जाने कैसा रहेगा कर्क लग्न में जन्मे जातकों का 2020 का राशि के सी शर्मा की कलम से



*2020 के दौरान कर्क लग्न के लिए वर्षफल-!*



*गुरु_ग्रह_धनु_राशि_में :*

 वर्तमान समय में गुरु ग्रह का गोचर धनु राशि में है जो कि 30 मार्च तक और फिर 30 जून से 20 नवंबर तक रहेगा । कर्क लग्न में धनु राशि 6th भाव में है और ज्योतिष अनुसार इस भाव में गुरु ग्रह का गोचर शुभता नहीं देता , शारीरिक रोग परेशान कर सकते हैं बड़े अधिकारी लोगो से विवाद के चलते स्थान परिवर्तन हो सकते हैं , यह स्थिति एक विपरीत राजयोग की तरह फल देगी , क्योंकि अपनी राशि में गुरु ग्रह शुभ होकर धन और प्रतिष्ठा तो देगा लेकिन छठे भाव की चीज़ों के साथ , विवाद में आपकी जीत होगी , पिता या घर के बुजुर्ग का स्वास्थ्य खराब होने से आप पर घर की ज़िम्मेदारी आयेगी , आपकी सामाजिक छवि खराब होगी रिश्ते खराब होंगे लेकिन धन आता रहेगा ।
 यह समय उनके लिए शुभकारी है जिनको उनके हक दूसरों की नाराजगी के चलते नही मिल रहे लेकिन अब वह झगड़ा बढ़ने से या आपके द्वारा आवाज़ उठाने से कानूनी प्रक्रिया से आपका हक आपका धन आपको प्राप्त होगा ।
भाग्येश छठे भाव में होने से आपकी वर्तमान में चल रही समस्याओं का समाधान आपके खुद के साहस और पराकर्म से होगा ।

*गुरु_ग्रह_पूर्वाषाढ़ा_नक्षत्र_में :*

 4 जनवरी से 8 मार्च के दरमियान गुरु ग्रह का गोचर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में रहेगा जो कि शुक्र का नक्षत्र है । कर्क लग्न में यह गोचर छठे भाव में रहेगा और शुक्र 4th और 11th भाव का स्वामी है इस तरह 4, 6 और 11वे भाव का संबंध बनेगा जो कि छठे भाव में फल देते हुए, वाद विवाद में विजय देगा, 8 मार्च तक चतुर्थ भाव से संबंधित विषय और सुख में वृद्धि होगी , किसी भी रूप में अगर कोई भी परेशानी या कष्ट है तो उसका विरोध इस समय में करें और संभव हो तो कानून की मदद से शत्रु बाधा को दूर करें । यदि कामकाज को लेकर भी कोई विवाद है या बड़ो की वजह से परेशानी है तो भी बैठ कर सहज भाव से बड़ो की बात सुने और अपनी बात भी रखें , इसी से आपकी समस्या का समाधान होगा ।
अगर कोई पुराना रोग है तो इस समय में सही डॉक्टर मिलने से उस रोग से भी निजात मिलेगी । खास कर जो विद्यार्थी हैं और सरकारी नोकरी के लिए तैयारी कर रहे हैं उनको इस समय में सफलता मिलने के योग हैं । जिन पर इस समय अवधि में गुरु में शुक्र या शुक्र में गुरु ग्रह की दशा का प्रभाव रहेगा वह इस समय का सदुपयोग करें लाभ मिलेगा ।

*गुरु_ग्रह_उत्तराषाढ़ा_नक्षत्र_में :*

 8 मार्च से 26 जुलाई के दरमियान गुरु ग्रह का गोचर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहेगा जो कि सूर्य का नक्षत्र है । कर्क लग्न में यह गोचर छठे भाव में सूर्य के नक्षत्र में होगा सूर्य जो कि द्वितीय भाव का स्वामी है इस तरह छठे और द्वितीय भाव का यह संबंध आय के नए साधन देगा, अगर आप बेरोजगार हैं तो 8 मार्च से 30 मार्च के दरमियान आपको नोकरी मिल सकती है , और अगर कर्ज़ लेने के इच्छुक हैं तो मार्च के महीने में कर्ज़ मिल जाएगा , लेकिन मार्च के महीने में किसी भी रूप में धन खर्च करने के लिए समय अनुकूल नहीं है , अप्रैल महीने में गुरु ग्रह के सप्तम भाव में आने पर ही धन और रिश्तो से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यो को करें । क्योंकि द्वितीय भाव मारक स्थान है और छठा भाव रोग स्थान है इस लिए शारीरिक कष्ट इस समय अवधि में परेशान कर सकते हैं । खास कर जो 8 मार्च से 26 जुलाई के दरमियान गुरु में सूर्य या सूर्य में गुरु दशा से गुज़र रहे होंगे उनको प्रतिष्ठा और सेहत दोनो का ख्याल रखना चाहिए ।

*गुरु_ग्रह_वक्री :*

 14 मई से 13 सितंबर के दरमियान गुरु ग्रह वक्री रहेंगे । ज्योतिष अनुसार वक्री ग्रह अपने कारक गुण के अनुसार फल देने में असमर्थ हो जाता है । खास कर कर्क लग्न कुण्डली में यह गोचर छठे भाव में 30 जून के बाद हो होगा उस में लिए गए क़र्ज़ और की गई शत्रुता बुरे परिणाम देगी , इस समय अवधि में किये गए झगड़े जल्दी नहीं सुलझेंगे , किसी भी तरह की व्यवसायिक शुरुआत इस समय में ना करें । जबकि 14 मई से 30 जून के दरमियान गुरु ग्रह सप्तम भाव में सूर्य के नक्षत्र में वक्री होंगे इस तरह 2 और 7वे भाव का यह संबंध अपने से छोटे लोगो की वजह से या फिर नोकरी में सहकर्मियों की वजह से आय प्राप्ति में बाधा बनेगा । जो अविवाहित हैं और जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं रिश्ते की जांच पड़ताल करके ही रिश्ता जोड़ें । और धन से संबंधित कोई कार्य हो किसी पेपर पर हस्ताक्षर करने से पहले सब कुछ देख और समझ कर ही हस्ताक्षर करें , नहीं तो कुछ बातें बाद में पता लगने पर परेशानी होगी ।

*गुरु_ग्रह_मकर_राशि_में :*

 30 मार्च से 30 जून और फिर 20 नवंबर से गुरु ग्रह का गोचर मकर राशि में रहेगा । कर्क लग्न में यह गोचर सप्तम भाव में रहेगा , भाग्येश नीच राशि में होने के कारण किसी भी तरह के धार्मिक कार्य, धार्मिक यात्रा , मांगलिक कार्य , नए कार्यो की शुरुआत इस समय शुभ नहीं रहेगी, जबकि छठे भाव का स्वामी नीच राशि में होने के कारण वाद विवाद झगड़े रोग कर्ज़ शत्रु बाधा परेशानी देंगे , इस समय में किया गया hardwork परिणाम नहीं देगा इस लिए अपनी मेहनत और धन दोनो को बचा कर रखें जब तक गुरु का गोचर चन्द्र के नक्षत्र में ना आ जाये । सप्तम भाव में नीच राशि का गुरु नीच लोगो से मित्रता करवा सकता है और उनके माध्यम से धन और प्रतिष्ठा का नुकसान देगा । इस लिए नए आने वाले मित्रो पर भरोसा कर कोई भी कार्य ना करें । निम्न वर्ग के लोग आपकी छवि खराब करने का प्रयास करेंगे उनसे दूरी रखें ।
#शनि_ग्रह_उत्तराषाढ़ा_नक्षत्र_में : पूरे 2020 वर्ष के दौरान शनि ग्रह का गोचर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहेगा जो कि सूर्य का नक्षत्र है । कर्क लग्न की कुण्डली में यह गोचर सप्तम भाव में सूर्य के नक्षत्र में रहेगा । ज्योतिष अनुसार अपनी राशि में गोचर करने वाले ग्रह शुभ फल देते हैं , लेकिन शनि कर्म फल दाता हैं इस लिए सूर्य ग्रह के नक्षत्र में गोचरीय प्रभाव के कारण द्वितीय भाव यानी धन और आपकी ईमानदारी की परीक्षा लेंगे , कुछ निम्न स्तर और धूर्त लोग आपको धन का लालच देकर कार्य करवाना चाहेगे क्योंकि सप्तम भाव सामने से आने वाले अवसरों का है और शनि ग्रह पापी ग्रह है नीच जाति का ग्रह है इस लिए नीच और धूर्त लोग सामने से आकर आपको गलत कार्यो के लिए उकसाने का प्रयास करेंगे । इस लिए आपको चाहिए पूरे वर्ष ईमानदारी से मेहनत से कार्य करें अपनी बुद्धि विवेक पर भरोसा करें कोई भी कागज़ात हो उनको देख पढ़ कर ही हस्ताक्षर करें । जिस से आपकी धन और प्रतिष्ठा पर कोई दाग ना आये । क्रोध बिल्कुल ना करें ।

*शनि_ग्रह_वक्री :*

 11 मई से 29 सितंबर के दरमियान शनि ग्रह वक्री रहेंगे । कर्क लग्न के लिए सप्तम भाव में वक्री शनि सूर्य के नक्षत्र में होंगे । ज्योतिष अनुसार वक्री शनि किये गए प्रयास और मेहनत फल नहीं देते, सप्तम भाव जो कि जीवनसाथी, प्रेमी / प्रेमिका, public , व्यवसायक साँझीदारी , सभी तरह के ऐसे कार्य जिन में public support की ज़रूरत हो वह सप्तम भाव से संबंधित होते हैं , इन सब विषयो में किये गए प्रयास सफल नहीं होंगे , की गई साँझीदारी फायदा नहीं देगी , जोड़े गए रिश्ते लाभ नहीं देंगे , दान पुण्य दूसरों की मदद करना भी प्रशंसा नहीं देगा , बल्कि सूर्य के नक्षत्र में वक्री शनि आपको यह भ्रांति देगा कि आपके प्रयास गलत दिशा में है आस पास के लोग आपके कार्यो में कमी को उजागर करते हुए आपको निराशा देंगे रिश्तेदार घर आकर बच्चों को लेकर कमियां उजागर करेंगे । यह सब स्थितियां परेशान करेंगी ।

*शनि_ग्रह_मकर_राशि_में :*
 23 जनवरी 2020 से शनि ग्रह का गोचर अगले ढाई वर्ष के लिए मकर राशि में रहेगा । कर्क लग्न के लिए मकर राशि सप्तम भाव में है भले ही कर्क लग्न में शनि मारक ग्रह हो लेकिन ज्योतिष अनुसार अपनी राशि में विराजमान ग्रह शुभ फल ही देता है , शनि ग्रह कर्मफल दाता हैं इस तरह सप्तम भाव से संबंधित विषयों में मेहनत करवाएंगे , बार बार आपके कार्य की परीक्षा लेंगे , कुछ नीच लोग भी गलत सलाह देकर गलत रास्तों पर आपको लिज़ा सकते हैं क्योंकि शनि नीचता का कारक है और सप्तम भाव करीबी मित्रो का है गलत आदतों का है इस लिए सप्तम भाव का यह शनि गोचर खास कर सूर्य के नक्षत्र यानी मारक ग्रह के नक्षत्र में गोचर के कारण आपको गलत आदतों गलत रास्तों गलत संगत में मिला सकता है , इस लिए अच्छे लोगो की संगत करें और अपनी मेहनत पर भरोसा करें । जैसे ही शनि चन्द्रमा के नक्षत्र में आएगा नोकरी / व्यवसाय और रिश्तो में शुभ समय शुरू होगा ।
#राहु_अद्रा_नक्षत्र_में : वर्तमान समय में राहु का गोचर अद्रा नक्षत्र में है जो कि 21 मई तक रहेगा । कर्क लग्न की कुण्डली में राहु का यह गोचर 12वे भाव में है , ज्योतिष अनुसार 12वे भाव में राहु शुभता नहीं देता क्योंकि शयन का स्थान और व्यय का स्थान होने के कारण अनावश्यक खर्च बढेंगे , इंटरनेट पर व्यर्थ की बातचीत और व्यर्थ की बहस में समय का नुकसान होगा , लेकिन जो लोग या विद्यार्थी विदेश जाने की सोच रहे हैं वह विदेशी भाषा का ज्ञान या इस से संबंधित जो भी ज़रूरी तैयारी है वह इस समय करें और विदेश यात्रा के लिए राहु के राशि परिवर्तन का इंतजार करें । 12वा भाव past भी है इस लिए बीते हुए समय में कई गई गलतियां सितंबर तक मानसिक रूप से परेशानी देंगी , चतुर्थ भाव पर जब राहु की दृष्टि हो तो घर परिवार के सुख भी खराब होते हैं , इस लिए व्यवहार में शांति बनाए रखें । मानसिक शांति के लिए रात को सोते समय पास में कोई भी अनाज रख लिया करें और सुबह उठ कर उसका दान कर दिया करें ।

*राहु_मृगशिरा_नक्षत्र_में :*

 21 मई से पूरे वर्ष राहु का गोचर मृगशिरा नक्षत्र में रहेगा जो कि मंगल का नक्षत्र है । इसी दौरान मिथुन राशि में चल रहे राहु का गोचर 23 सितंबर को वृषभ राशि में होगा । राहु का यह गोचर 12वे भाव में मंगल के नक्षत्र में जो कि 5th और 10th भावो का स्वामी है इस तरह 5, 10, 12वे भाव का संबंध विदेश जाने के अवसर के लिए रास्ते देगा पंचम भाव शिक्षा का है दसम भाव कर्म का है और 12वा भाव विदेश का है , इस के इलावा जो भी 12वे भाव से संबंधित विषय हैं मानहानि , शयन सुख, खर्च , तनाव , कार्यो में बाधा , शत्रु बाधा इन सब से निजात के लिए रास्ते बनेगे । इस के बाद 23 सितंबर से राहु का गोचर 11वे भाव में मंगल के नक्षत्र में 5, 10 , 11वे भाव का यह संबंध धन और आय की वृद्धि करेगा , कर्ज़ रोग शत्रु दूर होंगे , कार्यक्षेत्र में लाभ की स्थिति बनेगी । हर गुरुवार जल में हल्दी मिला कर स्नान करें इस से 11वा भाव मज़बूत होकर आय और सम्मान की वृद्धि करेगा ।

*केतु_मूल_नक्षत्र_में :*

 17 जनवरी से केतु का गोचर मूल नक्षत्र में होगा जो कि 22 सितंबर तक रहेगा । केतु का यह गोचर 22 सितंबर तक छठे भाव में रहेगा । ज्योतिष अनुसार छठे भाव में पापी ग्रह शुभता देते हैं लेकिन केतु बड़ो का सुख और आशीर्वाद है इस लिए यदि आप पर घर के बड़े प्रसन्न रहते हैं तो यह केतु छठे भाव का रोग ऋण आलस्य को दूर करेगा । लेकिन अगर बड़े खुश नहीं रहते उनका स्वास्थ्य खराब रहता है तो यह केतु छठे भाव के विषयों रोग ऋण दरिद्रता की वृद्धि करेगा । इस समय अवधि में कुछ भी नया ना आज़माये , कुछ भी ऐसा ना करे जिस में धन के नुकसान का डर हो । जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह की स्थिति देख कर उपाये करें । केतु बड़ो का आशीर्वाद है तो रोज़ सुबह उठ कर माता - पिता के पांव हाथ लगा कर आशीर्वाद लेना केतु की अशुभता दूर करता है ।

*केतु_जेष्ठा_नक्षत्र_में :*

 23 सितंबर से केतु का गोचर जेष्ठा नक्षत्र में होगा जो कि बुध का नक्षत्र है । कर्क लग्न में 23 सितंबर से केतु का गोचर पंचम भाव बुध के नक्षत्र में होगा । इस तरह 3, 5, 12वे भाव का यह संबंध संतान को कष्ट देगा, संतान के स्वास्थ्य को लेकर समस्या आ सकती है , संतान का व्यवहार खराब हो सकता है , शेयर बाजार, सट्टा , लॉटरी में धन का नुकसान होगा , संतान पर खर्च होंगे । केतु मोक्ष है यानी सरेंडर करना किन विषयो से संबंधित 3rd और 12th , संतान की वजह से आपके कार्यो में रुकावट  आएगी , 12वा भाव यानी शयन सुख खराब होगा संतान की चिंता में । खास कर जिन पर बुध में केतु या केतु में बुध की दशा का प्रभाव है उनको संतान की वजह से कष्ट की संभावना है । केतु मति भी भृमित करता है इस लिए लालच की भावना में 3rd भाव यानी पराकर्म हानि में बदलेगा , आपके ideas सही कार्य नहीं करेगे । अगर कोई वाहन या प्रॉपर्टी बेचने की सोचेंगे तो बिकेगी नहीं , अगर वर्तमान नोकरी से स्थान परिवर्तन की सोचेंगे तो वह होगा नहीं । इस लिए 23 सितंबर से गुरु ग्रह की शुभता के लिये उपाये करें , बड़ो को खुश रखें , गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें ।