राजनैतिक सियासत में मध्यप्रदेश के बदले मिजाज


*पंकज पाराशर छतरपुर*
भोपाल। मध्य प्रदेश की सियासत में आजकल फिल्मी पटकथा जैसे ही हालात बन रहे हैं। कभी सत्तारुढ पार्टी कांग्रेस जश्न मनाती है तो कभी भाजपा अपनी लड़ाई जीतने पर कांग्रेस पर निशाना साधती है। हाल ही में भाजपा अपने एक विधायक की विधानसभा सदस्यता बचाने में कामयाब रही है। प्रदेश में भाजपा की संख्या बढ़ गई है। नवंबर में भाजपा के पवई विधानसभा से विधायक प्रहलाद लोधी को एक मामले में दो साल से अधिक सजा होने के कारण उनकी विधानसभा सदस्यता को रद्द् करदी गई थी। जिसके खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया। कांग्रेस इस मौके पर अपनी खुशी का जोरशोर से इजहार कर रही थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस को झटका लगा है। कोर्ट ने प्रहलाद लोधी की सदस्यता रदद् होने के मामले में रोक लगा दी। जिससे कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है। अब भाजपा नेता प्रहलाद लोधी द्वारा विधानसभा में पूछे जाने वाले सवालों के लिए समय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
दरअसल, कांग्रेस को हाल ही में दो घटनाओं पर जोरदार झटका लगा है। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने विधानसभा में कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग कर भाजपा को झटका दिया था। तब अटकलें लगाईं जा रही थी कि नारायण त्रिपाठी की घर वापसी हो रही है। इसपर कांग्रेस भी गदगद थी। जबकि कुछ दिनों बाद त्रिपाठी वापस बीजेपी खेमे में आ गए। हाल ही में उन्होंने बयान दिया था कि समय बताएगा कि वह किसके साथ हैं। विधायक नारायण त्रिपाठी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के साथ हुए भाजपा के साथ होने की बात कही थी।
दूसरा झटका कांग्रेस को प्रहलाद लोधी की सदस्यता को लेकर लगा है। झाबुआ उपचुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का मनोबल बड़ा था। साथ ही भाजपा को तगड़ झटका लगा था। भाजपा उससे उभरपाती एक और झटका तैयार था। प्रहलाद लोधी की सदस्यता रद्द होने के बाद भाजपा ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगाते हुए सु्प्रीम कोर्ट ततक लड़ाई लड़ी और सदस्यता बचाने में कामयाब रही। कांग्रेस सदस्यता रद्द होने के बाद बहुमत में होने के साथ ही मज़बूत सरकार चलाने का दावा कर रही थी। लेकिन अब वह बैकफुट पर नज़र आ रही है।