*पंकज पाराशर छतरपुर*
भोपाल। बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में आज तक मुख्य आरोपियों की पकड़ नहीं हो पाई है। जबकी शिक्षा जगत का यह देश में सबसे बड़ा घोटाला कहा जाता है। जिसके तार 2003 में आई भाजपा सरकार के कार्यकाल से जुड़े हैं। 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस अब एक बार फिर व्यापमं मामले में नइ सिरे से जांच कराना चाहती है। मुख्यमंत्री कमलनाथ इस संबंध में एक समिति भी गठित कर रही है। जो बीती सरकार में हुए घोटालों की जांच करेगी। अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर आफत का पहाड़ टूट गया है l दोषियों पर एफआईआर दर्ज होगी l इस समिति में गृह, शिक्षा, मेडिकल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और कानून विभाग के अफसर शामिल रहेंगे। इस बारे में बताया कि समिति का उद्देश्य यह देखना है कि क्या किसी दोषी को निर्दोष छोड़ दिया गया है या किसी निर्दोष के साथ अन्याय हुआ है। समिति यह भी जांच करेगी कि क्या कोई छात्र जिसके खिलाफ कोई एफआईआर नहीं थी, उसे दंडित किया गया है। समिति उन छात्रों और उनके परिवार के सदस्यों का भी पता लगाएगी, जिनके खिलाफ बहाने से मुकदमे दर्ज किए गए थे। सरकार उन मामलों पर भी कार्रवाई करेगी, जिनकी दोबारा जांच की जाएगी
सरकार ने गृह विभाग से उन मामलों को फिर से खोलने के लिए कहा है जो बंद हो चुके हैं। गृह विभाग उन मामलों के माध्यम से स्थानांतरित कर रहा है जिन्हें सीबीआई ने छोड़ दिया है, क्योंकि 1,040 ऐसे मामले हैं जिन्हें केंद्रीय एजेंसी ने अपनी जांच के दायरे से बाहर रखा है। सबूतों के अभाव में पुलिस द्वारा बंद किए गए कई मामले फिर से खुल जाएंगे। समिति के माध्यम से, सरकार माता पिता को आरोपी बनाने के बजाय अनुमोदन करने के कुछ तरीकों का पता लगाना चाहती है, ताकि उन्हें संरक्षित किया जा सके। समिति घोटाले में पकड़े गए छात्रों को बचाने के तरीके भी खोजेगी, क्योंकि सरकार छात्रों और उनके माता-पिता को कुछ राहत देने के लिए उत्सुक है।
गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा कि 300 छात्रों का प्रवेश रद्द कर दिया गया, हालांकि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं था। बच्चन के अनुसार, गृह मंत्रालय उन फर्जी मामलों की जांच कर रहा है जो सीबीआई जांच के बाहर थे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों और तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि निर्दोषों के साथ न्याय किया जाएगा और दोषियों को दंडित किया जाएगा l