बदलाव कर दिए हैं
राज्य सरकारों द्वारा औद्योगिक विवाद अधिनियम और कारखाना अधिनियम, 'पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट 1936' सहित प्रमुख अधिनियमों में संशोधन किए हैं. ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 को 3 साल के लिए रोक दिया गया है| श्रमिकों के 38 कानूनों में बदलाव किये है जिससे ILO कन्वेंशन 87), सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार (ILO कन्वेंशन 98), ILO कन्वेंशन 144 और साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत आठ घंटे के कार्य दिवस का घोर उल्लंघन हो रहा है ।
*पंकज सिंह ने कहा कि* राज्य सरकारों द्वारा लेबर कानून के बदलाव से मुख्य संभावित खतरे पैदा हो गए हैं ।
1. उद्योगों को सरकारी व् यूनियन की जांच और निरीक्षण से मुक्ति देने से कर्मचारियों/ श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा.
2. शिफ्ट व कार्य अवधि में बदलाव की मंजूरी मिलने से कर्मचारियों / श्रमिकों को बिना साप्ताहिक अवकाश के प्रतिदिन 8 घंटे से ज्यादा काम करना पड़ेगा । जो कि 8 घंटे काम के एक लम्बी लड़ाई के बाद प्राप्त हुए थे ।
3.श्रमिक यूनियनों को मान्यता न मिलने से कर्मचारियों / श्रमिकों के अधिकारों की आवाज कमजोर होगी और पूंजीपतियों का मनमानापन बढ़ेगा . मजदूरों के काम करने की परिस्थिति और उनकी सुविधाओं पर ट्रेड यूनियन कि दखल /निगरानी खत्म हो जाएगी.
4. उद्योग-धंधों को ज्यादा देर खोलने से वहां श्रमिकों को डबल शिफ्ट करनी पड़ेगी जिससे शोषण बढ़ेगा ।
5. पहले प्रावधान था कि जिन उद्योग में 100 या ज्यादा मजदूर हैं, उसे बंद करने से पहले श्रमिकों का पक्ष सुनना होगा और अनुमति लेनी होगी. अब ऐसा नहीं होगा. इससे बड़े पैमाने पर श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा | उद्योगों में बड़े पैमाने पर छंटनी और वेतन कटौती शुरू हो सकती है.
6. अब कानून में छूट के बाद ग्रेच्युटी देने से बचने के लिए उद्योग, ठेके पर श्रमिकों की हायरिंग बढ़ा सकते हैं। जिससे बड़ी संख्या में बेरोजगारी बढ़ेगी ।
7-मालिक श्रमिकों को उचित वेंटिलेशन, शौचालय, बैठने की सुविधा, पीने का पानी, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, सुरक्षात्मक उपकरण, कैंटीन, क्रेच, साप्ताहिक अवकाश और आराम के अंतराल प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं होंगे, जो कि श्रमिकों के मूल अधिकार थे।
श्रमिक विकास संगठन(SVS) असंवैधानिक तरीके से श्रमिक कानून में किए गए बदलाव का पूर्णत: विरोध जताते हुए मज़दूरों के हक़ की लड़ाई लड़ रही है
आज संगठन के सभी पदाधिकारियों/ सदस्यों द्वारा देशव्यापी सत्याग्रह "सामूहिक उपवास किया गया| अगले चरण में तानाशाही सरकार के खिलाफ 1 जून से देशव्यापी आंदोलन शुरू होगा|
नसीम जावेद