आज२५मई से नव दिन तक तेज भीषण गर्मी के साथ शुरू हो रहा है नवतपा पर विशेष-के सी शर्मा
सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही नौतपा शुरू हो जाता है,
आज सूर्य 25 जून से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता हैं-
आज 25 मई से 2 जून तक नवतपा माना जायेगा
प्रतिवर्ष 25 मई से एक प्राकर्तिक खगोलीय घटना होती है जिसे नौतपा कहते हैं।
ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि यानी 25 मई को सूर्य कृतिका से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा और 8 जून तक इसी नक्षत्र में रहेगा।
सूर्य के नक्षत्र बदलते ही नौतपा शुरू हो जाएगा।
इसकी वजह यह है कि इस दौरान सूर्य की लंबवत किरणें धरती पर पड़ती हैं। लेकिन इस बार शुक्र तारा अस्त होने से इसका प्रभाव कम रहेगा।
क्या होता है नौतपा, इसे समझते हैं।
सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही नौतपा शुरू हो जाता है, विगत कुछ वर्षों से सूर्य नारायण लगभग 25 मई को ही रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर रहे थे इस वर्ष भी सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में 24 मई की रात्रि को 2 बजकर 32 मिनट पर प्रवेश करेगें जो 8 जून तक इसी नक्षत्र में रहेगा।
इन दिनों के प्रथम 9 दिन यानी
25 मई से 2 जून तक नवतपा माना जायेगा।
नौतपा साल के वह 9 दिन होते है जब सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक रहता है जिस कारण से इन 9 दिनों में भीषण गर्मी पड़ती है इसी कारण से इसे *नौतपा* कहते हैं।
ज्योतिष गणना के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार, इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है। कई ज्योतिषी मानते हैं कि यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।
सूर्य के वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक नौतपा कहलाता है। इस दौरान तेज गर्मी रहने पर बारिश के अच्छे योग बनते है। सूर्य 8 जून तक 23 अंश 40 कला तक रहेगा।
दरअसल रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा होता है। सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक माना जाता है जबकि चंद्र शीतलता का प्रतीक होता है। सूर्य जब चंद्र के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो सूर्य इस नक्षत्र को अपने प्रभाव में ले लेता है जिसके कारण ताप बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस दौरान ताप बढ़ जाने के कारण पृथ्वी पर आंधी और तूफान आने लगते है।
इन दिनों में शरीर तेज़ी से *डिहाइड्रेट* होता है जिसके कारण डायरिया, पेचिस, उल्टियां होने की संभावना बढ़ जाती है अतः नीम्बू पानी, लस्सी, मट्ठा (छांछ), खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजे का भरपूर प्रयोग करें, बाहर निकलते समय सिर को ढक कर रखें अन्यथा बाल बहुत तेज़ी से सफेद होंगे, झड़ेंगे।
एक दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार चंद्रमा जब ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो एवं तीव्र गर्मी पड़े, तो वह नवतपा है। मानना है कि सूर्य वृष राशि में ही पृथ्वी पर आग बरसाता है और खगोल शास्त्र के अनुसार वृषभ तारामण्डल में यह नक्षत्र हैं कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा (वृषभो बहुलाशेषं रोहिण्योऽर्धम् च मृगशिरसः) जिसमें कृतिका सूर्य, रोहिणी चंद्र, मृगशिरा मंगल अधिकार वाले नक्षत्र हैं इन तीनों नक्षत्रों में स्थित सूर्य गरमी ज्यादा देता है ।
अब प्रश्न यह कि इन तीनों नक्षत्रों में सर्वाधिक गरम नक्षत्र अवधि कौन होगा इसके पीछे खगोलीय आधार है इस अवधि मे सौर क्रांतिवृत्त में शीत प्रकृति रोहिणी नक्षत्र सबसे नजदीक का नक्षत्र होता है।
जिसके कारण सूर्य गति पथ में इस नक्षत्र पर आने से सौर आंधियों में वृद्धि होना स्वाभाविक है इसी कारण परिस्थितिजन्य सिद्धांत कहता है कि जब सूर्य वृष राशि में रोहिणी नक्षत्र में आता है उसके बाद के नव चंद्र नक्षत्रों का दिन नवतपा है ।
*नौतपा की पौराणिक परंपरा:-*
परंरपरा के अनुसार नौतपा के दौरान महिलाएं हाथ पैरों में मेहंदी लगाती हैं। क्योंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होने से तेज गर्मी से राहत मिलती है। इन दिनों में पानी खूब पिया जाता है और जल दान भी किया जाता है ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो। इस तेज गर्मी से बचने के लिए दही, मक्खन और दूध का उपयोग ज्यादा किया जाता है। इसके साथ ही नारियल पानी और ठंडक देने वाली दूसरी और भी चीजें खाई जाती हैं।
*शुक्र तारा अस्त होने का प्रभाव:-*
इस बार नौतपा के दौरान 30 मई को शुक्र ग्रह वक्री होकर अपनी ही राशि में अस्त हो जाएगा और सूर्य के साथ रहेगा। रोहिणी नक्षत्र का का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। सूर्य के साथ शुक्र भी वृषभ राशि में रहेगा। शुक्र रस प्रधान ग्रह है, इसलिए वह गर्मी से राहत भी दिलाएगा। इसलिए देश के कुछ हिस्सों में बूंदाबांदी और कुछ जगहों पर तेज हवा और आंधी-तूफान के साथ बारीश होने की संभावना ज्यादा है। नौतपा के आखिरी दो दिन तेज हवा-आंधी चलने व बारिश होने के भी योग बन रहे हैं। वराहमिहिर के बृहत्संहिता ग्रंथ में ने बताया है कि ग्रहों के अस्त होने से मौसम में बदलाव होता है।
*बारिश के योग:-*
इस वर्ष प्रमादी नामक संवत्सर के राजा बुध है और रोहिणी का निवास संधि में है। इससे बारीश तो समय पर आ जाएगी लेकिन कहीं पर ज्यादा तो कहीं पर कम बारिश हो सकती है। इस बार देश के रेगिस्तानी और पर्वतीय इलाकों में ज्यादा बारीश हो सकती है। बारीश के कारण अनाज और धान की पैदावार अच्छी रहेगी। धान्य, दूध व पेय पदार्थों में तेजी रहेगी। जौ, गेहूं, राई, सरसों, चना, बाजरा, मूंग की पैदावार आशानुकूल होगी।
ॐ अर्काय नमः