नेशनल /कैलाश पर्वत देखने में जितना सुंदर है उतना ही ज्यादा यह रहस्यमयी भी है।
कैलाश पर्वत के साथ ना जाने कितने रहस्य जुड़े हुए हैं – एक रहस्य यह है कि आखिर क्यों कोई इस पर्वत पर आज तक नहीं चढ़ पाया।
कैलाश पर्वत के सारे रहस्य एक पोस्ट में बता पाना संभव नहीं है। फिर भी मैं कैलाश पर्वत के कुछ रहस्य प्रस्तुत कर रही हूँ –
कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6638 मीटर है।
और इस पर एक सीमा के बाद ऊपर चढ़ना असंभव माना जाता है।
अब एक थ्योरी सामने आ रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि हो सकता है कि कैलाश पर्वत अंदर से खोखला हो।
पहले भी कई वैज्ञानिकों ने अपनी- अपनी रिसर्च में पाया कि कैलाश पर्वत बहुत ही ज्यादा रेडियोऐक्टिव है।
और यह रेडियो एक्टिविटी पर्वत के चारों तरफ एक समान ही है। और ऐसा तभी संभव हो सकता है जब इसका स्रोत इस पर्वत का केंद्र हो।
वैसे तो कैलाश पर्वत को हमारे धर्म में सबसे पवित्र पर्वत माना जाता है।
और वेदों में भी कैलाश पर्वत की व्याख्या की गई है कि कैलाश पर्वत पर कोई भी अपवित्र आत्मा नहीं जा सकती।
क्योंकि इस पर भगवान शिव का निवास है।
कई वैज्ञानिक यह तक दावा करते हैं कि कैलाश पर्वत प्राकृतिक नहीं है, बल्कि इसे बनाया गया है।
बिल्कुल उसी तरह, जिस तरह से इजिप्ट में “पिरामिड” बनाए गए हैं।
पिरामिड भी अंदर से खोखले हैं। और उसके अंदर भी देवताओं की कई मूर्तियाँ रखी गई हैं। कैलाश पर्वत इससे भी लाखों साल पुराना है।
और समय के साथ यह और भी ज्यादा सख्त और रहस्यमय हो गया है।
अगर हम बात करें कैलाश पर्वत की स्थिति की तो यह नॉर्थ पोल से 6666 किलोमीटर दूर है।
और साउथ पोल से 13332 किलोमीटर, बिल्कुल दुगना नॉर्थ पोल से।
हमारे वेदों में भी कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र माना गया है। और अब वैज्ञानिक भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं।
एक रशियन प्रोफेसर “इंस्ट मँदोसय” ने अपने एक गहन रिसर्च में पाया कि हो सकता है कि कैलाश पर्वत के अंदर एक पूरा का पूरा शहर बसा हो।
इस पर्वत को इतिहास में बनाया ही इसलिए गया हो, ताकि भविष्य में भी इस सभ्यता को बाकी दुनिया से अलग रखा जा सके।
उस प्रोफेसर का यह भी दावा था कि इसके अंदर जाने का रास्ता इस पर्वत की चोटी पर हो सकता है।
क्योंकि एक वही ऐसी जगह है जहाँ पर जाना सबसे ज्यादा मुश्किल है।
हमारे वेदों में भी कहा गया है कि सिर्फ शुद्ध आत्मा ही कैलाश पर्वत पर पहुँच सकती है।
और कैलाश पर्वत पर पहुँचने के बाद स्वर्ग का रास्ता खुल जाता है।
तो अंत में हमारे मन में ही सवाल उठता है कि, क्या सच में कैलाश पर्वत के अंदर एक अलग ही सभ्यता निवास करती है?
और क्या सच में यह एक कुदरती पर्वत नहीं बल्कि अति विकसित विज्ञान की एक संरचना है?