माधोपुर। (रिपोर्ट चंद्रशेखर शर्मा ) मलारना डूंगर उपखंड क्षेत्र के मलारना चौड़ कस्बे में सुप्रसिद्ध दुर्गा माता मंदिर के महंत (सेवक) नानक राम मीणा का शुक्रवार को 88 वर्ष की आयु में देहांत हो गया। कस्बे एवं आसपास के क्षेत्र में भगत बाबा के नाम से मशहूर दुर्गा माता के सेवक नानकराम मीणा की आकस्मिक मृत्यु के समाचार सुनकर सर्वत्र शौक की लहर दौड़ गई। नानकराम पिछले 1 सप्ताह से बीमार चल रहे थे, तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर भगत बाबा को सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था । जहां पर शुक्रवार सायंकाल 5:20 पर उन्होंने 88 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। देहावसान के बाद भगत बाबा को मलारना चौड़ कस्बा स्थित हीरामन वाली कोठी (अंधियारा रोड़) पर लाया गया। यहां पर उनका शव अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। तत्पश्चात शनिवार को प्रातःकाल भगतबाबा की देह को लेकर मलारना चौड़ कस्बे में शोभा यात्रा निकाली गई। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु उमड़ पड़े। भगत बाबा की शोभायात्रा कस्बे के विभिन्न मार्गो से गुजरते हुए अंत में बाईपास स्थित श्मशान घाट पहुंची, जहां पर उनका हिंदू रीति- नीति से पूर्ण श्रद्धा के साथ विधान पूर्वक अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में स्त्री पुरुष ही नहीं बाल (बालक) एवं वृद्ध श्रद्धालु भी भारी संख्या में मौजूद थे। भगत बाबा के देवलोक गमन के बाद हुए अंतिम संस्कार में कस्बा सहित आसपास के दर्जनों गांव के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। जन आस्था के केंद्र प्रसिद्ध दुर्गा माता मंदिर में महंत नानक राम मीणा( भगत बाबा) सन 1974 से ही माता जी की सेवा में संलग्न थे। बचपन से ही अविवाहित ( बाल ब्रह्मचारी) भगत बाबा पिछले 45 वर्षों से भी अधिक समय से अपना घर और परिवार छोड़कर दुर्गा माता मंदिर में रहकर ही एक पुजारी के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे थे। इस संबंध में दुर्गा माता मंदिर के पौराणिक गुरु पंडित कृष्ण चंद्र शर्मा ने बताया कि आज से 45 वर्ष 4 माह पूर्व भगत बाबा ने एक दिव्य स्वप्न के पश्चात पूर्ण श्रद्धा भाव से दुर्गा माता की सेवा- पूजा शुरू की, जो उनके जीवित रहने तक जारी रही। नानकराम मीणा ने अपने देहवसान से पूर्व अपने जीवन भर की कमाई (रुपया- पैसा )का अधिकांश हिस्सा पूर्व में हुए मंदिर के जीर्णोद्धार या फिर वर्तमान में संगमरमर के पत्थर से नवनिर्मित मंदिर के नवनिर्माण में लगा दी। भगत बाबा के पारिवारिक सदस्य विक्रम मीणा ने बताया कि उन्होंने तकरीबन ₹11लाख मंदिर निर्माण हेतु अपनी ओर से दुर्गा माता मंदिर ट्रस्ट को दान कर दिए। दुर्गा माता की सेवा में अपना सर्वस्व निछावर करने वाले भगत बाबा वृद्धावस्था के चलते कुछ दिनों से अत्यधिक बीमार थे। भगत बाबा के परिवार में एक भतीजा रामेश्वर एवं उसकी धर्मपत्नी साबूती देवी एवं पौत्र विक्रम व पौत्री दीपा है। भगत बाबा की शौक सभा का आयोजन सोमवार को होगा। जिसमें भी सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेंगे।
दुर्गा माता मंदिर के महंत पंचतत्व में विलीन
माधोपुर। (रिपोर्ट चंद्रशेखर शर्मा ) मलारना डूंगर उपखंड क्षेत्र के मलारना चौड़ कस्बे में सुप्रसिद्ध दुर्गा माता मंदिर के महंत (सेवक) नानक राम मीणा का शुक्रवार को 88 वर्ष की आयु में देहांत हो गया। कस्बे एवं आसपास के क्षेत्र में भगत बाबा के नाम से मशहूर दुर्गा माता के सेवक नानकराम मीणा की आकस्मिक मृत्यु के समाचार सुनकर सर्वत्र शौक की लहर दौड़ गई। नानकराम पिछले 1 सप्ताह से बीमार चल रहे थे, तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर भगत बाबा को सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था । जहां पर शुक्रवार सायंकाल 5:20 पर उन्होंने 88 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। देहावसान के बाद भगत बाबा को मलारना चौड़ कस्बा स्थित हीरामन वाली कोठी (अंधियारा रोड़) पर लाया गया। यहां पर उनका शव अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। तत्पश्चात शनिवार को प्रातःकाल भगतबाबा की देह को लेकर मलारना चौड़ कस्बे में शोभा यात्रा निकाली गई। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु उमड़ पड़े। भगत बाबा की शोभायात्रा कस्बे के विभिन्न मार्गो से गुजरते हुए अंत में बाईपास स्थित श्मशान घाट पहुंची, जहां पर उनका हिंदू रीति- नीति से पूर्ण श्रद्धा के साथ विधान पूर्वक अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में स्त्री पुरुष ही नहीं बाल (बालक) एवं वृद्ध श्रद्धालु भी भारी संख्या में मौजूद थे। भगत बाबा के देवलोक गमन के बाद हुए अंतिम संस्कार में कस्बा सहित आसपास के दर्जनों गांव के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। जन आस्था के केंद्र प्रसिद्ध दुर्गा माता मंदिर में महंत नानक राम मीणा( भगत बाबा) सन 1974 से ही माता जी की सेवा में संलग्न थे। बचपन से ही अविवाहित ( बाल ब्रह्मचारी) भगत बाबा पिछले 45 वर्षों से भी अधिक समय से अपना घर और परिवार छोड़कर दुर्गा माता मंदिर में रहकर ही एक पुजारी के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे थे। इस संबंध में दुर्गा माता मंदिर के पौराणिक गुरु पंडित कृष्ण चंद्र शर्मा ने बताया कि आज से 45 वर्ष 4 माह पूर्व भगत बाबा ने एक दिव्य स्वप्न के पश्चात पूर्ण श्रद्धा भाव से दुर्गा माता की सेवा- पूजा शुरू की, जो उनके जीवित रहने तक जारी रही। नानकराम मीणा ने अपने देहवसान से पूर्व अपने जीवन भर की कमाई (रुपया- पैसा )का अधिकांश हिस्सा पूर्व में हुए मंदिर के जीर्णोद्धार या फिर वर्तमान में संगमरमर के पत्थर से नवनिर्मित मंदिर के नवनिर्माण में लगा दी। भगत बाबा के पारिवारिक सदस्य विक्रम मीणा ने बताया कि उन्होंने तकरीबन ₹11लाख मंदिर निर्माण हेतु अपनी ओर से दुर्गा माता मंदिर ट्रस्ट को दान कर दिए। दुर्गा माता की सेवा में अपना सर्वस्व निछावर करने वाले भगत बाबा वृद्धावस्था के चलते कुछ दिनों से अत्यधिक बीमार थे। भगत बाबा के परिवार में एक भतीजा रामेश्वर एवं उसकी धर्मपत्नी साबूती देवी एवं पौत्र विक्रम व पौत्री दीपा है। भगत बाबा की शौक सभा का आयोजन सोमवार को होगा। जिसमें भी सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेंगे।