आज के प्रतिस्पर्धा भरे आधुनिक जीवन में business का हिसाब किताब तो हम खूब रख लेते हैं ....रिश्तों के बही खाते भी हमेशा नफे-नुकसान के ग्राफ पर तैयार रहते हैं।कितनी अच्छी तरह से हम यह हिसाब लगा लेते हैं कि दूसरों ने हमे क्या दिया....लेकिन क्या कभी यह ध्यान दिया कि हमसे किसी को क्या मिला????
अपने जीवन की इस लेंन देन की balance sheet को तैयार करने का जरिया आज हमने आधुनिकता को बना लिया है जबकि जीवन की सही balance sheet को तैयार करने का जरिया है "अध्यात्म"।आधुनिकता और आध्यात्मिकता मानव की दो टाँगे हैं
यदि केवल आधुनिकता के सहारे चलते हैं और आध्यात्मिक मूल्यों की अवेहलना करते हैं तो मानो एक टांग पर चल रहे हैं और एक टाँग पर चलने वाला व्यक्ति थोडा दूर चलते ही हांफने लगता है।यह हाँफना ही तो है जो Aircondition room में बैठ कर भी हम भीतर की शीतलता से वंचित हैं।
ठंडे पेय पी कर भी ईर्ष्या द्वेष की जलन से उबर नही पा रहे।मोबाइल से सारी दुनिया को जोड़ने का दम तो भरते हैं लेकिन अपने ही परिवार जनो से जुड़ नही पा रहे।यदि जीवन की यह दौड़ दोनों पाँव से हो अर्थात आध्यात्मिकता को भी साथ में रख कर की जाये तो इन सब नकारात्मक पहलुओं से बचा जा सकता है और जीवन की balance sheet को perfect बनाया जा सकता है
जैसे जल ,वायु ,अग्नि ,पृथ्वी और आकाश कल भी हमारी जरूरत थे और आज भी हमारी जरूरत है ठीक वैसे हीज्ञान पवित्रता,शान्ति, प्रेम,
आनन्द जैसे आध्यात्मिक गुण कल भी हमारी जरूरत थे और आज भी हमे चाहिए।आधुनिकता के नाम पर इन गुणों के महत्व को नकारना हमारी सबसे बड़ी भूल है।