बदायूँ रहेलखंड का मिनी कुंभ मेला ककोड़ा में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष देवोत्थान एकादशी की पूर्व संध्या से ही श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला शुरू हो गया था। श्रद्धालुओं अपने ट्रेक्टर ट्राली, टैंपो, कारों, साइकिलों और पैदल मेला ककोड़ा के गंगा तीरे पहुंचे। हर हर महादेव, हर हर गंगे के जयघोष के साथ पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं में मां गंगा के प्रति अटूट श्रद्धा, आस्था, भक्ति और समर्पण देखा गया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मां गंगा की पूजा अर्चना की। मां भागीरथी के विराट स्वरुप की आरती के बाद दीपदान किया। कन्या को दही, जलेबी, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान आदि खिलाया। देवकन्याओं के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया। लोक मंगल की कामना से सूर्य भगवान को अघ्र्यदान दिया। ग्रामीण क्षेत्रों और प्रदेश भर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने श्रद्धा और भक्ति से अपने पूर्वजों, देवी देवताओं के नाम की भगत बजबाई और लोकमंगल की कामना की। श्रद्धालुओं ने परिवार सहित गंगा तीरे देवोत्थान का पावन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। श्रद्धालुओं ने गन्ने, गुड, सिंगाड़ा, घी से पूजन किया। गंगा पर खिचड़ी भी बनाई।
मेले में गंगा तट के किनारे पूर्व में मुख्य मार्गों, बीआईपी टैंटों, बरेली एरिया, मेन मार्केट में विद्युत व्यवस्था के मुद्देनजर लाइट का सारा सामान गंगा के किनारे टैंटो में रखा गया है। मेले में चकाचैंध और रोशनी की जगमगाहट के लिए मेले में गंगा तट को जाने वाले मार्ग के बीचों बीच विद्युत व्यवस्था के लिए लम्बी बल्लियां लगाई गई हैं। इन बल्लियों पर बुधवार को मेले में विद्युत सप्लाई के लिए तारों को खींचकर आकर्षक बल्बों से सजाया जाएगा। विद्युत चालित झालरें लगाई जाएगीं। अभी पूरी तरह से मुख्य गेट नहीं हुए हैं।
मेला ककोड़ा की तैयारियों को लेकर जिस तरह से डीएम प्रशांत कुमार के नेतृत्व में काम शुरू हुआ। शासनिक और प्रशासनिक अधिकारियों ने जोश खरोश से अपनी जिम्मेदारियों को लेकर उत्साह दिखाया। वह उत्साह अब देखने को नहीं मिल रहा। जबकि कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य स्नान के दो-चार दिन ही बचे हैं। मिनी कुंभ में लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके बाबजूद गंगा तटों को व्यवस्थित नहीं किया गया है। स्वच्छता का भी ध्यान नहीं रखा गया है। महिलाओं को पर्याप्त चैंजिंग रूम भी नहीं बनाए गए हैं। मेले के मुख्य मार्गाें पर मूत्रालयों की व्यवस्थाएं आनन फानन में की गईं है।
ज्यों ही कार्तिक पूर्णिमा का समय नजदीक आता जा रहा है। वैसे ही अव्यस्थाएं हावी होती जा रहीं है। पहुंचने वाले श्रद्धालुओं अपने टैंटों को लगा रहे हैं। समाजसेवी संस्थाओं को मेला प्रशासन की ओर से मिलने वाले टैंट, राउटियां कम पड़ गईं हैं। जिसके लिए मेला प्रशासन द्वारा इंतजाम किया जा रहा है। मुख्य मार्गों पर कहीं कीचड़ हैं, तो कहीं धूल उड़ती नजर आई। मेले में आने वाले वाहन मुख्य मार्गांे में फंस गए। जिनको बड़ी मशक्कत के बाद निकाला जा सका।
श्रद्धालु मेले में बच्चों के लिए दूध, सब्जियों, फल, मिष्ठान आसानी खरीद सकेंगे। चाट, पैकोड़ी, पूड़ी, कचैड़ी, जलेबी, पेठा, खजला की दुकानों पर खरीददारी शुरू हो गई है।
मेले में मीनार बाजार, खेल खिलौने, सोफ्टी आदि की दुकानें लगना शुरू हो गईं हैं। मेले में बच्चों के मनोरंजन कराने वाले बड़े झूले, ड्राईगन, ब्रेक डांस आदि के झूले भी पहुंच लगना शुरू हो गए हैं। मेला प्रभारी राजीव कुमार शर्मा ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मेले का निरीक्षण किया। पुलिस बल के जवानों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। अपर अभियंता लालता प्रसाद कश्यप और रंजीत कुमार ने जाम से बचने के लिए मार्गांे का दुरूस्त कराने में जुटे हैं। जो मेले के खैराती चैक से सीधे मार्ग वाले रोड में जोड़ा गया है। जिससे जाम से काफी हद तक निजात मिलेंगी। गंगा घाट को अभी भी तैयार किया जा रहा है।
मेले में अस्थाई अस्पताल बनाया गया है। बदलते मौसम के चलते श्रद्धालु बुखार, खांसी की दवा के साथ अन्य उपचार भी किया जाएगा।
कावेरी 8वीं वाहिनी पीएसी बरेली के प्लाटून कमांडर शाकिर हुसैन के नेतृत्व में ए सेक्सन टीम के हेड कांस्टेबल जोगेंद्र पाल सिंह, एलएन ब्रजरतन, कांस्टेबल नशीम चैधरी, नगदीप और नायक जगपाल सिंह ने गंगा की मुख्य धारा का जायजा लिया। वहीं श्रद्धालुओं को गहरे जल में स्नान न करने की चेतावनी भी।
अस्थाई डाकघर में किसी भी प्रकार का कोई कार्य नहीं हुआ। जबकि मेले में रजिस्टरी, खाते खुलना, डाक टिकटों की बिक्री, आधार बनने का कार्य होना था।