नयी दिल्ली सुनील मिश्रा नई दिल्ली : भारत की पहली बहु-स्थलीय मेगा विज्ञान प्रदर्शनी, 'विज्ञान समागम' नई दिल्ली में 21 जनवरी 2020 से राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र दिल्ली में शुरू की जायेगी। यह प्रदर्शनी जनता के देखने के लिए खुली रहेगी, जिसमें ब्रह्माण्ड को समझने में अंतर्राष्ट्रीय समूहों के प्रयासों को प्रदर्शित करके पूरे अंतरिक्ष और समय में सूक्ष्म से स्थूल स्तर तक मानव के ज्ञान और जिज्ञासा के विस्तार को प्रदर्शित करेगी। 8 सप्ताह के बाद, 20 मार्च 2020 को इस प्रदर्शनी का समापन होगा।
दो महीने तक चलने वाली यह प्रदर्शनी विश्वभर की मेगा विज्ञान परियोजनाओं में भारत का दम-ख़म दिखायेगी और इसके साथ ही छात्रों और विज्ञान में दिलचस्पी रखने वालों के लिए अभिनवकारी कार्यक्रमों की मेजबानी करेगी. यह प्रदर्शनी दुनिया की जानी-मानी मेगा साइंस7भी परियोजनाओं में भारतीय उद्योग के योगदान को प्रदर्शित करेगी विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोग राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र दिल्ली में विश्व प्रसिद्ध मेगा विज्ञान परियोजनाओं को देखेंगे कार्यक्रम के दौरान प्रख्यात वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने का मौका मिलेगा पूरे कार्यक्रम के दौरान विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के बीच वैज्ञानिक प्रवृति का विकास करने के लिए सार्वजनिक स्तर पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे।.
प्रदर्शनी का उद्घाटन उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय के माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह; राज्य मंत्री, प्रधान मंत्री कार्यालय; कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय; परमाणु ऊर्जा विभाग (डी.ए.ई.); और अंतरिक्ष विभाग द्वारा किया जायेगा।
मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता में सफलता प्राप्त करने के बाद राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र दिल्ली 11 महीने की 4-शहरों से होकर आनेवाली प्रदर्शनी के अंतिम चरण की मेज़बानी करेगा। इससे पहले आयोजित किए गए संस्करणों में, विज्ञान समागम मुंबई और बेंगलुरु में बहुत अधिक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई जो कि दोनों स्थानों पर लगभग 1.3 लाख लोगों के देखने आने से साफ़ तौर पर नज़र आती है। कोलकाता में लगभग 3 लाख आगंतुकों के साथ आनेवाले लोगों की संख्या दोगुनी हो गई। राष्ट्रीय राजधानी को मेगा साइंस प्रदर्शनी की मेज़बानी करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जिसने पिछले तीन संस्करणों से अब तक 5.5 लाख से अधिक लोगों को आकर्षित किया है। ज़मीनी स्तर पर होने वाले कार्यक्रम के अलावा, डिजिटल और सोशल मीडिया के अभियानों ने विज्ञान समागम को पूरे देश के लाखों लोगों तक पहुँचाया दिया है।
उद्घाटन समारोह में डॉ. आर. चिदंबरम, भारत सरकार के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव; डॉ. पॉल हो, महानिदेशक, ईस्ट एशियन ऑब्ज़र्वेटरी, हवाई, यूएसए; श्री के.एन. व्यास, अध्यक्ष, एईसी और सचिव, डीएई; प्रो. आशुतोष शर्मा, सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी); श्री योगेन्द्र त्रिपाठी, सचिव, संस्कृति मंत्रालय शामिल होंगे। पॉल हो इस अवसर पर मुख्य भाषण देंगे।
परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) संयुक्त रूप से इस बहु-स्थलीय मेगा-विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन कर रहे हैं, जो दुनिया की कुछ सबसे बड़ी विज्ञान परियोजनाओं को एक ही स्थान पर प्रदर्शित कर रही है . विज्ञान समागम के अंतिम संस्करण की प्रमुख बातों, उद्देश्यों और गतिविधियों को भी बताया गया। श्री अरुण श्रीवास्तव, सचिव एईसी, और प्रमुख, संस्थागत सहयोग एवं कार्यक्रम प्रभाग (आईसीपीडी), डीएई, मुंबई; डॉ. प्रवीर अस्थाना, इंस्पायर और मेगा विज्ञान संभागों के प्रमुख, डीएसटी, दिल्ली ने बताया।
विज्ञान समागम प्रदर्शनी का उद्देश्य भारत में मेगा-विज्ञान के तीन स्तंभों, उद्योग, शिक्षाविद और छात्रों के लिए एक ही पारस्परिक प्लैटफॉर्म प्रदान करना है।. मेगा साइंस प्रोजेक्ट्स यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सीईआरएन), फैसिलिटी फॉर एंटिप्रटन और आयन रिसर्च (एफएआईआर), इंडिया-बेस्ड न्यूट्रीनो ऑब्ज़र्वेटरी (आईएनओ), इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर न्यूमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर), लेज़र इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल - वेव ऑब्ज़र्वेटरी (एलआईजीओ), मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट्स (एमएसीई), स्क्वायर किलोमीटर एरे (एसकेए) और थर्टी मीटर टेलीस्कोप (टीएमटी)।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री अरुण श्रीवास्तव ने कहा, “विज्ञान समागम वैश्विक विज्ञान परियोजनाओं और विज्ञान के छात्रों को प्रोत्साहित करने के एक संपूर्ण प्रयास की एक परिणति है।
यह प्रदर्शनी छात्रों और परियोजनाओं को एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी।
डॉ. प्रवीर अस्थाना ने विज्ञान को आकर्षक विकल्प के रूप में स्थापित करने में विज्ञान समागम की प्रासंगिकता पर जोर दिया और कहा, “भारत में वैज्ञानिक समुदाय को अधिक वैज्ञानिकों की आवश्यकता है और युवाओं को प्रत्यक्ष परियोजनाओं के माध्यम से उन्हे एक प्लैटफॉर्म प्रदान करने का बेहतर तरीका है।