बालु खदानो से मानक विपरीत खनन व बगैर पर्यावरणीय अनुमति के क्रशर चलाना पडा महंगा, लगा जुर्माना, खदान बन्द किये जाने की अनुशंसा तो क्रशर हुआ सील।
खोखा, हर्रा-बरहमोरी, खेबन्धा बालु खदान से मानक विपरीत खनन किये जाने पर पर्यावरणीय अनुमति को निरस्त किये जाने की अनुशंसा व पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रुप मे करोडो की राशि का जुर्माना।
सुक्रुत के पांच क्रशर प्लांट को सील किये जाने के साथ-साथ बगैर पर्यावरणीय अनुमति संचालन के एवज मे प्रत्येक क्रशर प्लांट से वसुली जायेगी पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रुप मे 93 लाख 75 हजार रुपये की राशि।
:- राष्ट्रीय हरित अधिकरण मे सामाजिक कार्यकर्ता चौधरी यशवन्त सिंह द्वारा अधिवक्ता अभिषेक चौबे, उच्च न्यायालय इलाहाबाद के माध्यम से जनपदः-सोनभद्र मे चल रही अवैध बालु खदानो व क्रशर प्लांटो पर कार्यवाही तथा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के एवज क्षतिपूर्ति वसुले जाने हेतु दाखिल की गयी याचिका पर अधिवक्ता अभिषेक चौबे द्वारा दी गयी तार्किक दलीलो पर अधिकरण द्वारा पारित आदेश के बाद जिला प्रशासन व प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड की ज्वाईंट कमेटी ने सख्त रुख अख्तियार किया है कमेटी ने जनपद-सोनभद्र की खोखा, हर्रा-बरहमोरी, खेबन्धा बालु खदान से मानक विपरीत बालु खनन पर इन बालु खदानो की पर्यावरणीय अनुमति निरस्त किये जाने की अनुशंसा की है व नदियो पर बनाये गये अस्थाई पुल को हटाने, भारी वाहनों से ध्वस्त सडको की मरम्मत, वृक्षारोपण, सम्बन्धित ग्रामो मे मुफ्त मेडिकल कैम्प व ग्रामीणों का पांच साल का हेल्थ इंश्योरेंस किये जाने समेत् अन्य प्रदुषण नियंत्रण व पर्यावरण संरक्षण कार्य हेतु लगभग चालीस करोड की राशि पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रुप मे वसुले जाने व सुक्रुत के मैहर स्टोन, जय मां भण्डारी, ज्योति स्टोन, वैष्णो स्टोन, गुरु कृपा स्टोन क्रशर प्लांट के बगैर पर्यावरणीय अनुमति संचालन पर इन क्रशर प्लांटो को सील करने के साथ-साथ प्रत्येक क्रशर प्लांट पर 93 लाख 75 हजार रुपये की राशि पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रुप में वसुले जाने की रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष दाखिल की है इन बालु खदानो की पर्यावरणीय अनुमति निरस्त होने के बाद फौरी तौर पर यह बालु खदाने भी बन्द हो जायेंगी तथा अगर इनसे बालु खनन करना होगा तो पुन: पर्यावरणीय अनुमति हेतु प्रक्रिया पुर्ण करनी पडेगी। विदित हो कि जनपद मे लगातार बालु खननकर्ताओ द्वारा नदियो मे अस्थाई पुल बनाये जाने व क्रशर प्लांटो से होने वाले प्रदुषण के विरोध मे आवाजे उठती रही है परन्तु जनपद का दुर्भाग्य है कि जब तक किसी न्यायालय द्वारा आदेश नही आता तब तक जिला प्रशासन चुप्पी साधे रहता है एनजीटी की सख्ती के बाद जिला प्रशासन ने पहली बार अपनी रिपोर्ट मे माना है कि नदियो मे अस्थाई पुल बनाये गये है व जो गलत है जबकि यही बात अनेको सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पत्र दिये जाने पर भी अभी तक जिला प्रशासन द्वारा स्वीकार नही की जा रही थी तथा लगातार कहा जाता रहा कि जांच की जायेगी जो जांच पुर्ण नही हो पा रही थी अब एनजीटी की सख्ती ने इस जांच को पुर्ण करवाया है। अधिवक्ता अभिषेक चौबे की वजह से ही इसके पुर्व सिंगरौली-सोनभद्र की कई औद्योगिक ईकाईयो व कोयला खदानो पर करोडो का जुर्माना पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रुप मे लगाया गया था अब बालु खदानो व क्रशर प्लांटो पर यह कार्यवाही हुई है। इस बडी कार्यवाही का जनपद के सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं व संगठनो ने स्वागत किया है।