सविता उपध्याय, डिजिटल सम्पादक अयोध्या मामले में आज फैसला आने वाला है।सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की पीठ द्वारा ऑर्डर सुनाया जा रहा है। इस केस से जुड़ी बड़ी जानकारी सामने आ रही है।
जो चीजों सामने आ रही है उसमें सबसे बड़ी बात ये है कि
मालिकाना हक आस्था के बयां पर नहीं बल्कि कानूनी माध्यम से आएगा। इसके अलावा भी कहा गया है कि मस्जिद से पहले वहां कोई और ढांचा था लेकिन वह मंदिर है इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। ( मंदिर गिराकर मस्जिद बनाने के सबूत नहीं है।
ASI की रिपोर्ट में ढांचे को गिराकर मस्जिद बनाई गई थी।
बाहरी स्थान पर हिन्दुओं का कब्जा था, इस पर मुस्लिम का कब्जा नहीं था। लेकिन मुस्लिम अंदरूनी भाग में नमाज़ भी करते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यात्रियों के विवरण को सावधानी से देखने की जरूरत है, वहीं गजट ने इसके सबूतों की पुष्टि की है। हालांकि मालिकाना हक आस्था के आधार पर नहीं तय किया जा सकता।
कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है। मुस्लिम के पास जमीन पर विशेष कब्जा नहीं।
अंग्रेजों के वक्त पर नमाज का कोई सबूत नहीं।
विवादित जमीन पर मुस्लिम अपना हक साबित करने में नाकाम रहे।
ढांचा गिराना कानून व्यवस्था का उल्लंघन
अयोध्या में राम मंदिर के लिए रामलला की जीत
केंद्र सरकार 3 महीन में ट्रस्ट गठन करके मंदिर बनाए – सुप्रीम कोर्ट
विवादित जमीन रामलला को दी गई
मु्स्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन कहीं दी जाएगी
हिंदू सीता पूजा करते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की यह अविवादित मान्यता है कि भगवान राम का जन्म गिराई गयी संरचना में ही हुआ था।
मुस्लिमों को दूसरी जगह देने का ऐलान ( 5 एकड जमीन दी जाएगी)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मुस्लिम को मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर दिया जाय प्लॉट। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएसआई ने इस तथ्य को स्थापित किया कि गिराए गए ढांचे के नीचे मंदिर था।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है यानी विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी गई है। जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है. यानी सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया है।