यह तेलंगाना का रामप्पा मंदिर है, यह मंदिर तमाम आपदाओं को झेलने के बाद भी आजतक सुरक्षित है ।छह फीट ऊंचे प्लैटफॉर्म पर बने इस मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्य उकेरे हुए हैं। मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की एक भी मूर्ति है, जिसकी ऊंचाई नौ फीट है। यह रामायण और महाभारत के दृश्य एक ही पत्थर पर उकेरे गए है, वह भी छीनी हथोड़े से, आप बनाते समय की कल्पना कीजिये, एक हथौड़ा गलत पड़ा, ओर महीनों सालों की मेहनत खराब ....
आज तक इस मंदिर में कौई नुकसान नही हुआ है, मंदिर के न टूटने की बात जब पुरातत्व वैज्ञानिकों को पता चली, तो उन्होंने मंदिर की जांच की। पुरातत्व वैज्ञानिक अपनी जांच के दौरान काफी कोशिशों के बाद भी मंदिर की मजबूती का कारण पता लगाने में कामयाब नहीं हुए।
बाद में जब पुरातत्व वैज्ञानिकों ने मंदिर के पत्थर को काटा, तब पता चला कि यह पत्थर वजन में काफी हल्के हैं। उन्होंने पत्थर के टुकड़े को पानी में डाला, तब वह टुकड़ा पानी में तैरने लगा। पानी में तैरते पत्थर को देखकर मंदिर की मजबूती का राज पता चला।
सबसे बड़ा रहस्य यह है, की इस मंदिर में जो पत्थर मिले है, वह पत्थर दुनिया के किसी कोने में नही मिले है, यह पत्थर कहाँ से लाये गए, आज तक इसका पता नही चल पाया है ।।
एक निवेदन -- हम सबको मिलकर हमारे भारत की इन अमूल्य धरोहरों का प्रचार जन जन तक करना चाहिए, इसका इतना प्रचार हो, की पूरी दुनिया की नजर इनपर पड़े , ओर वह भारत की महान संस्कृति पर गर्व करें ।।