सवाई माधोपुर/खंडार@रिपोर्ट चंद्रशेखर शर्मा।। राष्ट्रव्यापी कोरोना महामारी के प्रकोप से उपजे हालातों के चलते चहुंओर आम जनता किसी न किसी परेशानी से जूझती हुई दिखाई पड़ रही है। जिसके चलते समाज का हर व्यक्ति आज अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। रही बात परेशानी और कठिनाई की तो हमारे समाज में गतिशील भामाशाह व समाजसेवी अपनी ओर से दिल खोलकर मदद करने में राज्य सरकार व जिला प्रशासन के साथ मिलकर इस आपदा की स्थिति में कहीं ना कहीं किसी ना किसी का सहारा अवश्य बन रहे हैं । तो फिर हमारे जनप्रतिनिधि कोरोना से छिड़ी इस जंग में क्यों पीछे रहे। कुछ एक विधायक को छोड़ दे अधिकांश विधायक यहां तक कि पूर्व विधायक भी टोंक सवाई माधोपुर सांसद के साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर जन सेवा कार्य में अपनी सामर्थ्य अनुसार योगदान दे रहे हैं। खासकर टोंक- सवाई माधोपुर सांसद, सवाई माधोपुर विधायक व बामनवास विधायक और अब तो गंगापुर सिटी विधायक द्वारा भी सहयोग कर एवं दूसरों से सहयोग दिलवाकर आम जन को किसी न किसी रूप में विपत्ति के इस दौर से उबारने का सतत प्रयत्न किया जा रहा है। और यह प्रक्रिया आज से नहीं पिछले कई दिनों से निरंतर बनी हुई है। लॉक डाउन की स्थिति के कारण आज की तारीख में लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट विकराल रूप लेता जा रहा है । पिछले कई दिनों से विशेषकर जनता कर्फ्यू के दिन ( दिनांक 22 मार्च 2020) से ही खुराना की वजह से उपजा संकट हाल फिलहाल भी प्रभावशाली बना हुआ है।जनप्रतिनिधियों की बात करें तो सवाई माधोपुर जिले से जुड़े उपखंड व पंचायत समिति क्षेत्र में जहां सांसद और जिले के कुछ विधायक प्रारंभकाल से ही मतलब लॉक डाउन की स्थिति के कुछ समय बाद से ही आम जनता को किसी ना किसी रूप में सहयोग पहुंचा रहे हैं,तो वहीं कुछ एक विधायकों ने तो मामले की गंभीरता को अभी तक केवल और केवल नजर अंदाज ही किया गया है। और उसे अपनी भलाई समझी है। जबकि चारों तरफ रोटी- पानी व आवास व्यवस्था के संकट को लेकर आम नागरिक संघर्षशील हैं। शायद नींद में ही सोते रहे हैं। अब जाकर कहीं उनकी नींद खुल रही है। तब दूसरे लोग इस कोरोना की जंग में पूर्ण रूप से उतर कर लड़ाई लड़ रहे हैं। कुछ समय पूर्व एक विधायक साहब की भी नींद ऐसे ही टूटी थी, जब उनके क्षेत्र में पूर्व विधायक ने जनता को राहत पहुंचाने के लिए व्यापक स्तर पर काम शुरू कर दिया। जनता के बीच हुई किरकिरी के बाद उनकी तंद्रा टूटी। अपनी जमीन खिसकती देखकर विधायक साहब ने भी मैदान में उतरने में ही अपनी भलाई समझी और आनन-फानन में विधायक मद से भी जनता को राहत पहुंचाने के लिए औरों से कहीं अधिक राशि खर्च स्वीकृत करा डाली।इसके अलावा अपने आसपास के लोगों इष्ट मित्रों व समाजसेवियों से धन इकट्ठा करने में भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने तो एक समिति तक का गठन कर डाला, जो उनके क्षेत्र में सामाजिक सरोकार का कार्य कर रही है।लेकिन एक विधायक ऐसे भी हैं ,जिन्हें अब जाकर अपनी जनता की खासी चिंता सता रही है। इस लिए इस संकट की घड़ी में उनके द्वारा अपनी जनता की खातिर कम से कम निधि फंड से तो नहीं बल्कि सरकार और खुद जनता के पैसे से जुड़े विधायक कोटे से ही जनता की मदद के लिए राशि स्वीकृति की जा रही है, जबकि अब जब 20 दिवसीय प्रथम लॉक डाउन का अंतिम समय चल रहा है। चारों ओर फिलहाल घोर निराशा का वातावरण है, आमजनता विशेषकर दिहाड़ी मजदूर, निर्धन वर्ग के लोग, असहाय परिवार ही नहीं बल्कि सभी जरूरतमंद व्यक्ति रोजगार के अभाव में खाने-पीने से लेकर पहनने-रहने तक एवं अन्य जरूरत से जुड़ी आवश्यकता की वस्तुओं के लिए पाई- पाई को मोहताज होते जा रहे हैं। अपने आप को जनता का सच्चा हितैषी समझने वाले खंडार विधायक अशोक बैरवा ने कोरोना संक्रमण से निपटने तथा जरूरतमंदों की मदद के लिए विधायक निधि से (विधायक कोटे से) 40 लाख रूपये की सहायता राशि स्वीकृत की है , जिसका अभिशंसा पत्र सोमवार को स्वयं विधायक द्वारा जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया को सौंपा भी गया। यहां यह कहना उचित होगा कि विधायक साहब देर सवेर चेते लेकिन चेते तो सही।
बैरवा कि कोविड-19 की असामान्य परिस्थितियों से उत्पन्न स्थिति के दौर में खंडार विधानसभा क्षेत्र की जनता को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से सभी ग्राम पंचायतों में निवासरत असहाय, विकलांग, निर्धन ग्रामीण लोगों के लिए राशन किट वितरण से लेकर अन्य जरूरतें सामान, जैसे मास्क, सेनीटाइजर का छिड़काव आदि कार्यों के लिए 40 लाख रूपए की सहयोग राशि विधायक कोष से दिया जाना किसी साहसिक कार्य से कम नहीं है। इस एहसान का बदला आगे चल कर जनता शायद ही चुका पाए। उन्होंने पंचायत समिति खंडार के लिए 21 लाख, पंचायत समिति चौथ का बरवाडा के लिए 16 लाख तथा पंचायत समिति सवाई माधोपुर ( विधानसभा क्षेत्र खंडार में आने वाली ग्राम पंचायतों ) के लिए 3 लाख रूपए की अभिशंषा की है। विधायक बैरवा ने कहा कि संकट की इस घड़ी में पूरा राष्ट्र एकजुट है। लेकिन अब स्वंयसेवी संगठनों, एनजीओ, भामाशाहों को भी आगे आकर मदद करनी चाहिए।जबकि विधायक साहब को यह पता तक नहीं है, कि यह लोग तो पहले से ही जनता की सहायता व सहयोग करते-करते बहुत आगे निकल चुके हैं। पिछले 10 से 15 दिनों में इनके द्वारा तन,मन व धन खर्च कर जिस तरह से लोगों की मदद की गई है वह काबिले तारीफ है। । यहां विधायक साहब का यह कहना हैं, कि अब हमने तो हमारी और से जिम्मेदारी पूर्ण कर ली है , अब क्षेत्र के समाजसेवी व भामाशाह जाने। लेकिन भामाशाह व समाजसेवियों की ओर झोली फैलाने वाले विधायक साहब ने यह नहीं सोचा कि विधायक कोष के अलावा भी एक निजी फंड होता है, जिससे तत्काल जरूरतमंदों को सहायता की जा सकती है। और वह इसलिए कि इस पर जनता का पूरा- पूरा हक बनता है। क्योंकि इसी जनता ने आपको दो- दो बार विधायक बनाकर विधानसभा जो भेजा है, और आपकी सामाजिक और आर्थिक उन्नति में चार चांद लगाए हैं। तो क्या आप अपने निजी खर्चे पर इस आपातकालीन स्थिति में कुछ आर्थिक सहयोग कर पाने की सामर्थ्य और लोगों की तरह नहीं जुटा पा रहे हैं क्या। भामाशाह व समाजसेवीयों से मदद की आस एक विधायक की अपेक्षा कोई प्रशासनिक अधिकारी जैसे जिला कलेक्टर आदि द्वारा की जाए, तो फिर वाजिब मांग मानी जा सकती है। और होना भी यही चाहिए, क्योंकि उनका यहां हक बनता है। शायद इसलिए हर रोज
कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया भामाशाहों, स्वयंसेवी संस्थाओं, सिविल सोसायटियों एवं सक्षम लोगों से आपदा की इस घड़ी में आगे बढकर सहयोग करने की विनम्र अपील करते दिखाई पड़ते हैं। ताकि जरूरतमंद लोगों को किसी ना किसी प्रकार से ओर अधिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके।