खतरे में है लोकतंत्र का चौथा स्तंभ -के सी शर्मा


 *सिंगरौली*आज मीडिया जगत में लगातार पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं पत्रकारों की हत्या की जा रही है कलम को दबाने की कोशिशें की जा रही है कहीं ना कहीं पत्रकारों पर पुलिस प्रशासन का भी दबाव बनाया जा रहा है

पत्रकार ही समाज को आईना दिखाने का काम करता है जो अपनी जान जोखिम में डालकर कलम के सहारे समाज मे हर जातिवाद,पूजींवाद, सामंतवादी,विचारधाराओं की दृष्टिकोण के भावनाओं को दूर रखकर समाजवादी उदारवादी, आचरण की भावनाओं का समाज मे अहम संदेश जनता तक अपनी कलम के माध्यम से पहुंचाता है

और उसे अपना कर्तव्य समझ अपनी ईमानदारी से जनता के बीच रह कर पूरा करता है। एक पत्रकार किसानों की,विधार्थियों की,मजदूरों की,व्यपारियो की, आदिवासियों कि,दलितों की,और हर उस निचले कमजोर वर्गों की दबी आवाज को सरकार तक पत्रकार अपनी कलम के सहारे से पहुंचाता है।

जिन गरीबों बेसहारों व दिव्यांगों और लाचारों की दर्द से कराहती आवाज को सरकार तक जाने का माध्यम बन जाता है। एक पत्रकार। देश मे जब बड़ा संकट जाता है। उस वक्त भी पत्रकार अपनी कलम को नही रोकता निरंतर सच बुलंद करता हूआ लिखता रहता है।

सरकार से जनता तक जनता से सरकार बनाने तक समस्याओं के निवारण का एक स्रोत बनकर पत्रकार उभरता है। इस लोकतांत्रिक देश में जब सर्वोच्च न्यायालय के चार न्यायाधीश ने अपनी बात जनता दरबार मे रखा सरकार तक अपनी समस्याओं को पत्रकारों के माध्यम से रखा।

आज पत्रकारों की किसी भी समस्याओं मे कोई नही अपना सहयोग देता है। चाहे वह केन्द्र सरकार हो या प्रदेशों की सरकारें हो कुछ दिनो पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ ने पत्रकार के ऊपर हमला करने या उसके साथ दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्तियों पर दो साल की कैद और पचास हजार के जुर्माने जैसा कानून बनाने का अश्वासन दिया था

ऐसा कोई कानून अभी तक नजर नही आया। लाख दावों के बावजूद भी पत्रकार पर निरंतर जानलेवा हमले हो रहे है यू.पी मे भी सरकार कुछ नही कर पा रही है। और प्रदेशो मे भी यही हाल है।बिहार मे कुछ दिनों पहले दो पत्रकार को स्कारपियो गाड़ी से बेरहमी से कुचल कर मौत घाट ऊतार दिया गया

वहां पर भी अभी तक कुछ नहीं हुआ वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार है। यही नहीं उत्तर प्रदेश में भी कई पत्रकारों को खबर लिखने पर थाने में बंद करके पुलिस कर्मियों द्वारा बेरहमी से पीटा गया सरकार सोती रही पत्रकार पिटते रहे पत्रकार के किसी भी प्रकरण मे इन सरकारों का लाॅएन आर्डर कहां चला जाता है।

नियम और शर्तें सरकारी दफ्तरों मे धूल चाटते दिखते है।आज देश मे कई संगठन व अनेक एसोशिएशन चल रहे है। पत्रकारों के कुछ संगठन पत्रकारों के हित मे कार्य कर रहे है। कुछ तो छोटा पत्रकार और बड़ा पत्रकार देखने में लगे हैं आज से बीस से पच्चीस साल पहले मीडिया जगत में इलेक्ट्रॉनिक चैनल मे दूरदर्शन व प्रिंट मीडिया मे दैनिक जागरण, हिंदुस्तान ,अमर उजाला जनता के बीच मे सक्रिय थे।इन दस सालो मे दोनों मीडिया मे क्रान्ति आई है। जिससे मीडिया जगत मे पत्रकारों की संख्या बढ़ी है। जिसमें नाम दिया गया बड़े पेपर, छोटे पेपर बड़े पत्रकार, छोटे पत्रकार मान्यता प्राप्त पत्रकारों को छोड़ कर अन्य किसी पत्रकारों को कोई सैलरी भी नहीं मिलती है। ना ही कोई क्लेम अथवा बीमे जैसी कोई सहायता मिल रही है। कुछ बड़े चैनल मे आज तक ,ए बी पी ,न्यूज 18,

न्यूज़ 24 , जी.न्यूज जैसे चैनलों मे अच्छी खासी सैलरी पत्रकारों की व एंकर की है। छोटे पेपर के चैनलों के पत्रकारों कि कोई सैलरी नही है। ये पत्रकार कुछ छोटे बड़े विज्ञापनों के जरिए अपना जीवन यापन करते हैैं।

साथियों अब जागने की जरूरत है कब तक अपने साथियों को खोते रहेंगे छोटा बड़ा समझ कर आपस में ही लड़ते झगड़ते रहेंगे साथियों हमें एक होने की जरूरत है हम सब एक होंगे तभी सरकार हमारे बारे में कुछ सोचेगी नहीं तो एक-एक करके आए दिन पत्रकार मारे जा रहे हैं

सताए जा रहे हैं कोई सुनने वाला नहीं आज हमारे साथ तो कल आपके साथ आए दिन कुछ न कुछ नई नई खबरें आप लोग लिखते रहेंगे और प्रशासन अपने कान में उंगली डाले ही रहेगा कितनी सरकारें आई कितने मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बने लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के बारे में किसी ने आज तक सोचा ही नहीं।
अब एक बार फिर कमलनाथ सरकार के कार्यकाल मध्यप्रदेश में
सिंगरौली जिले में पुनः हुआ पत्रकार पर हमला

पत्रकार मानवाधिकार मीडिया में सिंगरौली जिला ब्युरो चीफ़ के पद पर तैनात
सरई में देर रात पत्रकार से किया गया जानलेवा हमला
 8 की सख्या मे नाकाप बदमाशों ने बोलरो मे बैठाकर बन्द कमरे में किया पत्रकार से मारपीट

 सरई पुलिस कर रही मामले मे हीला हवाली

आरोपियों को संरक्षण देते दिखी सरई पुलिस

पत्रकार मुन्ना सरकार की मोबाईल सहित पैसे भी छीने  आरोपी

जमीनी मामले मे याचिका वापस लेने के लिए बना रहा दबाव

 नहीं लेने पर जान से खत्म करने की दी धमकी और 376 मे फसाने की कर रहा बात

पत्रकार का आरोपियों ने बंद कमरे में बनाए चक्रव्यूह में फंसने वाली विडियो

पुलिस अभी तक कुछ नहीं किया कार्यवाही

इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।