तुलसी माता की महिमा आरती जप और वरदान



*जानिए, "तुलसी माता" के बताए गए नाम, जाप से मिलेंगे ये वरदान- के सी शर्मा*


तुलसी का जाप कल्‍याणकारी माना जाता है और साथ ही मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला भी। जानें कैसे करें तुलसी जाप कि मिले मनचाहा वरदान।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक तुलसी सिर्फ एक पौधा नहीं है बल्कि धरती के लिए वरदान है और इसी वजह से हिंदू धर्म में इसे पूज्यनीय माना गया है। आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है क्योंकि ये औषधि भी है और इसका नियमित उपयोग आपको उत्साहित, खुश और शांत रखता है। भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुलसी के पूर्ण नहीं मानी जाती। इसलिए तुलसी को विष्णुवल्लभा कहा गया है, यानी भगवान विष्णु की सबसे प्रिय।

जल चढ़ाते वक्त पढ़ें ये मंत्र और जरूर करें परिक्रमा
जल चढ़ाते वक्त आपको निम्नलिखित मंत्र पढ़ने चाहिए।
महाप्रसादजननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी। आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
इसके बाद तुलसी की परिक्रमा कीजिए और उसके बाद मां तुलसी का ध्यान कीजिए।
परिक्रमा 5, 11, 21 या 101 बार की जा सकती है।

तुलसी की पूजा में ये चीजें जरूरी हैं :-

तुलसी पूजा के लिए घी दीपक, धूप, सिंदूर, चंदन, नैवद्य और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। रोजाना पूजन करने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र रहता है।

दिव्य तुलसी मंत्र :-

इन मंत्रों का उच्चारण करते समय मां तुलसी का ध्यान करें।

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः ।
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।।

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।
विष्णु प्रियायै धीमहि।
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।