*सिंगरौली :--(दिनेश पाण्डेय )* जिले मे सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रथम दृष्टया जिम्मेदार पुलिस विभाग कितना मुस्तैद है यह तो वही जाने लेकिन शहर मे हजारों नवागंतुक किरायेदारो की जानकारी फिलहाल पुलिस विभाग के पास उपलब्ध नही है।बतादे कि सिंगरौली जिला एक सेंसेटिव प्लेस है,क्योंकि यह तीन नक्सल प्रभावित छेत्र उत्तर प्रदेश,छत्तीसगढ़ व झारखंड प्रदेश के वार्डर की सीमा से सटा हुआ है।जिसे नजर अंदाज नही किया जा सकता।यहां एशिया की विशालतम सबसे बड़ा पॉवर प्लांट एनटीपीसी विन्ध्यनगर,सासन पॉवर लिमिटेड, एस्सार पॉवर, जेपी पॉवर,हिंडाल्को,समेत दर्जन भर ओपेन कोलमाइंस की खदाने स्थापित है जिसमें भारत सरकार की मिनी रत्नो में एनसीएल भी है यहाँ बहुत सारे प्राइबेट कंपनीयां काम रही है जिसमें हजारों मजदूर काम करते है तथा एनसीएल छेत्रो में रहते भी है।मगर इनकी जानकारी किसी के पास नही है।इसी तरह रिलायंस, जेपी आदि है।इसके अलावा कई उद्योग स्थापित हो रहे है।इन कंपनियों में भी कई ठेके की कम्पनियां कार्य कर रही है।उक्त सभी कंपनियों में लगे मजदूरों का आपराधिक रिकार्ड या लेखाजोखा किसी के पास नही है।गौरतलब हो कि यहां निजी कंपनियों के आने से देश के कोने-कोने से यहां स्थायी और अस्थायी तरह तरह के नौकरी करने वाले लोग आ रहे है और जा भी रहे है।इसके बावजूद तकरीबन 50 हजार से उपर लोग दूसरे प्रान्तों से आ कर जिले में अपना आशियाना बनाये हुये है। जिसमें जिला मुख्यालय बैढ़न व आसपास के शहरों में भी अपना डेरा जमाये हुये है।
सुरक्षा की दृष्टि से जिले में कार्य कर रही कंपनियों में लगे बाहरी मजदूर तथा प्रत्येक किरायेदार ,नौकर ,घरेलू नौकरों आदि की जानकारी पुलिस के पास होनी चाहिए। जिससे कि अपरिहार्य परिस्थियों मे उन तक पहुँचा जा सके लेकिन कई बार चले पुलिस वेरिफिकेशन की अभियान एक बार फिर ठण्डा बस्ता मे चला गया है।वैसे तो आने जाने व ठहरने वालो के सम्बंध जिले के होटलों व लाजो मे पते ठिकाने लिख कर औपचारिकताये पूरी की जा रही है ।लेकिन अभी तक शहर मे दिये गये मकान मालिकों द्वारा किराये पर मकान के मामले मे पुलिस वेरिफिकेशन को लेकर कोई सख्ती या कार्यवाई देखने मे नही आई है ।जो इन दिनो शहर की हालात चिंता जनक है ।यहाँ बाहर से आये रोजी रोजगार के नाम पर भारी मात्रा मे युवकों ने किराये पर मकान ले बड़े आराम से आपना डेरा जमाये हुये है ।मकान मालिक भी जानकारी नही रखते की ये कहाँ से आये है ,किस मकसद से रह रहे है,क्या काम करते है।जबकि छेत्र मे शांति व्यवस्था के मद्देनजर लगातार थानों मे समय -समय पर शहर के सम्भ्रांत नागरिकों के विच बैठकों का आयोजन भी होता रहता है।लेकिन इस बड़ी जिम्मेदारी को छोटा मानकर कोई ठोस कदम नही उठाया जा रहा है।जहाँ शांति और सुरक्षा को लेकर यह तथ्य अत्यंत ही महत्वपूर्ण है।