– तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लिखा है।
रामचरित मानस के अनुसार जब राम जी लक्ष्मण और सीता सहित अयोध्या लौट आए तो एक दिन हनुमान जी माता सीता के कक्ष में पहुंचे।
उन्होंने देखा कि माता सीता लाल रंग की कोई चीज मांग में सजा रही हैं।
हनुमान जी ने उत्सुक हो माता सीता से पूछा यह क्या है जो आप मांग में सजा रही हैं।
माता सीता ने कहा यह सौभाग्य का प्रतीक सिंदूर है।
इसे मांग में सजाने से मुझे राम जी का स्नेह प्राप्त होता है और उनकी आयु लंबी होती है।
यह सुन कर हनुमान जी से रहा न गया ओर उन्होंने अपने पूरे शरीर को सिंदूर से रंग लिया तथा मन ही मन विचार करने लगे इससे तो मेरे प्रभु श्रीराम की आयु ओर लम्बी हो जाएगी ओर वह मुझे अति स्नेह भी करेंगे। सिंदूर लगे हनुमान जी प्रभु राम जी की सभा में चले गए।
राम जी ने जब हनुमान को इस रुप में देखा तो हैरान रह गए। राम जी ने हनुमान से पूरे शरीर में सिंदूर लेपन करने का कारण पूछा तो हनुमान जी ने साफ-साफ कह दिया कि इससे आप अमर हो जाएंगे और मुझे भी माता सीता की तरह आपका स्नेह मिलेगा।
हनुमान जी की इस बात को सुनकर राम जी भाव विभोर हो गए और हनुमान जी को गले से लगा लिया।
उस समय से ही हनुमान जी को सिंदूर अति प्रिय है और सिंदूर अर्पित करने वाले पर हनुमान जी प्रसन्न रहते हैं।
इसके अलावा हनुमानजी की प्रतिमा को सिंदूर का चोला चढ़ाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है।
हनुमानजी को सिंदूर लगाने से प्रतिमा का संरक्षण होता है। इससे प्रतिमा किसी प्रकार से खंडित नहीं होती और लंबे समय तक सुरक्षित रहती है।
साथ ही चोला चढ़ाने से प्रतिमा की सुंदरता बढ़ती है, हनुमानजी का प्रतिबिंब साफ-साफ दिखाई देता है।
जिससे भक्तों की आस्था और अधिक बढ़ती है तथा हनुमानजी का ध्यान लगाने में किसी भी श्रद्धालु को परेशानी नहीं होती।
!! जय श्री राम !!
गंगा बड़ी, न गोदावरी, न तीर्थ बड़े प्रयाग।
सकल तीर्थ का पुण्य वहीं, जहाँ हदय राम का वास।।
!! जय श्री राम !!