दुद्धी ।चार दिनों तक चलने वाला सूर्य उपासना का महापर्व छठ रविवार को संपन्न हुआ।प्रातः काल की बेला में अपनी अपनी निर्धारित स्थल पर पहुँच कर ध्यान मग्न किया वही उदयाचल सूर्य को जलाशयों व सरोवरों व नदियों के बीच जलधारा में खड़ी होकर भगवान भास्कर के उगते स्वरूप को अर्घ्य दिया और अपने व्रत को संपन्न किया।शनिवार को रातभर नदियों किनारें बेदी पर बैठी महिलाएं जैसे ही भोर हुई तो भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की तैयारी में जुट गयी और छठी मईया की सुप्रसिद्ध गीत ---उगा हो सुरुज देव --- --व्रतधारी महिलाओं ने हर्षोउल्लास के गाने शुरू किए इसके बाद ब्राह्मणों द्वारा महिलाओं को जल में खड़ी होकर बारी बारी से सूरज देव को अर्घ्य दिलाया गया । क़स्बा स्थित शिवाजी तालाब , कैलाश कुञ्ज द्वार ,खजुरी के ठेमा नदी तट , धनौरा के लकड़ा बांध ,टेढ़ा गांव के कनहर नदी छठ घाट पर माताओं ने रविवार की प्रातःकाल में उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपना अपना छठ पूजा संपन्न किया और सुबह के 7 बजे से धीरे धीरे महिलाए हाथों में सुप लिए अपने धीरे धीरे अपने घरों को प्रस्थान किया।