स्वामी विवेकानंद जी पर विशेष-के सी शर्मा*



स्वामी विवेकानंद जी पर विशेष-के सी शर्मा*
मेरी नज़र में सवाल यह उठता है कि क्या आज के युवा को स्वामी विवेकानंद के जीवन संघर्षों, आदर्शों, विचारों और उनके सिद्धांतों का सही ज्ञान हो पाएगा?

मुझे स्वामी विवेकानंद से जुड़ा एक किस्सा याद आता है, जब उनसे पूछा गया की "वह अपने ज्यादातर भाषण विदेशों में क्यों देते हैं, भारत में क्यों नहीं?
 तो उन्होंने बड़ी शालीनता से कहा कि धर्म और ज्ञान की बातें मनुष्य के मस्तिष्क में तभी समाती हैं जब उनका पेट भरा होता है।
गरीबी और कष्ट को दूर किए बिना भारत के लोगों के लिए धर्म का प्रचार कोई मायने नहीं रखता है।
 उन्हें ज्ञान की बातें नहीं समझ आएंगी, परंतु विदेशों में लोगों के पेट भरे हुए हैं।
 इसीलिए मैं भारत के दीन दुखियों के लिए वहां से समाधान लाने की कोशिश कर रहा हूं।
मैं पश्चिम के सामने यह कहता हूं कि यदि भारत बीमार या तंदुरुस्त है तो इसका संबंध पूरी दुनिया से है।
 मैं वहां के लोगों को भारत के प्राचीन ज्ञान मोक्ष और त्याग के बारे में बताता हूं और वहां के लोगों से भारत के लिए नए अवसर और तकनीक लाने का प्रयास करता हूं।
"स्वामी विवेकानंद ऊंच-नीच जात-पात भेद-भाव जैसी चीजों से खुद को अछूता रखते थे और वे मानते थे कि ये अंधविश्वास भारत को पतन की ओर ले जाएंगे।
 स्वामी विवेकानंद की विचारधारा इतनी प्रगति शील थी कि वे गीता पाठ की बजाए शारीरिक कार्य करना जैसे फुटबॉल खेलना को ज्यादा महत्व देते थे।

स्वामी विवेकानंद के विचारों की आवश्यकता जितनी उस समय थी, उनकी प्रासंगिकता आज के समय में भी उतनी ही है।

 पर आज के युवा को यह समझना होगा की मात्र स्वामी विवेकानंद की फोटो लगा लेने से या उनके विचारों को कॉपी करके पेस्ट कर देने से वे विवेकानंद नहीं बन पाएंगे। विवेकानंद बनने के लिए आपको समाज की बुराइयों को समझना होगा अपने अंदर उनसे लड़ने के लिए बदलाव लाने होंगे और समाज के गरीब और पिछड़े तबके को मजबूत करने के लिए काम करना होगा ताकि वे भी भारत की तरक्की के लिए अपना योगदान दे सकें।

आज के युवा को समझना होगा कि ब्रांडेड कपड़े पहन लेना ही परम आनंद नहीं है, खुद की प्रोफाइल में राष्ट्रवादी हिंदू लिख लेना हिंदुइज्म नहीं है, और प्रतिदिन के डेढ़ जीबी फ्री डाटा से राष्ट्रप्रेम का सर्टिफिकेट दिखाना राष्ट्रभक्ति नहीं है।

स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति और सदियों पुरानी विरासत के सिरमौर हैं और उनकी शिक्षाएं हमेशा युवाओं के लिए पथ प्रदर्शक का कार्य करेंगी।