जाने,वर्तमान में "सगाई" समस्या और समाधान-के सी शर्मा
(1)अविवाहित युवक युवतियां के सगाई सगपण की (योग्य पात्र नही मिलने के अभाव में बढ़ती उम्र)
(2) बे रोजगारी
(3) कक्षा 10 और 12 के बाद योग्य करियर काउंसीलिंग नही मिलने की वजह से BA, Bcom, MA, Mcom, शिक्षित बेरोजगारो की बढ़ती संख्या
5 हजार से 15 हजार की सेलेरी में नोकरी करते हैं
लडकिया उच्च शिक्षित (हायर एज्युकेटेड )हो रही हैं
युवक - युवतियां में शिक्षा का असंतुलन
(4) बढ़ती नशाबाजी , शराब, सिगरेट, बीड़ी, भांग, चरस गांजा, हुक्काबाजी के नशीले पदार्थ का पेय और सेवन
शराब स्टेटस सिम्बोल बनता जा रहा हैं
(5) कन्या के भ्रूण की हत्या
(6)युवक युवती ओ में पात्र पसंदगी के विचार, पैमाने, मानकों में बदलाव
1.बढ़ता फिल्मी कल्चर , टीवी सीरियल का बढ़ता प्रभाव
परिणाम स्वच्छंदी - स्वतंत्र विचार का बढ़ावा,
2. छोटी उम्र में युवक युवतियों का प्रेम में पड़ना
3.युवक युवतियों में माता पिता और परिवार का नियंत्रण कम होना
(7) मोबाइल सोशियल मीडिया का सकारात्मक उपयोग की जगह बढ़ता नकारात्मक उपयोग
परिणामस्वरूप....
विवाहित बेटियो के साथ पियर पक्ष के माता पिता स्वजनो की ज्यादातर बाते होना उसमे ज्यादातर माता पिता या परिवार से अलग होने की बाते और बेटियो को अच्छी समझ देने की जगह कानाफूसी करना परिवार से अलग होने के लिए प्रोत्साहित करके चढ़ाना
(8) कम समय मे सगाई सगपण का तुटना
और
1.बढ़ते लग्नविच्छेद के प्रमाण के चलते भय और डर का मनोवैज्ञानिक दबाव
(9) राजस्थान के अलावा अन्य प्रांत में रहते परिवारों के युवक युवतियों में समाज के कुछ रिवाज के प्रति नकारात्मक भ्रमणा
(10)साटा- पाटा का बढ़ता एग्रीमेंट
1. साटा- पाटा की नकारात्मक असर
परिणाम दो परिवारों में वाद विवाद बाद में वियोग लग्नविच्छेद
(11) दहेज प्रतिबंधित धारा 498-A धारा का दुरूपयोग करके परिवारों को प्रताण्डित करने का बढ़ता प्रमाण
(12) कुछ परगनो में सोने चांदी के जेवरात के लेती देती के बेफिजूल व्यवहार
(13) 16 परगनो के गाँवो में रहते
अविवाहित युवक युवतीओ का गोत्र - उम्र और शैक्षिक योग्यता के साथ का पारिवारिक विवरण के सर्वेक्षण के डिजिटल डेटा का अभाव
1.16 परगनो के गाँवो में
विधवा- त्यक्ता , विधुर - त्यक्त
और
2. बाल बच्चे वाले किसी कारण की वजह से अकेले रहते युवक युवतिया गाँव - परगना सहित कितनी हैं उसकी सूची और विवरण का अभाव
(14) शिक्षा और रोजगारी के क्षेत्रमे जिस कार्य योजना से कार्य होना चाहिए वह अभी तक नही होना
1.शिक्षा और रोजगारी के क्षेत्र में सरकार की योजनाओं को समन्वय करके कार्य करने की जगह... मेले, सम्मेलन, कथा, यात्रा में बेफिजूल खर्च
2.शिक्षा और रोजगारी के क्षेत्र में बहुत ही आवश्यक कार्ययोजना के साथ जनजागरण जरूरी हैं जो इस दिशा में बहुत ही कम ध्यान देना
(15)समाज उत्कर्ष के उत्थान के बहुत सारे पहलू हैं वह आज भी अनछुए हैं
आजभी अतिआवश्यक जिस प्रकल्प पर काम होना चाहिए जो नही हुआ हैं
अविवाहित युवक युवतियां की जो समस्या हैं उसके बहुत सारे कारण हैं उन कारणों की तह में जाना जरूरी हैं
सभी बंधु शुभ हेतु के साथ संगठीत होते है, सम्मेलन , मेले और कथा यात्रा करते हैं करवाते है
वह...
अपने स्वयं के पैसों से या अनुदान से करते या करवाते हैं अच्छी बात हैं
लेकिन...
उसकी फलश्रुति क्या???
जो समस्याए हैं उसका समाधान कहा तक कर पाये???
यह चिंतन और मंथन का विषय हैं
जबतक ठोस कार्ययोजना के साथ धरातलिय कार्य नही होगा तब तक जो परिणाम फलश्रुति मिलनी चाहिए वह नही मिलेगी
*नॉट:*
समाज कैसे बनता है???
समाज कौन बनाता हैं???
समाज किस को कहते हैं
उसकी परिभाषित व्याख्या को समझे बिना समाज को क्यो दोष देना कहा तक उचित???