अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष-के सी शर्मा।
हार्दिक शुभकामनाएं-!
यह सांसों भरी जिंदगी तूमने इन माकूल और ना माकूल पुरुषों को तुमने दी, ताकि यह लोग इस नैसर्गिक दुनिया का अनुभव कर सके, लेकिन इन ना माकूल पुरुषों ने तुम्हें कभी भी बराबरी का मौका नहीं दिया, कभी इनहोंने तुम्हे अपने वयक्तिगत हित के फैसले ना लेने दिये और ना ही तुम्हे बराबरी का मौका दिया और जब भी तुमने इसका विरोध किया, तुम्हें या तो जान से मार दिया गया या घर पर, सड़कों पर पीटा गया, बेआबरू किया गया या फिर बलात्कार कर दिया गया ताकि वह अपने पुरुष होने का सांमती अहम तुम पर थोप सके। लेकिन तुमने इन तमाम हिंसा के बाबजूद सघर्ष किया अपना लोहा मनवाया, और यह संघर्ष जारी रहेगा, लेकिन इस संघर्ष में माकूलों की भी बराबरी की हिस्सेदारी होनी चाहिए ताकि ना माकूलों के सामंती अहम को तोडा जा सकें और एक समानता पर आधारित दुनिया की ओर बढा जा सकें।
आओ अपनी बेटियों को ऊची आवाज में बात करना सिखाये,
आओ अपनी बेटियों को ऊची हंसी हंसना सिखाये,
आओ अपनी बेटियों को गुस्सा होना और उस गुस्से को ऊची आवाज में निकालना सिखाये,
आओ अपनी बेटियों को आंखों में आंख डाल कर बातें करना सिखाये,
आओ अपनी बेटियों को घर के नहीं बल्कि बाहर के काम करना सिखाये,
आओ अपनी बेटियों को घर के खेल नहीं बल्कि बाहर के खेल खेलना सिखाये,
आओ अपनी बेटियों को उनकी अपनी जिंदगी के हर फैसले उनहें खुद लेना सिखाये और उन्हें स्वावलंबी बनाये और उनका हर एक दिन उनहें अंतराष्ट्रीय महिला दिवस का एहसास कराये।