बदायूँ महाराणा प्रताप जयंती के शुभ अवसर पर भारतीय हिन्दी सेवी पंचायत के बैनर तले एक अखिल भारतीय आनलाईन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रमोद दीक्षित 'मलय' बांदा ने की और मुख्य अतिथि हरिप्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट (अध्यक्ष, भारतीय हिन्दी सेवी पंचायत) रहे। कार्यक्रम का संचालन ओजस्वी कवि षटवदन शंखधार (बदायूं) ने किया
कार्यक्रम का शुभारम्भ महाराणा प्रताप के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। अनूप सत्यवादी लखनऊ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की |
तत्पश्चात प्रमोद दीक्षित मलय बांदा ने महाराणा प्रताप को याद करते हुए कहा कि प्रताप का जीवन भारतीय स्वाभिमान एवं शौर्य-पराक्रम की अमिट गाथा है, जीवंत प्रतीक है।
वह राजपूती मान-मर्यादा के रक्षक-पोषक थे। उनके रक्त का कण-कण और सांसों की प्रत्येक धड़कन देश और प्रजा की रक्षा के लिए समर्पित थी। आज हमें महाराणा प्रताप के मूल्यों एवं आदर्शों को जीवन में अपनाने की जरूरत है।
कौशाम्बी से रघुनाथ द्विवेदी ने महाराणा प्रताप जी के पराक्रम एवं स्वाभिमान में एक सुंदर मुक्तक प्रस्तुत किया :
मन हो चेतक तन हो प्रताप हो स्वाभिमान की रक्षा।
राणा प्रताप के जीवन से ली है हमने यह दीक्षा।
हर कर्म दक्ष,हर धर्म दक्ष चाहे थी अग्निपरीक्षा,
राणा प्रताप के जीवन से ली है हमने यह शिक्षा।
ललितपुर उ0 प्र0 के कवि शीलचन्द्र जैन 'शील ' ने अपनी भावांजलि प्रस्तुत करते हुए लिखा -
फङक उठीं तब सबल भुजाएँ, शत्रु की फाङने छाती ।
रणबांकुरे राणा ने रण में, रक्तिम की हल्दीघाटी ।।
शत्रु प्रवल था ,लङे शौर्य से , क्षत्रियोचित साहस न छोङा ।
समर क्षेत्र में बना सहायक, चेतक रणबांका घोङा ।।
बदायूं के कवि षटवदन शंखधार ने पढ़ा--------------
घास की जो रोटियां भी खाकर के जिन्दा रहा
स्वाभिमानी भरी जिन्दगानी को प्रणाम है
श्रेया द्विवेदी कौशांबी ने पढ़ा------------
हसीन तो बहुत होते हैं पर
सभी रानी पदमिनी जैसे नहीं होते
पूत तो सभी होते हैं पर
महाराणा प्रताप जैसे सपूत नहीं होते।
देश विदेश के कवि सम्मेलनों में प्रतिनिधित्व करने वाले कवि उमाकांत "प्राज्ञहंस" ने पढ़ा-
महाराणा प्रताप तुमको बारंबार नमन...
अभिलाषा मिश्रा (बिहार )ने पढ़ा कि
समर भूमि में तलवार का प्रहार क्या ही
कहते हैं राणा का तो अश्व भी कमाल था
अपने शिविर में ही भयभीत सैन्य दल
रहता सजग ऐसा टाप का भूचाल था
ओजस्वी कवि डां अनिरुद्ध अवस्थी जी ने पढ़ा-----------
मेवाड़ मान का उन्नायक।
रणवीरों का, प्रणवीरों का,
वीरों का वीर महा नायक ।
वनवासी जीवन जीकर भी, फहराया केसरिया निशान।
राणा प्रताप, राणा प्रताप, भारत माता का स्वाभिमान।
रीतु प्रज्ञा दरभंगा बिहार ने पढ़ा----------------
धन्य हुई भारतभूमि अवतरित कर वीर प्रताप ,
स्वाभिमान का हथियार थाम सहे सभी ताप
युगों-युगों तक गाए जाएंगे उनकी शौर्य गाथा
शीश झुकाकर करते रहेंगे हम उनको बारम्बार प्रणाम।
सीमा प्रधान बरेली ने पढ़ा :
जड़ से खो देते दुश्मन को नस्ले उसकी करती प्रलाप।
हल्दीघाटी के शूरवीर ऐसे थे वह राणा प्रताप।
बदायूं के सुनील कुमार शर्मा ने पढ़ा----------
संकट के काल में भी पथ से डिगा नहीं जो
एक व्रत धारी त्रिपुरारी का पुजारी था
भारत का महावीर हिन्दुओं का स्वाभिमान
मुगलों के लिए बना महाकाल भारी था
कवि कमल कालु दहिया ने पढा
ओ समर नाद रो सेवत
अकबर से लड़गयो
सगला अण रे विरोधी
मानसिंह पगा पड़गयो।
तत्पश्चात एस के कपूर" श्री हंस" अध्यक्ष, भारतिय हिंदी सेवा पंचायत, बरेली ने उक्त पंक्तियों से महाराणा प्रताप को नमन किया।
महाराणा प्रताप देश के गौरव अजर
अमर महान थे।
जो कभी न भूला जाये उस चित्तौड़
की संतान थे।।
अमित राज बिहार ने कहा-----++++
रण में राणा के पराक्रम का दृश्य था सतरंगी,
लड़ रहे थे ऐसे वे जैसे लड़ रहे स्वयं बजरंगी
हरगोविंद पाठक *दीन * ने पढ़ा ------------
युध्द भूमि में बजी तान एक प्रताप की तलवार की ।
चेतक की टापें दे गयी आवाज एक मल्हार सी।
अचिन मासूम ने पढ़ा ------------
""हे वीर शिरोमणि शक्तिपुंज अतुल तेज बल धारी,
हे क्रांति दूत राणा प्रताप जय जय हो सदा तुम्हारी!!
कविता चौहान (चंदौसी) ने पढ़ा --------
महाराणा प्रताप जैसे वीर।
हर हिन्दुस्तानी को प्यारा है।।
मेवाड़ी सरदार के चरणों।
में शत - शत नमन हमारा है।।
किशन लाल (राजस्थान ) ने पढ़ा---
अच्छे अच्छों को धूल चटा दी रे
महाराणा प्रताप ने सबको धूल चटा दी रे
इसके अलावा अनूप सत्यवादी लखनऊ ,डां सुरेश वी देसाई गुजरात , अनिल प्रजापति मध्य प्रदेश,डां उषा पाठक कनक मिर्जापुर,डां आनंद मिश्रा अधीर बदायूं, विष्णु गोपाल अनुरागी ,पवन शंखधार बदायूं, मनीष प्रेम आदि सबने देर रात तक काव्य पाठ किया और सभी नागरिकों ने बहुत सराहा और खूब उत्साहवर्धन किया साथ ही लाकडाउन का सही उपयोग भी बताया।
इस अवसर पर श्रोता के रूप में डॉ मनोज सेनानी, सीमा चौहान, डॉ सुशील कुमार सिंह, डॉ शैलेन्द्र कुमार सिंह, अखिलेश सिंह चौहान,आर्येन्द्र पाल सिंह, शिशुपाल सिंह, राकेश सिंह,अभय प्रताप सिंह, विजय भान सिंह आदि उपस्थित रहे।