हम पहने फटे कपड़े तो गरीब!
तुम पहनो फटे कपड़े तो मॉडर्न!!
इंसान दिखावे से परेशान हैं ।
कोई गाड़ी ,कोई बंगला!
कोई पैसा दिखाने में परेशान है !!
समय का कालचक्र पलट के आता है ,यह बात बिल्कुल सही है जो सामान पहले गरीब इस्तेमाल करते थे , आज वही चीजें इस दौर के पैसे वाले लोग इस्तेमाल करने में अपनी शान समझते हैं ,इस दौर में लोग अपनी सेहत पर बहुत ज्यादा ध्यान देने लगे हैं । रोटी खाते हैं बाजरे की । यह वही बाजरा है ,जो गरीब गेहूं नहीं खरीद पाते थे ,वह बाजरा खाया करते थे ,या हम बात करें मल्टीग्रेन आटे की इसमें गेहूं बाजरा ,मक्का ,चने के आटा को मिलाकर मल्टीग्रेन आटा बनता है बाजरा हो या मक्का यह गरीबों का अनाज हुआ करता था और चने के आटे को गर्मियों में पानी में घोलकर पिया जाता था । आजकल बड़े-बड़े डॉक्टर लोगों को सलाह देते हैं अगर आपको अपना वजन कम करना है तो चने का सत्तू पानी में घोलकर पिए, इस दौर में गेहूं का आटा ₹30 किलो मिलेगा और बाजरे का आटा ₹70 किलो मिलता है । अब हम बात करें पुरानी कहावत की बेचारा *बहुत गरीब है चने खाकर अपनी भूख मिटा रहा है* , इस दौर में यह कहावत बिल्कुल उल्टी हो गई है ,बहुत पैसे वाला है ,अपने स्वास्थ के लिए सजग है ,इसलिए चने खाकर अपनी सेहत बना रहा है । इस दौर में भुने हुए चने तकरीबन ₹200 किलो से कम नहीं होंगे *वाह* *ऊपर वाले तेरी लीला है* *अपरंपार* ,पहले जिस चीज को देखकर लोग मुंह बनाते थे अब उसको इस्तेमाल करने से हाई सोसाइटी में शुमार हो जाते हैं जैसे अगर कोई आदमी साइकिल पर घूमता था ,तो लोग उंगली उठाते थे ,बेचारा बहुत गरीब है इसके पास इतने पैसे नहीं है के एक मोपेड खरीद ले ,और इस दौर में हाई सोसाइटी वाले हजारों रुपए महीना देखकर जिम में जाकर साइकिल चलाते हुए पसीना बहाते हैं ,और अपने आप को हाई सोसायटी का समझने लगते हैं ,पहले आदमी साइकिल चलाता था गले में गमछा डाला रहता था ,जब पसीना आता था तो गमछे से पसीना पोंछ लेता था आजकल हाई सोसाइटी के लोग जब साइकिल जिम में चलाते हैं हाफ पैंट ,टी शर्ट और गमछे के जगह इंपोर्टेड टॉवल गले में लटका रहता है ,और बड़ी शान से अपना शरीर का पसीना पोंछते जाते हैं । पहले ज्यादातर गरीब लोग अपनी सेहत बनाने के लिए नदी किनारे या अखाड़ों में जाते थे वहां पर कसरत किया करते थे , इस दौर में पैसे वाले लोग महंगे महंगे जिम जाते हैं और अपनी सेहत बनाते हैं ।
अब हम बात करें कपड़ों की आजकल जो लेटेस्ट फैशन है
जो मॉडर्न लड़के लड़कियां कपड़े पहनते हैं ,जींस पैंट जगह-जगह से फटी हुई अगर पुराने दौर में ऐसी पैंट कोई पहन ले तो लोग उसको बहुत गरीब समझे और उसके लिए चंदा करके नए कपड़े बनवा दे ।
वाह रे पैसे वालों वाह तुम करो तो फैशन अगर हम करें तो गरीब।
दिखावे से दूर ,
हकीकत से वास्ता हो ,
जिंदगी सरल हो ,
भले ही कठिन रास्ता हो ।