पढ़े,के सी शर्मा की एक खास रिपोर्ट
सिंगरौली/सोमभद्र जिले की एनसीएल मे आउटसोर्सिंग का कार्य कर रही कंपनियां क्यो नही कर रही प्रशासन के आदेश का पालन और जिला प्रशासन एवं प्रवंधन मौन क्यो?
आखिरकार जिम्मेदार जिला प्रशासन इन कंपनियों पर इतना मेहरवान क्यों है?,
जैसा कि महा प्रचंड रूप धारण किये कोरोना वायरस की गंभीरता को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री देश को संबोधित करते हुए सम्पूर्ण देश में लॉक डाउन का आवाह्न किया है। जिसमे मात्र मेडिकल सुविधायें, गैस एजेंसी, डीजल पेट्रोल पंप, किराने की दुकान,सब्जी, फल की दुकान, दूध की सुविधा, ओ भी सीमित समय 12 बजे से 04 बजे तक के लिए इसके अलावा सारे प्रोडक्सन बैन किया है,कोई भी अपने घरों से बाहर नही निकलने का आदेश जारी किया है इसके बावजूद जिला प्रशासन के नियमों की धज्जियाँ आउटसोर्सिंग की कंपनियां उड़ा रही है।
जिला प्रशासन के द्वारा कहाँ गया है कि सीमित कर्मचारियों मे खदान चलाये लेकिन इनके द्वारा प्रशासन के नियमों को तार- तार करते हुए पुरे कर्मचारियों को बुलाकर कार्य कराया जा रहा है लॉक डाउन के पूर्व जितने कर्मचारी कार्य कर रहे थे आज भी उतने ही कर्मचारियों से कार्य करवाया जा रहा है।
अगर प्रशासन को इनकी करतूत देखनी हो तो शिफ्टिंग समय एवं मेंटिनेंस समय देख सकते है कि कितना नियमो का पालन हो रहा है।
इन कंपनियों के द्वारा अपने फायदे के लिए लोगो की जान से ऐसा खिलवाड़ किया जा रहा है जैसे मानो कोरोना वायरस जैसी महामारी का कोई डर ही न हो।आखिर आउटसोर्सिंग कंपनियां क्यो मौत का सौदागर बनने की सोच रही है?
प्रशासन की छूट का कही न कही नाजायज फायदा उठा रही है ?
आखिरकार भोले-भाले मजदूरों का जीवन इतना सस्ता कैसे होगया, कौन बतायेगा ?
जहां देश के हर कोनों में अगर कोई गरीब घर से बाहर निकलता है तो उसे पुलिस प्रशासन द्वारा मार कर घर के अंदर भेज दिया जाता रहा है | वही आउटसोर्सिंग कंपनियों में मजदूरों को शिप्ट बस के सहारे कम्पनी के अंदर जाने से क्यों नही रोका जाता है जिसमे कई मजदूर एक साथ जाते है?
यह एक महत्वपूर्ण सवाल विचारणीय है?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कंपनी प्रबंधन द्वारा कहा गया है कि अगर कोई मजदूर कार्य पर नही आएगा तो उसका पैसा तो मिलेगा तो है ही नही उसको काम से भी निकाल दिया जायेगा।
ऐसे मे कैसे होगा लॉक डाउन का पालन या प्रधानमंत्री मंत्री के लॉक डाउन को आउटसोर्सिंग की कंपनियां खत्म करने मे लगी नही लगती है?
इन कंपनियों के द्वारा कुछ सीमित मजदूरों को मास्क बाटकर और मजदूरों को बिना मास्क बाटे ही कार्य करवाया जा रहा है।साथ ही ए भी कहा गया है कि अगर किसी से कंपनी के बारे मे शिकायत की तो काम से निकाल देंगे और फिर कभी नही रखेंगे,तो क्या यह धमकी नही है क्या?
यदिआउटसोर्सिंग कंपनियों की तानाशाही से अगर क्षेत्र में कोरोना वायरस किसी को हुआ तो उसका जिम्मेदार कौन, होगा यह एक गम्भीर सवाल जिम्मेदारों के समक्ष खड़ा है₹