जानिए,हवन- यज्ञ, संस्कार, अनुष्ठान - पूजनादि कर्मो में पूर्णाहुति विषय मे विशेष महत्वपूर्ण जानकारी-के सी शर्मा
नागवल्ली इषुप्रोक्ता पक्वान्नमं च दश स्मृता।
ऋतुफलश्च विंशतिः पूगीफलमेक विंशतिः।।
श्रीफले चैकपंचाशत् शतं वाSअधिकभोजने।
जिस यज्ञानुष्ठान में...
नागवल्ली से पूर्णाहुति की जाए वहां 5 ब्राह्मण,
पक्वान्न से पूर्णाहुति में 10 ब्राह्मण,
ऋतुफल से पूर्णाहुति में 20 ब्राह्मण,
*सुपारी में 21 ब्राह्मण,*
श्रीफल में 51 या 101 ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए
नारियल को श्री अर्थात लक्ष्मी कारक माना गया जो आर्थिक संपन्नता का सूचक है।
बड़े यज्ञादि में ही इससे पूर्णाहुति की जाए ताकि ब्राह्मण भोजन संख्या में कमी न रहे।
छोटे कर्मो में ब्राह्मण संख्या के अनुरूप ही पूर्णाहुति द्रव्य काम मे लिया जाए जिससे दोष न लगे।
और... वैसे भी कुछ कर्मो में पूर्णाहुति का निषेध बताया गया है।
तो वहां श्रीफल काम आ ही नही रहा।
किस किस कर्म में पूर्णाहुति नही की जाती है ???
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कर्म में पूर्णाहुति नही की जाती है।
संकलित - संदर्भ- बृहस्पति संहिता