हकीकत का आईंना
कल पूरे शराब की दुकानों पर जो अफरा-तफरी का माहौल देखा उससे यह साबित हो गया कि 40 दिनों के लॉक डाउन का पानी फिर जाएगा।
ना जाने शराब और पान-गुटखा कब से Eseential Goods में आ गए ?
जिस विशेषज्ञों की सलाह मानकर लॉक डाउन के समय मे शराब की दुकानें खोलने का आदेश सरकार देती हैं आज उसका परिणाम पूरे देश ने देखा।
शराब की दुकानें Unlock (अनलॉक) होने के बाद.... शराब की दुकानों के बाहर उमड़ी भीड़ के कारण सोशल डिस्टन्सिंग की धज्जियाँ उड़ रही हैं,
पूरे देश ने "लॉक डाउन" के सवा महीने में जो कमाया है, वो शराब की दुकानों के चक्कर में गँवा ना बैठें!
यह समझने वाली बात है कि शराब की दुकानें खुलवाने की इतनी क्यों जल्दबाजी थी?
लॉक डाउन समय मे जब सभी धर्मों के धर्मस्थान नही खुल सकते तो शराब की दुकाने खुलवाने के आदेश क्यो?
क्या शराब के बिना व्यक्ति जिंदा नही रह सकता?
ना जाने शराब और पान-गुटखा कब से Eseential Goods में आ गए ?
लॉक डाउन के चलते शराब की दुकानें खुलवाने के पीछे जिस जिस विशेषज्ञों का दिमाग काम कर गया, क्या उसके पीछे भी बहुत कुछ दिमाग और दबाव तो नही था?
क्योंकि भारत मे 60% से ज्यादा कथित राजनेता प्रत्यक्ष या परोक्ष शराब माफिया ओ के माध्यम से ही राजनीति में आते है...
इन सब ने शराब की दुकाने खुलवाने के लिए अपने तंत्र को काम पर लगाया और दबाब बनाने में सफल रहे...
राजस्व नुकसान का हवाला देकर... बहुत से तर्क दिए होंगे इन लोगो ने....
ये शराब माफिया बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली है..., ये सरकारे बना भी सकते है गिरा भी सकते है...
सवाल उठता है कि...
शराब के ठेके खोलकर इटली वाली गलती को तो हम नही दोहरा रहे है?