विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है RSS दीप शंकर मिश्रा दीप



लेखक:- दीप शंकर मिश्र"दीप"
             
अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भरत जी के नाम से बना भारत देश का उदय भारत माता के रूप में हुआ तो इस दौर में डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार नाम के भारत माँ के एक ऐसे सपूत का भी उदय हुआ जो जिन्होंने 1889 में एक गरीब ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर अपने जन्म से नागपुर की धरती को अलंकृत करने वाले डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार अपने देश के प्रति कुछ सोंच व विचार कर कांग्रेस से अलग हो गये और अपने कुछ साथियों के साथ अपनी जन्म स्थली नागपुर में विजय दशमी के दिन एक ऐसे संगठन को जन्म दिया जिसका नाम आरएसएस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के रुप में विश्व विख्यात हुआ।
अंग्रेजी हुकूमत से लड़ाई के दौरान ही भरत जी का भारत देश भारत माँ का रूप ले  चुका था। अपने विचारों का कांग्रेस की विचार धाराओं से मेल खाता न देखकर भगवा प्रेम व भारतीय संस्कृति के विचारों के धनी व भारत माँ के प्रति अटूट आस्था रखने वाले डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार ने अपने कुछ साथियों के साथ 27 सितम्बर 1925 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नाम के एक स्वयं सेवी संगठन की स्थापना की, जानकारी के अनुसार विश्वनाथ केलकर, भाऊराव कावरे, बाला जी हुद्दार,अण्णा साहने, बापू राव भेदी, जैसे लगभग दर्जन भर राष्ट्र भक्त लोगों ने अपने साथी डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार को ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सर संघचालक तो भरत जी भारत देश के समय का भगवा रंग धारी ध्वज की अपना प्रमुख ध्वज मान कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विस्तार का कार्य गुलाम भारत के दौर में ही प्रारम्भ दिया।
यहाँ पर गुलाम भारत के समय के इकलौते नायक जिनके मन दिल और दिमाग मे भारतीय संस्कृति के विचारों की आस्था की हिलोरें लेने वाले इकलौते नायक डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार के प्रति यह कहावत चरितार्थ होने में देर न लगीं कि "हम अकेले ही चले थे,लोग जुड़ते गये,और कारवां बढ़ता गया"  आज आरएसएस भारत देश की आन-बान-शान के साथ एक विराट रूप लेकर विश्व मे अपनी पहचान बना चुका है।
यही कारण है कि आज लोग अपने को संघ का स्वयं सेवक बताने में गर्व महसूस करते है। आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक विश्व के लगभग पचास देशों में शाखा पर अपने ध्वज का ध्वजारोहण करके नमस्ते सदा वत्सले मातृ भूमें.. की प्रार्थना कर रहे है तो कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे व पूर्व राष्ट्रपति प्रणव दा भी संघ के विचारों से प्रभावित होकर संघ की तारीफ कर संघ के कार्यक्रम में जाने व आरएसएस की प्रार्थना करने में कोई परहेज नही करते।
प्रणव दा को परहेज करना भी नही चाहिये था क्योंकि कांग्रेस बनाने में अग्रणी व देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी तो आरएसएस के विचारों से ही नही 1962 में जब चाइना ने धोखेबाजी से देश पर आक्रमण किया तो पूरा भारत देश सन्न रहा गया था। ऐसे समय मे आरएसएस के स्वयं सेवकों द्वारा अपने देश के सैनिको की मदद संघ की देश प्रेम की निष्ठा व कार्यशैली को देखकर पण्डित जवाहर लाल नेहरू भी प्रभावित हुये और वह डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से इतना प्रभावित हुये थे कि- गणतंत्र दिवस की परेड में आरएसएस को आमन्त्रित किया था। संघ अपने संगठन व अपने प्रथम सर संघचालक व संस्थापक डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार द्वितीय सरसंघचालक गुरु गोलवरकर गुरु जी, बालासाहब देवरस और राजेंद्र सिंह रज्जु भइया का विजयध्वज संघ के सन्देश को साथ लेकर मौजूदा सरसंघचालक मोहन भागवत विजय दशमी को स्थापित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को विजय पथ की और तेजी से बढ़ा रहे है।
संघ के स्वयं सेवक जाति-पात के भेद भाव से अलग रहकर अपने संगठन का कार्य करने में अग्रणी रहते है।
आरएसएस के विराट रुप से आज देश के ही नही विश्व के लोग भी संघ के विचारों से प्रभावित होकर नमस्ते सदा वत्सले मात्र भूमि.. की प्रार्थना कर रहे है। संघ का विराट रूप आज विश्व के लगभग 50 देशों में फैला हुआ है औऱ यह तब है जब अपने भारत देश में ही संघ अपने ऊपर लगाये गये तीन-तीन प्रतिबन्धों को झेल चुका है। संघ पर प्रथम बार गाँधी वध के समय जब गुरु गोलवरकर गुरुजी संघ के सरसंघ चालक थे। तो दूसरी बार आपात काल के समय तथा तीसरी बार 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय छह महीने के लिये संघ को प्रतिबंधित किया गया था।
अपनी मात्र भूमि को लेकर संघ के अपने कुछ सिद्धान्त है, और उन्ही सिद्धान्तों और संघ की नेक नियति से ही प्रभावित होकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संघ की तब तारीफ की थी और इंदिरा गांधी भी तारीफ कर चुकी है। अच्छे व नेक राष्ट्रपति माने जाने वाले प्रणव मुखर्जी प्रणव दा को तो आरएसएस की नेकनियती को समझने कुछ समय लगा परन्तु पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अपने देश के समर्पण भाव को समझा ही नही देखा भी, संघ को राजनीति से कुछ लेना देना नही परन्तु देश की आन-बान-शान के लिये आज संघ देश की किसी भी सत्ता को उखाड़ फेंकने की दम रखता है।
भाजपा में ज्यादा तर संघ के विचार से ओतप्रोत लोग ही आते है जो संघ के विचारों व कार्यक्रमों में भाग लेकर संघ के समक्ष नतमस्तक रहते है।
मौजूदा समय संघ की लगभग 60 हजार शाखाये लगती हैं और लगभग 50 लाख के आसपास स्वयम सेवक प्रतिदिन शाखाओं पर भाग लेते है। इसके अतिरक्त सायं कालीन शाखाओं का भी आयोजन होता है। संघ की शाखाओं पर संगठन गढ़े चलो सुपंथ पर बढ़े चलो जैसे देश प्रेम से प्रेरित गीत गाकर स्वयम सेवक  देश प्रेम का आगाज करते है। शहर व कस्बों में संघ के स्वयम सेवकों द्वारा निकाला जाने वाला पथ संचलन लोगों को भाव विभोर कर देता है। भाजपा में प्रदेश से लेकर केंद्र की मोदी सरकार का बड़े से बड़ा मन्त्री भी संघ के सामने नतमस्तक रहेता है, तो संघ का स्वयम सेवक भी चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं की तनमन से मदद करने में कोई कसर नही छोड़ता है।
लगभग 5 वर्षो बाद संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण हो जायेंगे। कुल मिलाकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो गुलाम भारत के समय स्थापित हुआ और आज देश ही नही विश्व के सबसे बड़े स्वयम सेवी संगठन के रुप में हम सबके साथ व सामने मौजूद है।