हकीकत का आईंना
विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका को भारत की विकास दर को बढ़ाने में मदद करनी चाहिए।
चीन के साथ शुरू हो रहे नए शीत युद्ध में भारत, अमेरिका का नेचुरल सहयोगी है।
"संपन्न, ताकतवर और लोकतांत्रिक भारत ही चीन के गलत मंसूबों को नाकाम करेगा।" चीन और अमेरिका में मौजूदा दौर में तनाव बहुत बढ़ा हुआ है।
दोनों देशों में कोरोनावायरस, हॉन्गकॉन्ग में नया सुरक्षा कानून और दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों को लेकर टकराव बढ़ गया है।
टेक्सास से रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कॉर्निन ने गुरुवार को ट्वीट किया।
इसके साथ ही उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल में विदेश मामलों के जानकार वॉल्टर रसेल मीड के एक लेख को शेयर किया, इसमें कहा गया है कि अमेरिका को भारत की विकास दर को उठाने में मदद करनी चाहिए। यह अमेरिका की विदेश नीति का पहला लक्ष्य होना चाहिए।
भारत हमारा नेचुरल सहयोगी :-
रसेल मीड लिखा, ‘‘अमेरिका ने लोकतांत्रिक देशों को अमीर बनाने में मदद करके शीत युद्ध में जीत हासिल की थी। अब उसी रणनीति को दोबारा से शुरू करने का समय है और भारत वह जगह है, जहां से इसकी शुरुआत होनी चाहिए।’’ मीड ने कहा कि चीन के साथ नए शीत युद्ध में भारत, अमेरिका का नेचुरल सहयोगी है।
भारतीय इकोनॉमी को तेज धक्के की जरूरत :-
मीड ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी जब तक भारत की इकोनॉमी को तेज धक्का नहीं लगातीं, तब तक विकास दर स्थिर रहेगी। ऐसे में यह हर साल एक नियत दर से बढ़ेगी, जिससे भारत चीन से बहुत पीछे हो जाएगा। यह भारत और एशिया दोनों के लिए अच्छा नहीं होगा। भारत में अगर विकास दर तेजी से बढ़ेगी तो कई लोग गरीबी से बाहर निकलेंगे, लेकिन भारतीय समाज शासन के लिहाज से बहुत कठिन है। वहां सुधारों को लागू करने में बहुत कठिनाई होती है।
कोरोना की आड़ में चीन अपना एजेंडा बढ़ा रहा :-
चीन कोरोना महामारी की आड़ में भारत, ताइवान, हॉन्गकॉन्ग और साउथ
चाइना सी (दक्षिण चीन सागर) पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। इन जगहों से चीन का लंबे समय से विवाद है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस पर विश्लेषण किया है।
इसमें विशेषज्ञों ने कहा है कि कोरोना के इस दौर में जहां अमेरिका, लैटिन अमेरिका और यूरोप संक्रमण से जूझ रहे हैं, वहीं, चीन अपने एजेंडे में आगे बढ़ रहा है। जिन मुद्दों पर चीन को तमाम देशों से विरोध का सामना करना पड़ता है, उन्हें वह कोरोना की आड़ में हल करना चाहता है।