बदायूं मित्रता का व्यवहार ही दुखों, संकटों और विपत्तियों में आता है काम: रवि


उझानी: मेरे राम कथा समिति की ओर से नगर के समीमवर्ती गांव तेहरा स्थित शिव मंदिर प्रांगण में चल रही सेवा और संस्कारों को समर्पित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन प्रभु श्रीराम हनुमान मिलन, श्रीराम सुग्रीव मित्रता, बालि का उद्धार, सुग्रीव का राज्याभिषेक, हनुमान का लंका प्रस्थान, सीता हनुमान संवाद आदि प्रसंगों का श्रवण कराया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीराम का पूजन कर भव्य आरती की।
कथावाचक महाराज रवि समदर्शी ने कहा मनुष्य के मित्रवत व्यवहार की जीवन पर्यंत प्रसंशा होती है। मित्रता में दूसरों को बदलने की श्रेष्ठ सामथ्र्य होती है। हृदय की गराईयों से लोग एक दूसरे का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा बालि के भय के कारण सुग्रीव अपने साथियों के साथ ऋषयमुक पर्वत पर रहते थे। प्रभु श्रीराम ऋषयमुक पर्वत की ओर जब जाते हैं। वीर हनुमान को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के होने का पता चलता है, तो वह भाव विभोर हो जाते हैं। उनके चरणों में प्रणाम करते हैं। हनुमान उनकी मित्रता सुग्रीव से कराते हैं। प्रभु श्रीराम ने बालि का वध कर सुग्रीव को किष्किंधा राजा बनाया और सुग्रीव ने अपनी सेना भेजकर माता सीता खोज कर मित्रता निभाई। उन्होंने कहा कि मित्रता से ही लोग अपने बन जाते हैं।
मित्रवत व्यवहार ही दुखों, संकटों और विपत्तियों में हमारे काम आता है। हमें दूसरों के उपकारों को नहीं भूलना चाहिए। संस्कारवान लोगों को ही मित्र बनाना चाहिए।
प्रभु प्रवीन दास महाराज ने साधु संतो ंके साथ भव्य आरती की। अजय पाल सिंह यादव, शिवकुमार गुप्ता, लालू यादव, सत्यवीर यादव, राजभान यादव, उदय पाल सिंह जल का अभिसिंचन किया।
इस मौके पर मुख्य संयोजक ओमवीर सिंह यादव, विमल शाक्य, जबर सिंह यादव, विनय सैनी, सतीश यादव, अनूप कुमार, राजेश, सुनील यादव, धर्मदेव, सत्यवीर, रामाशीष, पोषाकी यादव, हरिओम, शैलेंद्र यादव, ओमवीर आदि मौजूद रहे।