भगवान परशुराम विष्णु जी के छठवें अवतार सभी अवतारों में चिरंजीव अवतारहै।
आइए हम बताते हैं आज परशुराम जी की कुछ बातें कि किसलिए उनका अवतार हुआ इस धरती पर भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और मां रेणुका के पुत्र थे वह पांच भाइयों में सबसे छोटे थे भगवान परशुराम राम काल से लेकर कृष्ण काल तक और इस कलयुग में कल्कि अवतार तक रहेंगे।
आइए कुछ प्रमुख बातें जानते हैं भगवान श्री परशुराम के बारे में भगवान परशुराम ने अपने जीवन में बहुत सारी युद्ध लड़े देवी देवताओं से ज्यादातर लड़े भगवान परशुराम ने राम और कृष्ण के अवतार में बहुत ही प्रमुख भूमिकाएं निभाई!
उस पर भी हम प्रकाश डालेंगे भगवान परशुराम के प्रमुख शिष्यों के बारे में भी हम प्रकाश डालेंगे तो आइए हम आज अपने लेख के माध्यम से आप लोगों के समकक्ष भगवान परशुराम के बारे में कुछ जानकारियां रखते हैं!
*कुछ प्रमुख युद्ध भगवान परशुराम के!*
सहस्त्रबाहु से युद्ध- जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भगवान परशुराम ने गौ माता कामधेनु की समुद्र मंथन में मिली नवरत्नों में से एक थी उनकी रक्षा करने के लिए राक्षस प्रवृत्ति के सहस्त्रबाहु अर्जुन का सभी हाथों को काट के और खून की नदियां नदिया बहा दी थी उसके रक्त से! और उसका अंत कर दिया था और जितने भी राजा उसकी तरफ से लड़ने आते थे उनसब का अस्तित्व मिटा के 21 बार धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया और सहस्त्रबाहु के राक्षस साम्राज्य को खत्म कर दिया था!
भगवान गणेश जी से युद्ध
जब भगवान परशुराम कैलाश जाते हैं अपने परम प्रतापी गुरु महादेव शिव से मिलने तो उनका रास्ता स्वयं महादेव के पुत्र गणेश जी रोकते हैं बार-बार समझाने पर भी ना मानने पर भगवान परशुराम से युद्ध करते और इस घोर युद्ध में भगवान परशुराम का क्रोध आने पर उनका एक दांत अपने फरसा से तोड़ देते हैं जिससे भगवान गणेश एकदंत कहलाए और वह युद्ध समाप्त हुआ!
महाबली हनुमानजी से युद्ध हनुमान जी से भी भगवान परशुराम का युद्ध बहुत ही घनघोर चला और कई दिनों तक चलता रहा और इस युद्ध के होने से धरती पर खतरा मंडराने लगा जिसको देवताओं ने भागते हुए इस युद्ध को आकर बीच में रुकवाया तब जाकर युद्ध शांत हुआ!
पितामह भीष्म से युद्ध पितामह भीष्म युद्ध का कारण अंबालिका अंबा अंबिका का हरण था जिससे उनकी रक्षा करने के लिए भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह से युद्ध किया और यह युद्ध महाभारत की युद्ध से भी 5 दिन ज्यादा दिन तक चला युद्ध पूरे 23 दिनों तक चला और अंत में धरती को बचाने के लिए महादेव को आकर यह युद्ध बीच में रोकना पड़ा!
*राम कृष्ण व कल्कि अवतार में इनकी भूमिका!!*
श्री राम अवतार श्री राम के अवतार में भगवान परशुराम जब जनक के यहां रखी हुई महादेव के सबसे प्रिय धनुष पिनाक के टूट जाने पर पर्वत पर बैठे हुए भगवान परशुराम को यह पता चलता है तो वह क्रोध में भरे हुए राजा जनक के दरबार में पहुंचते हैं और वहां पर रामजी से मुलाकात होती है वहां पर यह कुछ वार्ता होने के बाद वहां पर भगवान विष्णु के 7 अवतार राम जी को शक्तिशाली धनुष सारंग देते हैं ! जिससे रावण का वध होता है और यह प्रमुख धनुष भगवान विष्णु की रहती है जो परशुराम जी राम जी को देते हैं जो कि उनके युद्ध काल में रावण के वध के लिए अनिवार्य था!!
श्री कृष्णा अवतार
श्री कृष्ण को भगवान परशुराम जब वह गुरुकुल की पढ़ाई पूरा कर लेते हैं तो उनके यहां गुरुकुल में वह आते हैं और वहां पर हो उन्हें सुदर्शन चक्र देकर महाभारत में सत्य और असत्य की और असुरों के आक्रमण को खत्म करने के लिए सुदर्शन चक्र देकर अपना धर्म निभाते हैं जिससे कृष्ण धर्म के मार्ग पर चलते हैं!!
*विष्णु कल्कि अवतार*
भगवान विष्णु के कलयुग के अंत में कल्कि अवतार जब लेंगे और दुष्टों का संहार करेंगे तो उन्हें शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा स्वयं विष्णु जी के छठवें अवतार भगवान परशुराम ही देंगे!
*भगवान परशुराम के प्रमुख शिष्य!!*
भीष्म पितामह भीष्म पितामह परशुराम जी के प्रमुख शिष्यों में से एक थे और यह बहुत ही कुशल राजनीतिक व धनुर्विद्या के ज्ञाता थे!
और यह प्रमुख शिष्य थे भगवान परशुराम के!
गुरु द्रोणाचार्य गुरु द्रोणाचार्य संसार के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे और सर्वश्रेष्ठ गुरु भी थे उन्होंने कौरव और पांडवों को धनुर्विद्या की शिक्षा दी थी !
यह प्रमुख शिष्यों में एक थे उनकी युद्ध कौशल कला और शैली किसी और को पता नहीं था यह चक्रव्यूह रचना करने वाले एकमात्र संसार के गुरु थे!
सूर्यपुत्र कर्ण - सूर्यपुत्र कर्ण भी बहुत ही बड़ा धनुर्धर और विद्वान था जब वो तीर चलाता था तो स्वयं लगता था जैसे यमराज रथ पर सवार हो के प्राण लेने आ रहे हैं और यह बहुत ही परम शिष्य था भगवान परशुराम का!
*मार्शल आर्ट के जनक परशुराम!*
भगवान परशुराम शस्त्र विद्या के श्रेष्ठ जानकार है, परशुराम जी मार्शल आर्ट कलरीपायट्टु की उत्तरी शैली वदक्कन कलरी के संस्थापक आचार्य एवं आदि गुरु हैं।