बाबा अमरनाथ की प्रमुख विशेषता यहां मौजूद पवित्र गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है और इसके दर्शन करने का काफी महत्व है। गुफा के ऊपर से बर्फ के पानी की बूंदे टपकती है। जिससे बनने वाले लगभग 10 फुट के पवित्र शिवलिंग के दर्शन करने हेतु यहां लाख श्रद्धालु पहुंचते है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे श्रावण माह में पवित्र शिवलिंग के दर्शन होते है। चन्द्रमा के घटने बढ़ने के साथ-साथ बर्फ से बने शिवलिंग के आकार में परिवर्तन होता है और अमावस्या तक शिवलिंग धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। अमरनाथ की गुफा में भगवान शिव ने अमरत्व का रहस्य बताया था। बताया जाता है कि भगवान शिव जब माता पार्वती को कथा सुनाने ले जा रहे थे तब उन्होंने अमरनाथ गुफा से लगभग 96 किलोमिटर दूर स्थित पहलगाव में भगवान शिव ने आराम किया था। उन्होंने अपने बैल नंदी को भी इसी जगह छोड़ा था। जिसके बाद उन्होंने छोटे-छोटे नागों को अनंतनाग में छोड़ दिया था। इसी तरह कपाल के चन्दन को चंदनबाड़ी में तथा पिस्सुओं को पिस्सू टापू पर तथा शेषनाग को शेषनाग पर छोड़ा था। अमरनाथ यात्रा के दौरान यह सभी स्थल रास्ते में आते है एवं इनके दर्शन करना किस्मत वालो को ही मिलता है। अमरनाथ के यात्रा का महत्व जितना समझा जाए उतना कम है।
*बाबा अमरनाथ का इतिहास :-*
बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए जाने वाले यात्री "बाबा बर्फानी की जय" के नारो के साथ आगे बढ़ते रहते है। अमरनाथ यात्रा को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी है। बताया जाता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को इसी अमरनाथ गुफा में अमर कथा सुनाई थी। बताया जाता है कि जिस दौरान भगवान शिव माता पार्वती को यह कथा सुना रहें थे उस समय उनके अलावा एक कबूतर का जोड़ा मौजूद था। जो यह सुनकर अमर हो गया एवं आज भी अमरनाथ के दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को यह कबूतर को जोड़ा दिखाई देता है। यह भी बताया जाता है कि भगवान शिव ने जब माता पार्वती को गुफा में सुनाई कथा में अमरनाथ यात्रा एवं उसके मार्ग में आने वाले स्थलों का वर्णन था। कई मान्यताओं एवं धार्मिक कथाओं के लबरेज बाबा अमरनाथ के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु काफी जद्दोजहद के साथ पहुंचते है एवं बाबा अमरनाथ के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य बनाते है।