आपने अनेकों रहस्यमयी स्थानों के बारे में सुना होगा, कुछ जगहें भूतिया होने से मशहूर हैं, तो कुछ पुरातन होने की वजह से मशहूर, हमारा देश ऐसे अनेक रहस्यों से भरा हुआ है,आज मैं आपको एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहा हूं, जो प्राचीन होने के साथ साथ रहस्यमयी भी है।
कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है की इस मंदिर का निर्माण एलियन ने किया था, लेकिन इसकी सच्चाई क्या है ये कोई नहीं जान पाया है, उस मंदिर का नाम है, कैलास मंदिर, ये मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है, इस स्थान पर अनेकों गुफाएं है, उनमे से कुछ बौद्ध गुफाएं है, कुछ जैन गुफाएं है और कुछ हिन्दू गुफाएं है एस कुल ३४ गुफाएं मौजूद है।
इस स्थान को विश्व में
*"एल्लोरा केव्स"*
के नाम से जाना जाता है, इन्ही गुफाओ में से १६ वीं गुफा में स्थित है कैलास मंदिर, सुन्दर कलाकृतियों का ये नमूना है, इस मंदिर को हर साल दुनिया भर से लोग देखने आते है, अनेक शोधकर्ता इस मंदिर के निर्माण के रहस्य को जानने के लिए आते है।
इस मंदिर को बनाने में कितना समय लगा होगा ये बता पाना आसन नहीं है, कुछ लोगो का मानना है की करीब करीब १५० से ज्यदा साल लगे होंगे। सिर्फ हतोड़ीऔर छैनी से इस पूरे मंदिर का निर्माण करना जैसे नामुमकिन सा लगता है, आज की टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जाये तो भी यह कार्य मुमकिन नहीं है, कहा जाता है की कुल २ लाख टन पत्थर काट कर बहार निकला गया है।
सबसे चौका देने वाली बात है की, आम तौर पर किसी भी वास्तु या मंदिर का निर्माण नीचे से ऊपर किया जाता है, लेकिन इस मंदिर का निर्माण ऊपर से नीचे किया हुआ है, जब आप इस मंदिर के ऊपर खड़े होक नीचे देखेंगे और गहराई नापने की कोशिश करेंगे तो आपके पसीने छूट जायेंगे।
जब हम इस मंदिर का निरीक्षण कर रहे थे, तब हमने देखा की बहुत सी मुर्तिया टूटी हुयी थी, इसका कारण जानने के लिए जब हमें स्थानिक प्रशासन से जानकारी ली तो पता चला की औरंगजेब नामक मुग़ल शासक ने इस मंदिर को ३ साल तक तोड़ने की कोशिश की थी, उसने हजारो लोगो को काम पे लगाया था, लेकिन वो इस मंदिर को तोड़ नहीं पाया, सिर्फ कुछ मूर्तियों को वे तोड़ पायें।
इस मंदिर में भगवान शिव का निवास स्थान कैलास का स्वरुप देने की कोशिश की गयी है, अनेक उल्लेखनीय कलाकृतियां नजर आती है, तीनो देवियों की सभा भी इस मंदिर में आप देख सकते है।
हाथी को हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है, और इसी कारण से उस जगह हाथी की बड़ी प्रतिमा नजर आती है, लेकिन वह टूटी हुई है।
भगवान् शिव के साथ साथ आपको अनेक देवताओं की भी मूर्तियां नजर आएँगी, भगवन विष्णु जी के अनेक अवतारों को यहापर दिखाया गया है, वराह अवतार, नरसिंह अवतार, वामन अवतार, राम अवतार, परशुराम अवतार, कुर्म अवतार, मत्स्य अवतार, ऐसे अनेक अवतारों को दिखाया गया है,अनेक जगह पर भगवन शिव और पार्वती संवाद करती हुयी दिखाई देती है, इन मूर्तियों में भगवान शिव, देवी पार्वती जी को ज्ञान दे रहे है।
उसी के साथ साथ इस मंदिर में रावण को भी दिखाया गया, है कैलास पर्वत को उठाते हुए रावन की मूर्तियां दीवारों में बनायीं गयी है, ये काम इतना सुन्दर है की देखने वाले लोगो का मन प्रसन्न हो जाता है।
इस भव्य मंदिर के मध्य में भगवन शिव का लिंग प्रस्थापित है, सभी लोग उसके दर्शन करने जाते है।
कुछ जगहों पर महाभारत के युद्ध और महाभारत की अनेक घटनाओं का उल्लेख करते हुए चित्र बनाये गए है।
मंदिर के ऊपर एक भव्य कमल पुष्प का निर्माण किया है, और उसके ऊपर ४ शेरों की मूर्तियां नजर आती है, स्थानीय लोग कहते है की ये शेर मंदिर के रक्षा कवच की तरह काम करते है।
लेकिन किसने किया ये सब, इस नामुमकिन से काम को आखिर बनाया किस तरीके से, कुछ शोध करता कहते है, की आज की टेक्नोलॉजी से किसी विकसित टेक्नोलॉजी ने बनाया हुआ है, इतनी सीधी रेखा में पत्थर काटना आज भी मुश्किल जाता हा, केवल हतोड़ी और छैनी से किया कैसे होगा, ये किसी एलियन टेक्नोलॉजी का काम है। क्यूं की इस मंदिर में कुछ छेड़ इतने छोटे है की कोई भी मनुष्य उसमे जा नहीं सकता है, उसके अन्दर भी काम दिखाई देता है, ऐसा काम करने के लिए आज की टेक्नोलॉजी को कम्प्युटेरिसेड मशीनों की जरुरत है।
और दूसरी तरफ यह मान्यता है की इस मंदिर के निर्माण पूर्व एक महायज्ञ किया गया, वैदिक मंत्रो के उच्चारण से जल, धरती पत्थर से आग ली गयी। कहा जाता है की वैदिक मंत्रो को सही ध्वनि में उच्चारण से और विशिष्ट तरंगो के उत्पादन से ये पत्थर जीवित हो उठाते है और भगवन विश्वकर्मा को आराधना करके कार्य निर्माण करने की वजह से, ये कार्य आसन हो सका।
"अथर्व वेद" में अनेक मन्त्र मिलते हैं, जिसे अगर आप गृह निर्माण से पहले उनका उच्चारण करेंगे, तो आपके घर में कभी निराशा नहीं होगी।
लेकिन फिर भी ये मंदिर आज भी एक रहस्य ही बना हुआ है, अनेक वैज्ञानिक हर साल आते है, घंटो काम करते है, चर्चा करते है, लेकिन निराश होकर वापिस चले जाते है, लेकिन इसका रहस्य आज तक कोई खोज नहीं पाया है।