गाजियाबाद। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के "कथा संवाद" में चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध लेखक डॉ. असलम जमशेदपुरी ने कहा कि संवाद में अधिकांश रचनाकार मौजूदा दौर की नब्ज टटोलते नजर आए। पढ़ी गईं रचनाएं प्रासंगिक और सामाजिक हैं। जो सामाजिक सरोकारों से सीधे जोड़ती हैं। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. जमशेदपुरी ने कहा कि जेहनी तौर पर हम जब जब विभाजन के कगार पर खड़े होते हैं तो ऐसी रचनाएं ही हमारा मार्ग प्रशस्त करती हैं। उन्होंने कहा कि बंटवारे को लेकर बहुत सी कहानियां लिखी गईं। मंटो की कहानियां आज भी इसलिए प्रासंगिक दिखाई देती हैं कि विषय हमेशा प्रासंगिक रहते हैं, बस बयां करने का तरीका बदल जाता है।
होटल रेडबरी मैं आयोजित "कथा संवाद" में रविंद्रकांत त्यागी, शालिनी सिन्हा, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. प्रीति कौशिक, मनु लक्ष्मी मिश्रा एवं डॉ. असलम जमशेदपुरी ने रचना पाठ किया। इसके अलावा डॉ. बीना शर्मा, नंदिनी श्रीवास्तव व रिंकल शर्मा ने अपनी रचनाओं के प्लॉट सुनाए। लेखन तकनीक पर चर्चा करते हुए डॉ. जमशेदपुरी ने कहा कि आज कोलाज टेक्निक में कहानी लिखी जा रही है। उदाहरण स्वरूप उन्होंने इसी तकनीक पर लिखी अपनी कहानी "आधी अधूरी कहानी" के दूसरे हिस्से "मैं तुम्हारी कहानी नहीं लिख सकता" का पाठ किया। मुख्य अतिथि पंकज सिंह ने कहा कि "मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन" वैचारिक आंदोलन को सार्थक दिशा देने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वैचारिक विमर्श के केंद्र और अड्डे खत्म होते जा रहे हैं। नए लेखकों के लिए वैचारिक विमर्श के अवसर भी कम हो गए हैं। श्री सिंह ने कहा कि कथा संवाद के साथ हमें "भाषा संवाद" पर भी काम करना चाहिए। भाषाएं खजानों की चाबियां हैं। फाउंडेशन सचिव दीपाली जैन "ज़िया" ने अवगत कराया कि वर्ष 2020 में पढ़ी गई कहानियों को पुरस्कृत करने के साथ उन्हें पुस्ताकार रूप में प्रकाशित भी किया जाएगा। संवाद में राजकमल, अतुल सिन्हा, सुभाष चंदर, सुभाष अखिल, डॉ.जकी तारिक़, आलोक यात्री, कमल प्रभा, डॉ. संजय शर्मा, डॉ. इरशाद स्यानवी, बलबीर सिंह, अंजलि त्यागी, हाशिम देहलवी, वाई. के. पांडेय, वागीश शर्मा, अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव, तुलिका सेठ, विनोद दीक्षित, भारत भूषण बरारा,विनीत गौड़, पराग कौशिक, सुदामा पाल, सुरेश शर्मा "अखिल", मौहम्मद इकबाल, अभिषेक कौशिक, अरुण साहिबाबादी, एम. के. चौधरी, मृदुल कुमार, सबा सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमियों ने भागीदारी की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. तारा गुप्ता ने किया।